UP BUDGET 2019-20 : औद्योगिक क्षेत्र की अनदेखी से मेरठ के उद्यमी निराश
योगी सरकार द्वारा पेश यूपी के बजट में मेरठ के औद्योगिक क्षेत्र के लिए कोई नई घोषणा नहीं किए जाने से शहर के उद्यमियों में निराशा है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 04:05 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 04:05 PM (IST)
मेरठ,जेएनएन। आम बजट के बाद प्रदेश सरकार के बजट से भी इंडस्ट्री को निराशा ही हाथ लगी है। औद्योगिक विकास की जगह सब्सिडी को तरजीह दी गई,जो उद्यमियों को रास नहीं आई। उन्हें मलाल है कि इन्वेस्टर्स समिट से उपजी उम्मीदों पर इस बजट ने पानी फेर दिया। खासकर,एक भी घोषणा मेरठ की इंडस्ट्री के चेहरे पर मुस्कान नहीं बिखेर सकी।
पहले भी मिली निराशा
2014 के लोकसभा चुनावों में केंद्र में मोदी सरकार बनने से उद्यमियों की उम्मीदें बढ़ गईं थीं। किंतु तकरीबन सभी बजट में मेरठ की इंडस्ट्री को जोर का झटका लगा। इधर,योगी सरकार के बजट से आधारभूत ढांचे में सुधार की आस जगी थी। माना जा रहा है कि गत वर्ष इन्वेस्टर्स समिट के तहत जिले में करीब 900 करोड़ के निवेश के लिए नई औद्योगिक जमीन,सड़क,साफ सफाई व फ्री होल्ड संबंधी बड़ी घोषणाएं की जाएंगी। हालांकि बजट में वर्ष 2003,2012 और 2017 की औद्योगिक विकास एवं प्रोत्साहन नीति के लिए करीब एक हजार करोड़ दिया गया है,किंतु इसका फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के बजाय स्टांप शुल्क,बिजली शुल्क एवं निवेश संबंधी सब्सिडी देने पर होगा।
जमीन नहीं,उद्योग कहां लगाएं
इन्वेस्टर्स समिट के बाद प्रशासन ने मेरठ में करीब 500 एकड़ औद्योगिक जमीन तैयार करने का भरोसा दिया था। काजमाबाद गून समेत तमाम स्थानों पर जमीनें चिन्हित की गईं,किंतु किसान सर्किल रेट पर राजी नहीं हुए। परतापुर कताई मिल भी स्पोर्ट्स कांपलेक्स और औद्योगिक प्लाट के बीच झूल रही है। उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम यूपीएसआइडीसी की ढिलाई की वजह से तमाम कंपनियां वापस चली गईं। इस बजट में औद्योगिक प्लाट बनाने को लेकर कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई गई।
एक जिला-एक उत्पाद’भी जस का तस
बजट में एमएसएमई सेक्टर के प्रोत्साहन के लिए दस करोड़ का प्रावधान किया गया है,जिससे औद्योगिक प्लाट बसाने की प्रक्रिया तेज की जाएगी। किंतु यह राशि बेहद कम है। उधर,‘एक जिला-एक उत्पाद’ को प्रमोट करने के लिए पिछले बजट की तरह इस बार भी 250 करोड़ रुपये दिए गए हैं। हालांकि उद्यमियों का कहना है कि सालभर में इस नीति के तहत खेल उद्योगों को कोई रफ्तार नहीं दी जा सकी। बड़ी स्पोर्ट्स कारोबार वाली इकाइयों ने ओडीओपी में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली है। ऑनलाइन कंपनी अमेजोन पर खेलकूद उत्पादों की खरीद व बिक्री को लेकर भी उद्यमियों में हलचल नहीं हुई।
इनका कहना है
उद्योगों के लिए पूरी तरह खोखला बजट है। प्रोत्साहन नीतियों के लिए करीब एक हजार करोड़ जारी किया गया,जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर सर्वाधिक जरूरी पहलू है। ईज आफ डूइंग बिजनेस कहां है। ओडीओपी और इन्वेस्टर्स समिट सालभर बाद भी जहां के तहां खड़े हैं।
-पंकज गुप्ता,प्रदेश उपाध्यक्ष,आइआइए
बजट में उद्योगों के लिए कुछ खास नहीं है। किंतु किसानों की नकदी बढ़ाने के उपाय किए गए हैं,जो धन लौटकर वापस बाजार में आएगा। एक लाख गांवों को डिजिटल किया जा रहा है,जो आइटी सेक्टर के लिए ठीक है। उधर,केंद्र ने हाउसिंग सेक्टर में ग्रोथ के रास्ते खोले हैं।
-राजीव सिंहल,परतापुर इंडस्टियल एस्टेट
पहले भी मिली निराशा
2014 के लोकसभा चुनावों में केंद्र में मोदी सरकार बनने से उद्यमियों की उम्मीदें बढ़ गईं थीं। किंतु तकरीबन सभी बजट में मेरठ की इंडस्ट्री को जोर का झटका लगा। इधर,योगी सरकार के बजट से आधारभूत ढांचे में सुधार की आस जगी थी। माना जा रहा है कि गत वर्ष इन्वेस्टर्स समिट के तहत जिले में करीब 900 करोड़ के निवेश के लिए नई औद्योगिक जमीन,सड़क,साफ सफाई व फ्री होल्ड संबंधी बड़ी घोषणाएं की जाएंगी। हालांकि बजट में वर्ष 2003,2012 और 2017 की औद्योगिक विकास एवं प्रोत्साहन नीति के लिए करीब एक हजार करोड़ दिया गया है,किंतु इसका फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के बजाय स्टांप शुल्क,बिजली शुल्क एवं निवेश संबंधी सब्सिडी देने पर होगा।
जमीन नहीं,उद्योग कहां लगाएं
इन्वेस्टर्स समिट के बाद प्रशासन ने मेरठ में करीब 500 एकड़ औद्योगिक जमीन तैयार करने का भरोसा दिया था। काजमाबाद गून समेत तमाम स्थानों पर जमीनें चिन्हित की गईं,किंतु किसान सर्किल रेट पर राजी नहीं हुए। परतापुर कताई मिल भी स्पोर्ट्स कांपलेक्स और औद्योगिक प्लाट के बीच झूल रही है। उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम यूपीएसआइडीसी की ढिलाई की वजह से तमाम कंपनियां वापस चली गईं। इस बजट में औद्योगिक प्लाट बनाने को लेकर कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई गई।
एक जिला-एक उत्पाद’भी जस का तस
बजट में एमएसएमई सेक्टर के प्रोत्साहन के लिए दस करोड़ का प्रावधान किया गया है,जिससे औद्योगिक प्लाट बसाने की प्रक्रिया तेज की जाएगी। किंतु यह राशि बेहद कम है। उधर,‘एक जिला-एक उत्पाद’ को प्रमोट करने के लिए पिछले बजट की तरह इस बार भी 250 करोड़ रुपये दिए गए हैं। हालांकि उद्यमियों का कहना है कि सालभर में इस नीति के तहत खेल उद्योगों को कोई रफ्तार नहीं दी जा सकी। बड़ी स्पोर्ट्स कारोबार वाली इकाइयों ने ओडीओपी में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली है। ऑनलाइन कंपनी अमेजोन पर खेलकूद उत्पादों की खरीद व बिक्री को लेकर भी उद्यमियों में हलचल नहीं हुई।
इनका कहना है
उद्योगों के लिए पूरी तरह खोखला बजट है। प्रोत्साहन नीतियों के लिए करीब एक हजार करोड़ जारी किया गया,जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर सर्वाधिक जरूरी पहलू है। ईज आफ डूइंग बिजनेस कहां है। ओडीओपी और इन्वेस्टर्स समिट सालभर बाद भी जहां के तहां खड़े हैं।
-पंकज गुप्ता,प्रदेश उपाध्यक्ष,आइआइए
बजट में उद्योगों के लिए कुछ खास नहीं है। किंतु किसानों की नकदी बढ़ाने के उपाय किए गए हैं,जो धन लौटकर वापस बाजार में आएगा। एक लाख गांवों को डिजिटल किया जा रहा है,जो आइटी सेक्टर के लिए ठीक है। उधर,केंद्र ने हाउसिंग सेक्टर में ग्रोथ के रास्ते खोले हैं।
-राजीव सिंहल,परतापुर इंडस्टियल एस्टेट
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