Move to Jagran APP

लानत है मेरठ-दिल्ली हाईवे पर, हर बात पर जाम और गड्ढे ही गड्ढे

दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को जोड़ने वाले मेरठ-दिल्ली हाईवे पर रफ्तार कैद होकर रह गई है। हर रोज कई किलोमीटर का जाम यहां की नियति बन गई है।

By Edited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 12:30 PM (IST)
लानत है मेरठ-दिल्ली हाईवे पर, हर बात पर जाम और गड्ढे ही गड्ढे
लानत है मेरठ-दिल्ली हाईवे पर, हर बात पर जाम और गड्ढे ही गड्ढे
मेरठ (जेएनएन)। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को जोड़ने वाले मेरठ-दिल्ली हाईवे पर रफ्तार कैद होकर रह गई है। हर रोज कई किलोमीटर का जाम यहां की नियति बन गई है। हाईवे पर चढ़े नहीं कि अव्यवस्था वाहनों को बंधक बना लेती है। हर रोज हजारों लोग जाम में फंसकर गंतव्य पर जाए बिना ही लौट आते हैं। किसान क्रांति यात्रा से भी पिछले एक सप्ताह से हालात बदतर कर दिए हैं। आलम यह है कि कभी वाहन खराब हो गया तो कभी कोई अन्य कारण बनने से जाम लग गया। शादी के सीजन में तो रोजाना-कई कई किलोमीटर जाम लगना आम बात है।

लोनिवि पर है जिम्मा
दिल्ली-मेरठ मार्ग का गाजियाबाद से परतापुर तिराहे तक का हिस्सा नेशनल हाईवे के दायरे से बाहर होते ही अनाथ हो गया। अब जिम्मा लोकनिर्माण विभाग पर है। लोनिवि ने मरम्मत के बजाए 200 करोड़ का बजट भेजा तो राज्य सरकार ने भी इस मार्ग को भगवान भरोसे छोड़ दिया। पूरा मार्ग गहरे गड्ढों में तब्दील हो गया है। 40 किमी के मार्ग पर एक फीट गहरे एक हजार से ज्यादा गड्ढे हैं। ये न केवल रफ्तार रोककर हाईवे को चोक कर रहे हैं, बल्कि रफ्तार खुलते ही लोगों की जान ले रहे हैं। पिछले दिनों हुई बरसात ने हालात बेहद विकराल कर दिए हैं। यहां हर रोज औसत छह घंटे का जाम लग रहा है। सफर करने वालों के लिए सजा साबित हो रहा है।

हर बात पर होता है हाईवे जाम
तीन राज्यों को जोड़ने वाले मेरठ-दिल्ली हाईवे की हालत दिनों-दिन खराब हो रही है। हालत इस कदर विकराल रूप ले चुकी है कि एक ट्रक भी रोड पर खराब हो जाए तो कई किमी का जाम लगता है। गणेश विसर्जन के अवसर पर भी भीषण जाम मुरादनगर और मोदीनगर में लगा था। ऐसे ही दो अप्रैल को हुई हिंसा के दौरान भी हाईवे पर दिनभर जाम की स्थिति रही थी।

खामोश हैं जनप्रतिनिधि
कोई घटना दुर्घटना के बाद भी इस मार्ग पर जाम लगना या लगाना आम बात हो रही है। शादी के सीजन में तो इस मार्ग पर जाम ही जाम रहता है। ऐसा नहीं है कि पुलिस प्रशासन को शादी की तारीखें पता नहीं होती लेकिन लोगों को जाम से बचाने के लिए कोई इंतजाम नहीं किए जाते। हाईवे किनारे बने मंडप और सड़क पर पार्किंग व नाचते बराती जाम का सबसे बड़ा कारण बनते हैं। सब कुछ जानते हुए भी शासन-प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं और लाखों लोग परेशान हो रहे हैं। बड़े-बड़े दावे करने वाले जनप्रतिनिधि भी खामोश हैं।

हाईवे का दायरा छिनने से बिगड़े हालात
दिल्ली से देहरादून जाने के लिए यही एक मात्र हाईवे है। गत वर्ष रैपिड रेल प्रोजेक्ट की चर्चा चली तो एनएचएआइ ने एनएच-58 से मेरठ के परतापुर तिराहे से गाजियाबाद तक के हिस्से को अलग कर दिया। इसका स्टेटस स्टेट हाईवे का हो गया। अब इसका जिम्मा प्रदेश सरकार का है।
दो सौ करोड़ मिलें तो बने बात
हाईवे की परेशानी दूर करने के लिए गाजियाबाद प्रशासन ने दो सौ करोड़ का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। प्रस्ताव में मेरठ और गाजियाबाद के बीच रोड का छह लेन तक चौड़ीकरण करने का आग्रह किया है। मरम्मत का बजट अफसरों ने नहीं भेजा और भारी-भरकम राशि सरकार ने नहीं दी।
इन्होंने कहा
पहले बरसात और अब किसान यात्रा के कारण के मरम्मत कार्य बाधित हुआ है। करीब पांच करोड़ रुपये मरम्मत पर खर्च होंगे। अगले दस दिन में मरम्मत कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।
-मनीष वर्मा, अधिशासी अभियंता लोनिवि गाजियाबाद
किसान क्रांति यात्रा को लेकर कई रूटों पर ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है। एक-दो दिन में ट्रैफिक सामान्य हो जाएगा। मेरठ और गाजियाबाद पुलिस को भी जाम न लगने देने के लिए निर्देशित किया है।
-प्रशांत कुमार, एडीजी, मेरठ जोन
हाईवे मरम्मत के लिए संबंधित विभाग को निर्देशित किया है। जाम के मुख्य कारणों की रिपोर्ट भी तैयार कराई जा रही है। साथ हाईवे पर जाम न लगे इसके विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।
-अनीता सी मेश्राम, आयुक्त

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.