भूमाफिया पर मेहरबानी से आयुक्त नाराज, 15 दिन का दिया अल्टीमेटम
भूमाफिया की कमर तोड़ना शासन की प्राथमिकता में है। लेकिन कुछ अधिकारी इसमें ढिलाई बरत रहे हैं। अब आयुक्त अनीता सी मेश्राम ने अधिकारियों को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 03:43 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 03:43 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। मेरठ मंडल में भूमाफिया खुलकर खेल रहे हैं। अधिकारी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। 2353 मामले लंबित हैं। मेरठ, बागपत और बुलंदशहर में लापरवाही सबसे ज्यादा है। इससे नाराज कमिश्नर अनीता सी मेश्राम ने पत्र लिखकर 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है। गांवों के नक्शों को डिजिटल करने में भी अफसर लापरवाही बरत रहे हैं।
सरकार की प्राथमिकता है
भूमाफिया पर शिकंजा सरकार की प्राथमिकता में है, लेकिन मंडल के अधिकारी इसे लेकर गंभीर नहीं है। पिछले दिनों कमिश्नर की समीक्षा बैठक में सामने आया था कि कुल 9608 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से 2353 पर निर्णय नहीं हो सका है। बुलंदशहर, बागपत और मेरठ में लंबित मामलों की संख्या सर्वाधिक है।
ऑनलाइन नहीं हुए गांवों के नक्शे
दूसरा महत्वपूर्ण कार्य गांवों के नक्शों को डिजिटलाइज करने का है। यह राजस्व परिषद की सर्वोच्च प्राथमिकता है। 31 दिसंबर तक इसे पूर्ण करना था, लेकिन मंडल में यह कार्य भी काफी पीछे है। अंतिम तिथि के बाद भी एक महीना बीत गया है। कमिश्नर की समीक्षा में गौतमबुद्धनगर में 401 में से 311, बुलंदशहर में 1505 में से मात्र 349, बागपत में 530 में से केवल 37, हापुड़ में 326 में से केवल 68 तथा मेरठ में 1031 में से 635 नक्शे ही डिजिटलाइज हो सके हैं। बागपत के अफसरों का कहना है कि 22 गांवों के नक्शे इतने जीर्णशीर्ण हो गए हैं कि उनकी स्केनिंग नहीं की जा सकती है।
प्रधानमंत्री बीमा योजना का भी नहीं मिला लाभ
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना तथा सुरक्षा बीमा योजना के तहत मंडल में कुल 3,18,157 पात्रों की फीडिंग होनी थी, लेकिन हुई मात्र 1,36,557 की। 1,81,600 अभी भी बाकि हैं। गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और मेरठ में हालात ज्यादा खराब हैं।
15 दिन में परिणाम दें
मंडलायुक्त अनीता सी मेश्राम ने लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए पत्र लिखकर सभी जिलों से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा है कि अफसर अतिरिक्त स्टाफ लगाकर कार्य पूर्ण कराएं। लेखपालों की संख्या काफी कम है, लिहाजा नक्शों का सत्यापन तहसीलदार और एसडीएम से कराएं। पूरे कार्य पर डीएम खुद नजर रखें।
सरकार की प्राथमिकता है
भूमाफिया पर शिकंजा सरकार की प्राथमिकता में है, लेकिन मंडल के अधिकारी इसे लेकर गंभीर नहीं है। पिछले दिनों कमिश्नर की समीक्षा बैठक में सामने आया था कि कुल 9608 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें से 2353 पर निर्णय नहीं हो सका है। बुलंदशहर, बागपत और मेरठ में लंबित मामलों की संख्या सर्वाधिक है।
ऑनलाइन नहीं हुए गांवों के नक्शे
दूसरा महत्वपूर्ण कार्य गांवों के नक्शों को डिजिटलाइज करने का है। यह राजस्व परिषद की सर्वोच्च प्राथमिकता है। 31 दिसंबर तक इसे पूर्ण करना था, लेकिन मंडल में यह कार्य भी काफी पीछे है। अंतिम तिथि के बाद भी एक महीना बीत गया है। कमिश्नर की समीक्षा में गौतमबुद्धनगर में 401 में से 311, बुलंदशहर में 1505 में से मात्र 349, बागपत में 530 में से केवल 37, हापुड़ में 326 में से केवल 68 तथा मेरठ में 1031 में से 635 नक्शे ही डिजिटलाइज हो सके हैं। बागपत के अफसरों का कहना है कि 22 गांवों के नक्शे इतने जीर्णशीर्ण हो गए हैं कि उनकी स्केनिंग नहीं की जा सकती है।
प्रधानमंत्री बीमा योजना का भी नहीं मिला लाभ
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना तथा सुरक्षा बीमा योजना के तहत मंडल में कुल 3,18,157 पात्रों की फीडिंग होनी थी, लेकिन हुई मात्र 1,36,557 की। 1,81,600 अभी भी बाकि हैं। गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर और मेरठ में हालात ज्यादा खराब हैं।
15 दिन में परिणाम दें
मंडलायुक्त अनीता सी मेश्राम ने लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए पत्र लिखकर सभी जिलों से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा है कि अफसर अतिरिक्त स्टाफ लगाकर कार्य पूर्ण कराएं। लेखपालों की संख्या काफी कम है, लिहाजा नक्शों का सत्यापन तहसीलदार और एसडीएम से कराएं। पूरे कार्य पर डीएम खुद नजर रखें।
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