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मेरठ शहर को अभी नहीं मिलेगा गंगाजल, नहीं हुई प्‍लांट की सफाई

भोला की झाल स्थित100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सफाई एक माह बाद भी पूरी नहीं हो सकी। जिसके चलते शहर को गंगाजल आपूर्ति अभी नहीं हो पाएगी। शनिवार को निरीक्षण में पहुंचे नगर निगम जलकल और जल निगम के अधिकारियों को प्लांट में अव्यवस्था मिली।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 04:40 PM (IST)Updated: Sat, 21 Nov 2020 04:40 PM (IST)
मेरठ शहर को अभी नहीं मिलेगा गंगाजल, नहीं हुई प्‍लांट की सफाई
भोला की झाल स्थित100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट

मेरठ, जेएनएन। भोला की झाल स्थित100 एमएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सफाई एक माह बाद भी पूरी नहीं हो सकी। जिसके चलते शहर को गंगाजल आपूर्ति अभी नहीं हो पाएगी। शनिवार को निरीक्षण में पहुंचे नगर निगम, जलकल और जल निगम के अधिकारियों को प्लांट में अव्यवस्था मिली। अपर नगर आयुक्त श्रद्धा शाण्डिल्यायन ने नाराजगी जताई। कार्यदायी संस्था के अधिकारियों को सोमवार को तलब किया है।

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सुबह 11.30 बजे अपर नगर आयुक्त श्रद्धा शाण्डिल्ययन, महाप्रबंधक जल रतन लाल, सहायक नगर आयुक्त ब्रजपाल सिंह, अधिशासी अभियंता जल निगम यांत्रिकी अमित सहरावत प्लांट के निरीक्षण पर पहुंचे। अधिकारियों को गंगाजल आपूर्ति लायक स्थिति में प्लांट नहीं मिला। केवल 40 फीसद ही सफाई हो सकी। जल निगम नागर इकाई के परियोजना प्रबंधक और ठेका एजेंसी के जिम्मे यह काम है। नगर आयुक्त के अवकाश पर होने के कारण अपर नगर आयुक्त ने प्लांट देखने के बाद सोमवार को ठेकेदार और कार्यदायी संस्था जल निगम नागर इकाई के परियोजना प्रबंधक को अनुबंध पत्र के साथ तलब किया है।निरीक्षण के बाद अधिकारियों का कहना है कि प्लांट की सफाई पूरी होने के बाद ही गंगाजल आपूर्ति शुरू की जाएगी। गौरतलब है कि 15 अक्टूबर को गंगनहर सफाई के लिए बन्द हुई थी। नगर निगम की लापरवाही का आलम यह है कि एक माह से अधिक का समय गुजर गया लेकिन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सफाई पूरी नहीं हो पायी। जबकि हरिद्वार से मेरठ तक गंगनहर सिंचाई विभाग ने तय अवधि में साफ कर दी और गंगनहर चालू भी हो गई। दरअसल, नगर निगम के अधिकारी पहले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सफाई को लेकर सजग ही नहीं थे। जब जिलाधिकारी के बाला जी ने नाराजगी जताई तब निगम अफसरों को गंगाजल प्लांट की सफाई याद आयी। नतीजा यह है कि शहर की लगभग 10 लाख आबादी गंगाजल को तरस रही है। निगम नलकूपों के जरिये भूजल दोहन कर इस आबादी तक पेयजल पहुंचा रहा है। लेकिन यह पेयजल बिना ट्रीटमेंट के पिलाया जा रहा है।


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