क्या ठगे गए व्यापारी : बफर जोन फार्मूले की जिद में अब भी लॉक हैं मेरठ शहर के बाजार Meerut News
जिला प्रशासन ने बाजारों को खोलने की अनुमति शुक्रवार की रात को दी लेकिन फार्मूला ऐसा फिट किया कि शहर के बाजार के ताले ढाई महीने बाद भी न खुल पाए।
मेरठ, जेएनएन। जिला प्रशासन ने बाजारों को खोलने की अनुमति शुक्रवार की रात को दी, लेकिन फार्मूला ऐसा फिट किया कि शहर के बाजार के ताले ढाई महीने बाद भी न खुल पाए। प्रशासन भले आज पीठ थपथपा ले लेकिन मेरठ के बाजार और व्यापारियों का आक्रोश और बढ़ गया है। वे अपने को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं।
शहर के बड़े बाजार तो बंद ही रहेंगे
स्थानीय प्रशासन के बफर जोन में व्यापार संचालन की अनुमति न देने की वजह है कि आबूलेन, सदर बाजार, लालकुर्ती, घंटाघर, सेंट्रल मार्केट, बेगमपुल-बेगमबाग जैसे बाजार अगले आदेश या जब तक बफर जोन से बाहर न निकल जाएं, नहीं खुल पाएंगे। वैसे मेरठ के बाजारों की सूची इनके बिना क्या शुरू भी हो सकती है, इसे जनप्रतिनिधि भी भलीभांति जानते हैं लेकिन उनका मौन दर्शाता है कि वे सरेंडर कर चुके हैं और वे इस निर्णय से सहमत हैं।
नोएडा का दिया उदाहरण
अधिकांश व्यापारी कंटेनमेंट जोन या जहां केस मिले हैं, उसके आसपास के क्षेत्रों में पूर्णबंदी पर तो राजी हैं, लेकिन बफर जोन को लेकर उनका धैर्य जवाब दे रहा है। उनका तर्क है कि मेरठ से अधिक एक्टिव केस नोएडा में हैं। वहां बफर जोन तो छोडि़ए, कंटनेमेंट जोन में भी सशर्त व्यापार की अनुमति काफी पहले से मिल गई है। लखनऊ की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही है। वहां भी बफर जोन में व्यापार संचालन में दिक्कत नहीं आ रही। हां, आगरा में सूबे में सबसे अधिक केस हैं लिहाजा वहां बफर जोन में व्यापारिक गतिविधियों पर रोक है। लेकिन आगरा की संख्या से मेरठ के कुल संक्रमित आधे से भी कम हैं।
बफर जोन के फार्मूले की हठ
वैसे भी प्रदेश सरकार द्वारा जारी निर्देश में धारा चार उपधारा पांच में इस बात का उल्लेख है कि बफर जोन की व्यवस्था स्थानीय प्रशासन को देखनी है। ऐसे में व्यापारी यही सवाल उठा रहे हैं कि जब व्यवस्था बनाने की बात आई तो हम प्रशासन के साथ खड़े रहे, लेकिन आज जब गेंद प्रशासन के पाले में है और व्यापारिक गतिविधियों को शुरू करने की व्यवस्था बनानी थी तो प्रशासन अपने बफर जोन के फार्मूले की हठ में है और कोई राहत देने को तैयार नहीं।
प्रक्रिया अब रोजाना तय होगी
अब शहर के प्रमुख बाजारों के खुलने की तिथि हॉटस्पॉट के खत्म होने पर निर्भर होगी। हॉटस्पॉट के ग्रीन जोन में बदलने के बाद ही संबंधित अपर नगर मजिस्ट्रेट उसमें शामिल बाजारों को खोले जाने की प्रक्रिया निर्धारित करेंगे। उसी के आधार पर बाजार खुल सकेंगे। सीधे शब्दों में कहा जाए तो बाजारों के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया अब रोजाना तय होगी। जिस क्षत्र में संक्रमित मरीज मिलेगा उसे तत्काल सील कर दिया जाएगा तथा जहां संक्रमण खत्म हो जाएगा वहां गतिविधियां शुरू हो जाएंगी।