अब मेरठ छावनी की दुकान और मकान के मालिक बन जाएंगे किराएदार, कैंट बोर्ड की आय बढ़ाने के लिए उठाया कदम
Meerut Cantt Board यह मेरठ कैंट में रहने वालों के लिए राहतभरी खबर है कि वे अब दुकान और मकान के मालिक बन सकेंगे। रक्षा मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना 30 दिन तक आपत्ति व सुझाव का समय अभी तय नहीं हुआ है फ्रीहोल्ड की दर।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Meerut Cantt Board मेरठ के छावनी क्षेत्र की करीब 11 हजार 300 दुकानों, मकानों जैसे संपत्तियों का मालिकाना हक अब उनके किराएदारों को मिलने वाला है। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए अधिसूचना जारी की है। इस पर किसी तरह की आपत्ति या सुझाव के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। यह निर्णय लोगों को बड़ी राहत देगा। अभी तक किराएदार होने की वजह से मकान या दुकान में कोई परिवर्तन नहीं कर किया जा सकता है।
कैंट बोर्ड की माली हालत सुधरेगी
मालिक बन जाने से नियमों के अंतर्गत उसमें बदलाव कर सकेंगे। दूसरों को बेच सकेंगे। जानकार बताते हैं कि इस तरह का निर्णय कैंट बोर्ड की माली हालत सुधारने के लिए लिया जा रहा है। दरअसल, पहली बात यह कि किराए के नाम पर आय मामूली होती है। दशकों से लोग उन पर काबिज हैं जिससे उसे खाली कराना आसान नहीं है। इसलिए अब उसे किराएदार को ही बेच कर आय हो जाएगी।
किराएदार के नाम रजिस्ट्री हो सकेगी
फ्रीहोल्ड के इस नियम के तहत किराएदार के नाम रजिस्ट्री हो सकेगी। बहरहाल अभी फ्रीहोल्ड की दर तय नहीं हुई है। लीज, लाइसेंस, मकानों के छत पर मोबाइल टावर लगाने का आमंत्रणकैंट की संपत्तियों को लीज या लाइसेंस के तहत लेने या फिर छतों पर मोबाइल टावर लगाने, चलता हुआ टावर के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किया गया है। लीज नवीनीकरण का आया समयजिन लोगों की कैंट की जमीन का लीज समय समाप्त हो गया है उनके लिए नवीनीकरण के फार्म भरे जा रहे हैं। 90 दिन में नवीनीकरण कराया जा सकता है।
नगर निगम में शामिल होने की ओर बढ़ा कदम
राज्यसभा सदस्य व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि फ्रीहोल्ड जमीन करने का निर्णय स्वागत योग्य है, इससे कैंट के आबादी क्षेत्र के लोगों का जीवन सुधर जाएगा। वर्तमान में उत्पीड़न वाले नियमों से मुक्ति मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि आबादी क्षेत्र को नगर निगम में शामिल करने की तरफ यह कदम है। बताया कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष रहने के दौरान बनारस की तर्ज पर आबादी क्षेत्र को नगर निगम क्षेत्र में शामिल कराने का निवेदन तत्कालीन रक्षा मंत्री से किया था। उसी क्रम में रक्षा मंत्रालय ने यह मांग पूरी की है। कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष सुनील वाधवा ने कहा कि आबादी क्षेत्र नगर निगम में शामिल हो जाए तो बहुत बेहतर रहेगा। कैंट बोर्ड को अब मंत्रालय की ओर से हर साल दिया जाने वाला बजट पांच साल से बंद कर दिया गया है। इससे उसका खर्च नहीं निकल पा रहा है।