Move to Jagran APP

Meerut News: वर्ष 1971 में पाकिस्तान से जेसोर छीनने वाले लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया को छावनी ने दी श्रद्धांजलि

Lt Gen JS Gharaya ग्रासफार्म रोड पर पाइन डिवीजन ने लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया की प्रतिमा के साथ बनाया घराया चौक। पाइन डिव के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल मनीष लूथरा ने सोमवार को किया अनावरण। बड़ी संख्‍या में जवान मौजूद रहे।

By Amit TiwariEdited By: PREM DUTT BHATTPublished: Mon, 28 Nov 2022 12:40 PM (IST)Updated: Mon, 28 Nov 2022 12:40 PM (IST)
Meerut News: वर्ष 1971 में पाकिस्तान से जेसोर छीनने वाले लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया को छावनी ने दी श्रद्धांजलि
Lt Gen JS Gharaya News मेरठ कैंट में सोमवार को लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया को श्रद्धांजलि दी गई।

अमित तिवारी मेरठ। Lt Gen JS Gharaya वर्ष 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ भारतीय सेना ने सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना की सबसे सुरक्षित छावनी कहीं जाने वाली जेसोर को छीनने में अहम भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया को मेरठ छावनी ने श्रद्धांजलि दी है। वह पाइन डिव के जनरल आफिसर कमांडिंग भी रहे थे।

loksabha election banner

घराया चौक तैयार किया

इसके साथ ही पाइन डिव इसके अंतर्गत 42 ब्रिगेड के कमांडर और बिहार रेजिमेंट की नौवीं बटालियन के पहले कमान अधिकारी भी रहे। बटालियन के सैनिकों ने ही जनरल घराया की प्रतिमा तैयार कर मेरठ छावनी में ग्रास फार्म रोड पर घराया चौक तैयार किया है। घराया चौक पर लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया की प्रतिमा का अनावरण सोमवार को पाइन डिव के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल मनीष लूथरा ने किया।

जोश भरने वाले संदेशों से सजाया गया

गो अनुसंधान केंद्र के सामने घराया चौक के साथ ही यहां की दीवारों को भी जोश भर देने वाले अफसरों व सैनिकों के आदेश व सेना के संदेश से सजाया गया है। इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल घराया के बेटे हरशरणजीत सिंह पत्नी सोनिका, बेटी जपनीत और बेटे आदेश वीर के साथ चंडीगढ़ से मेरठ कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। जपनीत और आदेश आस्ट्रेलिया और अमेरिका में रहते हैं।

महावीर चक्र और कीर्ति चक्र पाने वाले एकमात्र अफसर

अपने विशिष्ट सेवा, साहस और शौर्य के लिए महावीर चक्र और कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले सेना के एकमात्र अफसर घराया हैं। लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया 31 जुलाई 1926 को चंडीगढ़ में जन्मे। जनरल घराया कि स्कूली शिक्षा किंग जार्ज रायल इंडियन मिलिट्री कालेज, जो अब राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल चैल है, से हुई थी। इमरजेंसी कमीशन के तहत 20 जनवरी 1946 को सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर वह फ्रंटियर फोर्स रेजीमेंट में शामिल हुए। वहां से उन्हें स्वतंत्रता के बाद बिहार रेजीमेंट में स्थानांतरित किया गया।

आतंकियों के पीछे लग गए थे

बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन में सेवा के दौरान उन्होंने वर्ष 1948 में 24 सितंबर आपरेशन पोलो में हिस्सा लिया था। उस समय कैप्टन के तौर पर बटालियन में कार्यरत घराया ने पुचानापेट की ओर जाते समय रजाकारों के दो ट्रकों से हमले का सामना किया था। पीछे हटने की बजाए वह अपनी जीप से ही आतंकियों के पीछे लग गए और हमला जारी रखा। दो राजाकारों को मार गिराने में सफल भी हुए। बाद में रजाकारों के वाहन चालक की भी मृत्यु हो गई और ट्रक रुक गया। रजाकारों ने मोर्चा संभाला और लड़ाई जारी रखी। तब लाइट मशीन गन से केवल 1 बर्स्ट से 12 रजाकारों को कैप्टन घराया ने मार गिराया था। ऑपरेशन के दौरान छह .303 राइफल, छह हेनरी मार्टिनी राइफल, एक पिस्तौल जप्त की गई थी। इसके साथ ही विभिन्न आपरेशनों के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा से ऊपर उठकर उन्होंने रजाकारों को घेरने में अहम भूमिका निभाई जिसके लिए उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था।

जेसोर में दिखाई गई वीरता के लिए मिला महावीर चक्र

लेफ्टिनेंट जनरल घराया बिहार रेजिमेंट के नौवीं बटालियन के पहले कमान अधिकारी थे। उन्होंने एक नवंबर 1965 को बटालियन की कमान संभाली और उन्हीं की अगुवाई में बटालियन मिजोरम पहुंची। वर्ष 1969 में लेफ्टिनेंट कर्नल बन चुके घराया को उनकी साहसिक सेवाओं के लिए विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा गया था। 20 जनवरी 1971 को उन्हें एक माउंटेन ब्रिगेड की कमान संभालने की जिम्मेदारी दी गई जिसमें वह कार्यकारी ब्रिगेडियर के तौर पर जुड़े। भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया पाइन डिव की 42 ब्रिगेड की अगुवाई की और कमांडर बने।

बांग्लादेश को आजाद कराया

उन्होंने दक्षिणी पश्चिमी बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने की भूमिका निभाई। नवंबर 1971 में सेना की 14 पंजाब और 45 कैवेलरी की एक स्क्वाड्रन घराया की अगुवाई में वोयरा को जीतने में सफल रहे। इस आपरेशन में पाकिस्तानी सेना की 107 ब्रिगेड ने पूरा जोर लगाकर हमला किया था लेकिन घराया और उनके साथियों को रोक नहीं पाए। छह दिसंबर को उन्होंने जख्मी होने के बावजूद अपनी ब्रिगेड की अगुवाई की और जेसोर क्षेत्र पर कब्जा करने में अहम भूमिका निभाई। बुरी तरह जख्मी होने के बावजूद सैनिकों के साथ आगे बढ़ते रहने के लिए ही उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया था।

इन्फैंट्री महानिदेशक पद से हुए सेवानिवृत्त

वर्ष 1971 के युद्ध में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले ब्रिगेडियर घराया को 30 दिसंबर 1976 को मेजर जनरल बनाया गया। इसके बाद उन्होंने सेना की नौवीं व सातवीं इन्फेंट्री डिवीजन के जीओसी रहे। एक जुलाई 1982 को लेफ्टिनेंट जनरल बने और मध्य कमान के चीफ आफ स्टाफ के तौर पर सेवाएं दी। उनकी अंतिम नियुक्ति महानिदेशक इन्फेंट्री के तौर पर हुई और यही से वर्ष 1984 में सेवानिवृत्त हुए। 13 जुलाई 2019 को 92 वर्ष की उम्र में लेफ्टिनेंट जनरल जेएस घराया ने चंडीगढ़ स्थित आवास पर अंतिम सांस ली।

यह भी पढ़ें : Meerut News: एमडीए के फ्लैटों के दाम घटाकर ''पहले आओ'' योजना से बेचने की तैयारी, पढ़ें पूरी जानकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.