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150 करोड़ का मेडिकल ब्लाक है, पर जुगाड़ से इलाज होगा

मेडिकल स्थित सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक के आठ में से सिर्फ चार विभागों में ही शुरू होगा इलाज। विभाग के उपकरणों में 16 करोड़ की कटौती होगी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 12:08 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 12:08 PM (IST)
150 करोड़ का मेडिकल ब्लाक है, पर जुगाड़ से इलाज होगा
150 करोड़ का मेडिकल ब्लाक है, पर जुगाड़ से इलाज होगा
मेरठ (संतोष शुक्ल)। मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा का फिलहाल आधा-अधूरा डोज मिलेगा। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत 150 करोड़ की लागत से बने इस ब्लाक में आठ में से सिर्फ चार विभागों में इलाज शुरू होगा। नए डाक्टरों का जुगाड़ किया जा रहा है। चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता में भी समझौता होगा। कारण दिसंबर तक इलाज शुरू करने का दबाव है।
24 डाक्टर चाहिए...दो ही मिले
प्रमुख सचिव चिकित्सा रजनीश ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी का हाल जाना। पता चला कि डीएम एवं एमसीएच जैसे उच्च डिग्री धारक चिकित्सक ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। 150 करोड़ की लागत से बने ब्लाक में न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी, कार्डियक, गुर्दा रोग विभाग, कैंसर, प्लास्टिक सर्जरी, रेडियोथैरेपी, पीडियाट्रिक समेत आठ विभागों के लिए कुल 24 डाक्टरों की जरूरत है। शासन ने 15 चिकित्सकों का पद स्वीकृत किया, लेकिन अब तक सिर्फ दो डाक्टरों का नाम फाइनल हो सका है। न्यूरोसर्जरी में डा. रोहित कांबोज व पीडियाट्रिक सर्जरी में डा. गौरव गुप्ता जिम्मा संभालेंगे। उधर, कैथ लैब के लिए शहर में नए कार्डियोलॉजिस्ट की खोज की जा रही है।
उपकरणों में 16 करोड़ का समझौता
सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक के आठ विभागों में आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को लेकर भी पेच फंस गया है। केंद्र सरकार ने 58 करोड़ जारी किए, जबकि मेडिकल कॉलेज ने 74 करोड़ का बजट बनाया है। 16 करोड़ की कमी पूरी करने के लिए कई उपकरणों में कटौती की तैयारी है। मेडिकल कॉलेज की टीम एम्स ऋषिकेश से मिलकर नए सिरे से बजट बनाएगी।
कैंसर की सिकाई में कोबाल्ट से चलाएं काम
कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की सिकाई के लिए अत्याधुनिक मशीन लीनियर एक्सलरेटर लगाने की योजना थी, लेकिन अब कोबाल्ट-60 नामक रेडियोसोर्स से काम चलाना पड़ेगा। शासन ने इसके लिए मेडिकल प्राचार्य से प्रस्ताव मांगा है। बता दें कि लीनियर एक्सलरेटर से जहां मरीजों को रेडिएशन का खतरा नहीं होता, वहीं रेडियोसर्जरी भी की जा सकती है, जबकि कोबाल्ट से स्वस्थ कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं। यह 50 वर्ष पुरानी तकनीक है।
इनका कहना--
आठ से चार विभागों को एक साथ शुरू करने की योजना है, जिसके लिए दो सुपर स्पेशियलिटीके डाक्टर मिल गए हैं। कैंसर में रेडियोथैरेपी के लिए शासन ने कोबाल्ट-60 के लिए प्रस्ताव मांगा है। सुपर स्पेशियलिटी के चिकित्सक मिल नहीं पा रहे हैं।
डा. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज  

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