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कहानी मेरठ की एक ऐसी लड़की की, जो जूडो में बेटियों को बना रही एक्सपर्ट

बेटियों की सुरक्षा के लिहाज से मेरठ वर्षों से सवालों के घेरे में रहा है। यहां छेड़छाड़ की घटनाएं कम नहीं, लेकिन शास्त्रीनगर के सेक्टर-दो की तस्वीर कुछ हटकर है। यहां रहने वाली अधिकतर लड़कियां जूडो के दांव-पेच जानती हैं।

By Krishan KumarEdited By: Published: Wed, 15 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 15 Aug 2018 06:00 AM (IST)
कहानी मेरठ की एक ऐसी लड़की की, जो जूडो में बेटियों को बना रही एक्सपर्ट

जमाना कहता है कि बेटियां फूल-सी होती हैं। यह सौ फीसदी सच भी है, लेकिन फूल-सी बेटियों पर गर कोई नजर उठाए तो वे फौलाद बन जाएं, ऐसा भावना का मानना है। दरअसल भावना शर्मा जूडो एक्सपर्ट हैं और बेटियों को इतना मजबूत बना देना चाहती हैं कि वे घर से स्कूल-कॉलेज आते-जाते, बाजार में निकलने, ट्यूशन जाने के समय कम से कम अपनी सुरक्षा तो खुद कर सकें।

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बेटियों की सुरक्षा के लिहाज से मेरठ वर्षों से सवालों के घेरे में रहा है। यहां छेड़छाड़ की घटनाएं कम नहीं, लेकिन शास्त्रीनगर के सेक्टर-दो की तस्वीर कुछ हटकर है। यहां रहने वाली अधिकतर लड़कियां जूडो के दांव-पेच जानती हैं। और यह सब संभव हो पाया है भावना शर्मा की वजह से। भावना अपनी कॉलोनी ही नहीं, शहर के स्कूल-कॉलेजों में भी पहुंचकर बेटियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा रही हैं, ताकि बेटियां अपने साथ होने वाले अपराध का वह खुद खरा जवाब दे सकें।

भावना कहती है कि जब भी उनकी किसी दोस्त के साथ घटना होती थी तो उनके भाई कॉलेज आकर बदमाशों को सबक सिखाते थे, लेकिन उसका कोई भाई नहीं था। इसलिए वह ऐसी घटनाओं को कड़वा घूंट समझकर पी लेती थी। लेकिन एक दिन उसने खुद को इतना मजबूत करने की ठानी, ताकि वह ऐसी घटनाओं से खुद ही निबट सके। यही वजह है कि भावना ने 2005 में जूडो सीखा। जूडो में एक्सपर्ट होने के बाद उसने ठान लिया कि वह हर बेटी को आत्मरक्षा के गुर सिखाकर सक्षम बनाएगी। तभी से भावना शर्मा शास्त्रीनगर, परतापुर, मोहकमपुर, स्कूल-कॉलेजों में बेटियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा रही हैं।

सरकारी साथ मिले तो हर बेटी अपराध से निपटने में बने सक्षम
साउथ एशियन गेम्स 2011 में सेंबो (रशियन मार्शल आर्ट) में गोल्ड मेडल जीत चुकी भावना कहती है कि वर्तमान में वह अपनी कॉलोनी की हर लड़की को जूडो के गुर सिखा रही है। यह काम वह बिना किसी लाभ के करती हैं। उनकी कॉलोनी में चेन स्नेचिंग, शराब पीकर युवाओं का हुड़दंग, छेड़छाड़ जैसी कोई वारदात अब नहीं होती, क्योंकि शास्त्रीनगर सेक्टर-दो की बेटियां ऐसे अपराधियों से निपटने के लिए खुद सक्षम हैं। भावना का कहना है कि वैसे तो वह कई कॉलोनियों की लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा रही है, लेकिन यदि सरकार से उन्हें मदद मिले तो वह पूरे शहर की बेटियों को मजबूत बना दे।

अब तक सैकड़ों लड़कियों और महिला पुलिसकर्मियों को दे चुकी है ट्रेनिंग
भावना शर्मा ने बताया कि उसने 2005 में जूडो सीखा। 2006 से वह बेटियों को जूडो सिखा रही है। अब तक वह लगभग दो हजार बेटियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं। इसमें मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, हापुड़, मेरठ जिले की युवतियां-बालिकाएं शामिल हैं।

मेरठ में आरजी, इस्माइला डिग्री कॉलेज आरपीजी, मेरठ पब्लिक गर्ल्स स्कूल, आइआइएमटी, बेसिक शिक्षा के सात से आठ स्कूलों में बेटियों को जूडो की ट्रेनिंग दे चुकी है। वर्तमान में भावना शर्मा महिला पुलिस को पुलिस लाइन में 120 से अधिक महिला पुलिसकर्मियों को जूडो की ट्रेनिंग दे रही है।

ये ताकत मिल जाए तो बदल देती शास्त्रीनगर की तस्वीर
भावना शर्मा बताती है कि इस मुकाम को पाने के लिए कई बार अपने परिवार का विरोध भी झेला है। लड़की होने के कारण उनकी कई बार शादी की बात आई, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। उनका कहना है कि अब वह सक्षम है तो सरकारी मदद कुछ नहीं है। यदि सरकारी अफसरों की उन्हें मदद मिले तो वह शहर की कईकॉलोनियों की बेटियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा सकती हैं।

उनकी कॉलोनी की कई लड़कियां तो ऐसी है, जिन्हें जूडो सिखाने के लिए जिस सामान की जरूरत होती है,वह उसे भी नहीं खरीद पाती, लेकिन उनके अंदर सीखने की लगन होती है। यदि ऐसी लड़कियों को सरकारी मदद मिल जाए तो तस्वीर बदलने में देर नहीं लगेगी।

सक्षम बनने की जरूरत

भावना शर्मा कहती हैं इस शहर की बात करूं तो महिला और लड़कियों को खुद सक्षम बनने की जरूरत है, ताकि वह विपरीत परिस्थितियों में खुद निपट सके। मेरा मकसद लड़कियों को आत्मरक्षा के प्रति जागरूक करना है। उनका कहना है कि लड़कियों को आत्मरक्षा के प्रति सतर्क करना अच्छा लगता है। आत्मरक्षा के प्रति नई पीढ़ी में अधिक जागरूकता आई है।

हरेक को सीखना चाहिए 
हमारा परिवार शास्त्रीनगर में रहता है। मैं अभी 12वीं में पढ़ रही हूं। हमारी कॉलोनी की 100 से अधिक लड़कियों को भावना मैडम आत्मरक्षा के गुर सिखा चुकी हैं। मैंने भी सीखा है। पहले हमें घर से निकलते हुए डर लगता था, लेकिन अब नहीं लगता। मुझे यकीन है कि यदि मेरे साथ कोई कुछ करेगा तो मैं उसे सबक सीखा दूंगी। भावना मैडम का काम देखकर मैंने भी ठान लिया है कि मैं भी उनकी तरह लड़कियों को सक्षम बनाऊंगी। भावना मैडम की कहानी सुनती हूं तो सोचती हूं कि हर लड़की को उनसे सीखना चाहिए।
-प्रियांशी शर्मा, शास्त्रीनगर

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