फोरमः मेरठ की मंजिल हुई आसां...शहर को संवारने को मिला सबका साथ
मेरठ शहर को संवारने के लिए 11 लक्ष्य तय करके उस पर कदम आगे बढ़ाने का शंखनाद हुआ।
जागरण संवाददाता, मेरठ। क्रांतिधरा मेरठ से मेरठ शहर को संवारने के लिए 11 लक्ष्य तय करके उस पर कदम आगे बढ़ाने का शंखनाद हुआ। इसमें आमजन, शहर के प्रबुद्धजन, खास मुकाम हासिल करने वाली शख्सियत और संस्थाएं अपने-अपने स्तर से प्रतिभाग करेंगी। जहां भी अड़चन आएगी उसमें प्रशासन-शासन ही नहीं सरकार का भी सहयोग मिलेगा। दैनिक जागरण के महा अभियान माय सिटी माय प्राइड के अहम पड़ाव के मौके पर बुधवार को होटल कंट्री इन में केंद्र व राज्य सरकार के मंत्री, रियल हीरो-एक्सपर्ट, अलग-अलग दलों के जनप्रतिनिधियों, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों, शहर के प्रमुख लोगों की मौजूदगी में गहन मंथन हुआ।
शुभारंभ मुख्य अतिथि व केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री डा. सत्यपाल सिंह, विशिष्ट अतिथि व राज्य सरकार के परिवहन मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, स्थानीय सांसद राजेंद्र अग्रवाल व दैनिक जागरण के वरिष्ठ निदेशक धीरेंद्र मोहन गुप्त ने मां सरस्वती की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इससे पूर्व इन अतिथियों के साथ ही कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, शहर विधायक रफीक अंसारी व कैंट बोर्ड की उपाध्यक्ष वीना वाधवा का धीरेंद्र मोहन गुप्त ने पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। वरिष्ठ समाचार संपादक मुकेश कुमार के स्वागत संबोधन किया।
इसके बाद दैनिक जागरण समूह के प्रबंध संपादक तरुण गुप्ता ने महा अभियान की रूपरेखा और इसके मिशन से अवगत कराया। उन्होंने सरकारी स्तर से उठाने जाने योग्य कदमों को मंत्रियों व जनप्रतिनिधियों के समक्ष रखने के बाद जन सहयोग के लिए आह्वान किया कि सरकार की जिम्मेदारी पर ही सब कुछ क्यों डालें। जनता भी अपनी भागीदारी समझे। सब कुछ न सही, कुछ न कुछ हम तो कर ही सकते हैं और इसी आह्वान के साथ उन्होंने मुख्य अतिथि को संबोधन के लिए आमंत्रित करके कार्यक्रम को आगे बढ़ाया।
कार्यक्रम को तीन प्रमुख वर्गों में बांटा गया। पहला परिचय कार्यक्रम जिसमें माय सिटी माय प्राइड के उद्देश्य्, रियल हीरो के कामकाज से सभी रूबरू कराया गया। अतिथियों का परिचय कराया गया। दूसरा वर्ग मुख्य अतिथि डा. सत्यपाल सिंह, विशिष्ट अतिथि स्वतंत्र देव सिंह, स्थानीय सांसद राजेंद्र अग्रवाल व तीन रियल हीरो त्रिलोकचंद, राकेश कोहली व राजीव अग्रवाल का संबोधन हुआ। तीसरा वर्ग जनसंवाद का था। इसमें गहन मंथन के बाद सभी 11 लक्ष्य को धरातल पर लाने का संकल्प लिया गया। केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों ने इन लक्ष्यों को पूरा करने में सहयोग करने का वादा किया।
आश्वासन दिया कि नौ लक्ष्य जो जनसहयोग से अंजाम तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है उसमें जिस भी स्तर से अड़चन आएगी वे सहयोग करेंगे। वहीं जो दो लक्ष्य सरकार के स्तर से तय किए गए हैं, उसे भी पूरा कराने के लिए मुख्यमंत्री व केंद्र सरकार से गंभीरता से बात करेंगे। मेरठ यूनिट के महाप्रबंधक विकास चुघ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
किसने क्या विचार रखे
नई शिक्षा नीति ला रहे हैं, गुणवत्ता बढ़ेगी: डॉ. सत्यपाल सिंह
समाज को जागृत करना है। हर तबके को जागृत करना है। उनको अच्छे रास्ते पर लेकर आना है। माय सिटी माय प्राइड अभियान में जो पांच विषय लिए गए हैं, वे सभी महत्वपूर्ण विषय हैं। यह अभियान लोगों को आगे बढ़ाएगा। हमें बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। 10 फीसद भी सफलता मिलती है तो बहुत है। मेरी जिम्मेदारी आजकल शिक्षा व्यवस्था की है। पहले मैं पुलिस में था। मै स्वास्थ्य का प्रेमी हूं। बुनियादी जरूरत सबको है। अर्थव्यवस्था के बिना जब चाणक्य से एक सवाल पूछा गया कि सुख का मूल क्या है। चाणक्य ने जवाब दिया था धर्म। जब अगला सवाल किया गया कि धर्म का मूल क्या है।
उसकी जड़ क्या है तो चाणक्य ने कहा कि धर्म का मूल अर्थ है। अर्थात सही अर्थव्यवस्था। कहते भूखे भजन न होय गोपाला...। भूखे आदमी से पूछिए कि दो और दो चार कितने होते हैं तो वह कहेगा चार रोटी...।
इन सभी विषयों में सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा है। कहते हैं समाज के चार शत्रु हैं लेकिन समाज के तीन मुख्य शत्रु हैं। पहला शत्रु अज्ञान हैं। आपके पास कितना भी खाने-पीने को हो। किसी प्रकार की कमी न हो। शहर सुंदर हो। पर आपको मालूम न हो कि इसका उपयोग कैसे करना है तो सब बेकार है। आप बहुत अच्छे पढ़े-लिखे हो, विद्वान हो, प्रोफेसर हो, इंजीनियर हो लेकिन समाज को कोई बदमाश आता है और आपसे छीन कर ले जाता है।
समाज का दूसरे शत्रु का नाम अन्याय है। लोग अच्छे पढ़े-लिखे हैं। लेकिन खाने को कुछ नही है। पहनने को कुछ नहीं। रहने के लिए मकान नहीं। तो समाज के तीसरे शत्रु का नाम अभाव है। सभी प्रकार की गरीबी का नाम अभाव है...। इन शत्रुओं से कैसे लड़ा जाए। इसके लिए जागृति चाहिए। यह जागृति कैसे आएगी...तो मै कहता हूं कि इसका मूलमंत्र ही शिक्षा है। आज की शिक्षा में नैतिक और मानवीय मूल्यों की कमी आ गई है। देश का शिक्षामंत्री होने के नाते कहता हूं कि बहुत कुछ सुधार की जरूरत है।
भारत सरकार इसे लेकर चिंतित है। नई शिक्षा नीति ला रही है। जिसमें कमियों को दूर किया जा रहा। इससे शिक्षा में गुणवत्ता आएगी। यह नैतिक मूल्य और संस्कार वाली होगी। कहना चाहूंगा कि जितने मर्डर नहीं होते उससे कहीं ज्यादा आत्महत्याएं हो रही हैं। आत्महत्या पढ़े-लिखे लोग भी कर रहे हैं। आज की शिक्षा ने हमें यह भी नहीं सिखाया कि मानव जीवन क्या है। आदमी इतना हताश हो सकता है, इतना निराश हो सकता है कि खुद जीवन खत्म कर देगा।
एक दिन संसद में बहस चल रही थी। एक सांसद बोल रहे थे कि ओल्ड एज होम के लिए बजट कम है इसे बढ़ाना चाहिए। अर्थात बूढ़े लोगों के रहने के लिए घर में जगह नहीं है। मैने कहा कि जिस दिन हमारे बच्चों को यह पढ़ाया जाएगा कि मां-बाप से बड़ा दुनिया में कोई नहीं होता, उस दिन शिक्षा का महत्व होगा। जो शिक्षा बच्चों को संस्कार नहीं दे सकती, वह शिक्षा नहीं है। अगर हम अपने को स्वस्थ नहीं रख सकते है तो हमारी शिक्षा में कमी है। जिस दिन हम शिक्षित हो जाएंगे सड़क पर कूड़ा नहीं फेकेंगे। हमें ऐसी शिक्षा नहीं मिली कि हम निस्वार्थी बने। अच्छी शिक्षा से ही सत्य बोलने की हिम्मत आएगी।
-डॉ. सत्यपाल सिंह, केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री।
हवाई सेवा और ईएसआइ हास्पिटल खुलेगा
शहर के विकास के लिए माय सिटी माय प्राइड अभियान में पांच विषय और 11 बिंदुओं पर चर्चा हो रही है। मै पांच विषयों में से इंफ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता देता हूं। इसके दो पहलू हैं। एक तो मेरठ अन्य शहरों की अपेक्षा देश की राजधानी के निकट है। इसलिए ठीक से जुड़ाव हो गया। दू्सरा पहलू यह है कि इंटरनल स्ट्रक्चर ऐसा हो जो स्थानीय नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करें। हमें एक अवसर 1991 में मिला था जब मेरठ का विकास हो सकता था। लेकिन नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद का विकास हो गया और हम वंचित रह गए। हमसें बहुत कुछ छीन लिया गया था। मै मानता हूं कि उस समय मेरठ की कनेक्टिविटी मुख्य बाधा बनी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास की शुरुआत की है जिससे कनेक्टिविटी बेहतर हो रही है। एक्सप्रेस-वे हाईवे का कार्य तेजी से चल रहा है। 31 दिसंबर तक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का हापुड़ तक का काम पूरा हो जाएगा। डासना से मेरठ के बीच 32 किमी के ग्रीनफिल्ड का काम भी मार्च 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा।
मेरठ में रैपिड रेल भी आ रही है। इंटरनल कनेक्टिविटी के लिए रिंग रोड मिल जाए तो स्थानीय जाम जैसी समस्या का समाधान हो सकता है। स्वच्छता पर बात करें तो कूड़ा कहां जाएगा। यह व्यवस्था नगर निगम के अधिकारी नहीं कर पाए हैं। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना जिसका शिलान्यास एक जनवरी 2017 को हुआ था वह चालू नहीं हो पाया है। शहर में कूड़ा बड़ी समस्या है। खत्म ही नहीं हो रहा है। जनता हर कार्य में साथ देना चाहती है लेकिन प्रशासन भी सहयोग करे। प्रशासन का 75 फीसद सहयोग हो जाए तो शहर स्वच्छता में आगे बढ़ सकता है।
एक किमी. की ठंडी सड़क का स्वागत करता हूं। एक सड़क पहले बनाई जाए फिर हर सड़क में एक किमी. हिस्से का हरा-भरा ठंडा वातावरण वाला बनाया जाए। हवाई सेवा पर बात चल रही है। अक्टूबर में बिडिंग होनी है। मेरठ से उड़ान जरूर शुरू होगी। हाई कोर्ट की बेंच मेरठ को चाहिए, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। ईएसआइ हॉस्पिटल की नितांत जरूरत है। जगह की तलाश जारी है। प्रदेश सरकार से मिल जाएगी तो र्इएसआइ हॉस्पिटल भी बनेगा। देश को मेरठ ने खिलाड़ी दिए हैं जो हमारे लिए गौरव की बात है। मेरठ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का आयोजन होस्ट करेगा, इसके लिए मेरी ओर से भी जितनी मदद चाहिए, मैं करूंगा।
राजेंद्र अग्रवाल, सांसद मेरठ।
समस्या नहीं, समाधान बनिए :स्वतंत्रदेव सिंह
ठंडी सड़क। उसके दोनों किनारे पर दस हजार पौधे। चौराहों को गोद लेने का कार्य। लोगों में ट्रैफिक सेंस बढ़ाने को ट्रैफिक पार्क की शुरुआत...कितने अच्छे कार्य। माय सिटी माय प्राइड अभियान से जुड़े सभी जागरुक नागरिकों को बधाई...। मेरा नाता परिवहन से है। जितने भी लोग आतंकवाद से नहीं मरते उससे ज्यादा मौतें रोड एक्सीडेंट में हो रही हैं। मेरठ में ऑटो में छह लोग से कम नहीं बैठते हैं। दिल्ली में यह संख्या थोड़ी कम हो जाती है। लेकिन पुणे में केवल तीन लोग ही ऑटो में बैठते हैं। हमें पुणे शहर के लोगों से सीखने की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश सरकार नियमों को लेकर सख्त है। हरियाणा के बाद उप्र दूसरा राज्य है जहां ई-चालान की व्यवस्था लागू हो गई है। सीट बेल्ट लगाकर चलिए। अब आपको सिफारिश नहीं बचा सकती। आप समस्या न बनें बल्कि समाधान बनिए। परिवहन और रोड सेफ्टी का अभियान जन जागरण होना चाहिए। उन लोगों से कहना चाहूंगा जो खुद होटल में सोते हैं और चालक को गाड़ी में सोने के लिए छोड़ देते हैं। अगर चालक की नींद पूरी नहीं होगी तो दुर्घटना का खतरा रहेगा। इसलिए चालक के सोने की व्यवस्था भी करिए। हेल्मेट बेहद जरूरी है। परिवहन और स्वास्थ्य मिलकर एक पुरस्कार दे रहे हैं। दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद करने वाले व्यक्ति से पुलिस कोई पूछताछ नहीं करेगी। इसलिए जीवन भी बचाइए। हम प्रदूषण कम करने को लेकर भी कार्य कर रहे हैं। मेरठ, मुरादाबाद सहित जहां भी सीएनजी पम्प हैं, वहां सीएनजी बसें चलाने का काम हो रहा है। जन्नत एसी, डबल स्लीपर बसें भी चलाएंगे।
बात हवाई सेवा की है तो 150 किमी. की दूरी को लेकर कठिनाई आ रही है लेकिन इस पर भी काम चल रहा है कि मेरठ से उड़ान सेवा शुरू हो। सड़कों को लेकर निश्चिंत रहिए। योगी सरकार सड़कों को गढ्डामुक्त करने में जुटी है। योगी सरकार की प्राथमिकता में स्वास्थ्य भी है। डॉक्टरों के खाली पदों को भरने का कार्य हो रहा है। जीवन कैसा हो, यह सोचने की जरूरत है। लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से सीख लेनी चाहिए। वे जब दुनिया से गए तो न कोई बंगला था, न कोई प्रॉपर्टी। क्योंकि धन से सुख नहीं होता है ज्ञान से सुख आता है। स्वच्छता की बात करते हैं, लेकिन कूड़ा हम ही यहां-वहां फेंकते हैं। पॉलिथीन का उपयोग करते हैं। न सीवर लाइन, न रोड, न पेयजल सप्लाई और न बिजली लेकिन हम मकान बना लेते हैं।
अगर समस्या बनेंगे तो समाधान कैसे होगा। ऐसे तो विकास नहीं हो सकता है। इसलिए आप समस्या नहीं, समाधान बनिए।
-स्वतंत्रदेव सिंह, परिवहन राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश।
जनता निराश होती है, हताश नहीं होती
'माय सिटी माइ प्राइड' के तहत आयोजित पांच विषयों का चयन कर समाचारीय महाभियान चलाया, इसमें जनता की भागीदारी तय की गई। इसमें शहरों की सही तस्वीर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया। मुख्य रूप से चयनित पांच विषयों में अर्थव्यवस्था, शिक्षा, सुरक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वास्थ्य शामिल रहे और इसमें विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया। साथ ही समाज में रहकर उत्कर्ष काम करने वाले रियल हीरोज की प्रेरण देने वाली कहानियों को भी सामने लाया गया। विकास में सभी की भागीदारी जरूर होनी चाहिए। तमाम विषयों को लेकर संवाद, चर्चा और मंथन होना चाहिए। लक्ष्य की पूर्ति तभी होती है जब राजनीति विकास की हो। सवाल उठता है कि विकास क्या है?
आजादी के बाद देश ने काफी विकास किया है, हमारी अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें नंबर पर है। बात संपूर्ण विकास की करें तो देश में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार ही संपूर्ण विकास है। मेरठ की बात करें तो अभी भी यहां बहुत कुछ किया जाना बाकी है। बात बुनियादी ढांचे की करें तो बरसात में जलभराव, सड़कों का टूटना यहां हर बार होता है। नाले अटे पड़े हैं, कूड़ा उठना बंद हो गया है। सीवर ट्रीटमेंट प्लांट काम नहीं कर रहे हैं। कनेक्टिविटी में मेरठ-एक्सप्रेस वे का काम धीमी गति से चल रहा है और कई योजनाएं अभी कागजों पर ही हैं।
हम आशावादी लोग हैं, हम बेहतर होने की आशा कर सकते हैं। शहर में हर व्यक्ति अपने आप को सुरक्षित महसूस करता हो, अभी ऐसा नहीं है। हाई कोर्ट बेंच के मामले में भी कोई ठोस प्रगति अभी नहीं हो रही है। जिला अस्पताल की हालत भी किसी से छिपी नहीं है। कुछ वर्ष पहले तक उम्मीद थी कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में यहां काफी प्रगति होगी, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ होता नजर नहीं आया। लोकतंत्र में सारी जिम्मेदारी सरकार की हो, ऐसा भी नहीं है। लोकतंत्र में बड़े बदलाव के लिए जनता की भागीदारी अधिक जरूरी है। क्योंकि जनता निराश होती है, हताश नहीं होती।जनता विश्वास के साथ भागीदारी करती है और उम्मीद के साथ चुनाव में सम्मलित होती है। सभी समस्याओं का निदान हो जाए, ऐसा भी नहीं है। लेकिन हमारा प्रयास है कि सामुहिक संवाद से सकारात्मक परिवर्तन हो।
- तरुण गुप्त, प्रबंध संपादक, दैनिक जागरण
धीरे-धीरे ही सही काफी बदला है मेरठ
हर शहर की अपनी समस्याएं होती है, यहां भी कुछ दिक्कतें हैं। कुछ समस्याएं इतनी विकट हैं कि पिछले 70 सालों में उनका समाधान नहीं हो सका है। लेकिन इसके लिए सरकार के साथ हम भी दोषी हैं। क्योंकि हम हर बात के लिए सरकार की ओर नहीं देख सकते। हमें अपने अंदर भी कुछ बदलाव करने होंगे। मेरठ खेल उद्योग का हब है। यहां स्पोर्टस इंडस्ट्री विश्व में अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं। लेकिन अब भी हम विदेशों से काफी पीछे हैं। विदेशों में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार हमेशा आगे रहती है। हमें विदेशी खेल सामग्री का क्वालिटी के मामले में कैसे सामना करना है, इस पर भी ध्यान देना चाहिए। हालांकि समय के साथ मेरठ में काफी बदलाव आया है। अब यहां विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के लिए कई एनजीओ भी आ रहे हैं और काफी बेहतर कर रहे हैं। इसके अलावा सबसे अधिक जरूरी अभिभावकों को भी अपने बच्चों को संस्कार के साथ बेहतर भविष्य की सीख भी देनी होगी। इसके लिए हम लोगों से चर्चा भी करते हैं और समझाने का प्रयास भी होता है। बच्चे अच्छे नागरिक बनेंगे तो तमाम समस्याओं का हल अपने आप ही हो जाएगा।
- त्रिलोक आनंद, वाइस चेयरमैन, एसजी
ईएसआइ अस्पताल खुले तो, मरीजों को मिले राहत
देश में अब भी 75 प्रतिशत लोगों को जानकारी नहीं है कि सीट बेल्ट लगाने के बाद ही दुर्घटना के समय गाड़ी में लगा एयर बैलून खुलता है। ऐसे में जानकारी के लिए गाड़ी में एक स्टीकर लगाना जरूरी कीजिए क्योंकि जानकारी न होने के कारण ही तमाम लोग दुर्घटना का शिकार होते हैं। इसके अलावा बड़ी समस्या यहां ईएसआइ अस्पताल के न होने को लेकर है। अब भी ईएसआइ के मरीज को उपचार के लिए सहारनपुर से अनुमति लेनी पड़ती है। कई बार ईएसआइ अस्पताल को लेकर विभिन्न मंचों पर मांग उठाई जा चुकी है, लेकिन ठोस पहल अभी तक नहीं हो सकी है।
मेरा मानना है कि निजी अस्पताल में उपचार कराने वाला व्यक्ति एक तरह से राष्ट्रहित का काम ही करता है, क्योंकि निजी अस्पताल में उपचार होने से सरकारी अस्पताल में उस व्यक्ति को मिलने वाली सुविधा का लाभ किसी गरीब को मिल जाता है। वर्तमान समय में निजी चिकित्सकों की अपनी समस्याएं हैं। चिकित्सकों को ईएसआइ और सीजीएचएस द्वारा किए गए उपचार के बाद भुगतान के लिए भी चक्कर काटने पड़ते हैं। अब भी छह-छह महीने का भुगतान नहीं हुआ है। हम अपनी शिकायतें रखते हैं, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। इसके अलावा चिकित्सकों की सुरक्षा भी बड़ा मुददा है। हमें सम्मान चाहिए, सुरक्षा चाहिए। मेडिकल प्रैक्टिशनर एक्ट का भी पुलिस प्रयोग नहीं करती।
- डा. राजीव अग्रवाल, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट
टैक्स में छूट मिलें तो चमक जाएगी खेल इंडस्ट्री
देश में खेल इंडस्ट्री से बड़ी कोई इंडस्ट्री नहीं है। कहीं न कहीं हर व्यक्ति खेल से जुड़ा हुआ है। बात खेल उद्योग की करें तो पहले सियालकोट में खेल से संबंधित समाग्री का निर्माण होता था। बाद में पंजाब के जालंधर में बड़े स्तर पर खेल सामग्री का उत्पादन शुरू किया। इसके बाद मेरठ में स्पोट्र्स इंडस्ट्री का उदय हुआ। वर्तमान स्थिति में मेरठ का खेल उद्योग जालंधर से आगे हैं। जबकि कुछ समय पहले तक जालंधर की ही खेल उद्योग में राज था। लेकिन मेरठ ने पिछले कुछ वर्षों में सीमित संसाधनों में भी काफी विकास किया है। अपने दम पर तेजी से विकसित हुए खेल उद्योग का आज विश्व में अपना नाम है। बात अपने देश की करें तो खेल उद्योग में मेरठ की भागीदारी 45 प्रतिशत से अधिक है। खेल जगत में मेरठ ने कई ब्रांड क्रिएट किए हैं। अभी भी यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। अगर इनकम टैक्स और जीएसटी में छूट मिले तो यहां का खेल उद्योग काफी तेजी से आगे आएगा। इसके अलावा सरकार को उद्योग के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाओं के विस्तार पर भी ध्यान देना चाहिए। हालांकि काफी कुछ पहले की अपेक्षा सुधर चुका है, लेकिन अभी भी काफी कुछ करने की जरूरत है। इसके साथ ही कंटेनर डिपो व ढांचागत बुनियादी सुविधाएं बढ़े, हवाई सेवा शुरू हो तो हमारे मेरठ की रफ्तार और बढ़ जाएगी।
- राकेश कोहली, निदेशक, स्टैग इंटरनेशनल