मेरठ: थ्योरी नहीं, स्वरोजगार का प्रैक्टिकल देखिए...
अपना रोजगार करने के साथ कपिल गांव के अन्य युवकों के लिए जहां रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।
निजी नौकरी छोड़कर स्वरोजगार की राह में मजबूत कदम रखने वाले कपिल शर्मा आज दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन बन रहे हैं। खरखौदा के गांव बमनपुरा निवासी इस युवा ने करीब 15 वर्ष पहले दिल्ली में एक निजी कंपनी में अपने भविष्य को संवारने की पहल की थी, लेकिन कुछ दिन बाद ही नौकरी से मन उब गया और गांव की राह पकड़ी। गांव में आकर वर्ष 2003 में स्वरोजगार की नींव रखी। काफी संघर्ष के बाद स्वरोजगार की गाड़ी पटरी पर आई।
लगातार प्रयास के बाद आज कपिल का नाम क्षेत्र में सफल उद्यमियों के रूप में लिया जाता है। अपना रोजगार करने के साथ कपिल गांव के अन्य युवकों के लिए जहां रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं, वहीं कई लोग उनसे प्रेरणा लेकर अपना कामकाज भी शुरू कर रहे हैं। पड़ोसी गांव के युवा हर दिन कपिल के संस्थान पहुंचते हैं और काम की जानकारी के साथ प्रशिक्षण भी प्राप्त करते हैं।
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मजबूत इरादों ने बदली किस्मत
कपिल की सफलता की कहानी में कई उतार-चढ़ाव हैं। दिल्ली की निजी कंपनी में काम करने के दौरान ही कपिल को स्वरोजगार का ख्याल आया और गांव आ गए। हालांकि इस प्रकार अचानक नौकरी छोड़ने के निर्णय का परिजनों के साथ दोस्तों ने भी विरोध किया और अच्छी नौकरी को जारी रखने के लिए कहा। लेकिन अपना काम करने की ललक और निर्णय ने कपिल को वापस दिल्ली नहीं जाने दिया।इसके बाद उन्होंने स्वरोजगार के रूप में आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने को अपनाया और लाइसेंस लेने आदि की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन लगातार तीन वर्ष के प्रयास के बाद तमाम प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद वर्ष 2006 में आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने की अनुमति मिली। इसके बाद लोन के लिए अप्लाई किया, लेकिन इसके लिए भी बैंकों ने तमाम प्रक्रियाओं के बहाने चक्कर कटवाए। काफी प्रयास के बाद 50 हजार का ऋण मिल सका।
हालांकि तब तक देर हो चुकी थी और कपिल ने अपने स्तर से ही बजट की व्यवस्था कर काम शुरू किया। अब खादी ग्रामोद्योग केंद्रों पर उनके तमाम उत्पाद की बिक्री हो रही है। साथ ही लगातार उनके उत्पाद की मांग भी बढ़ रही है।
छोटे स्तर पर काम, बन रही पहचान
आयुर्वेदिक उत्पाद बनाने वाले कपिल ने अपनी कंपनी का नाम संतोष ग्रामोद्योग संस्थान रखा है। हालांकि अभी काम छोटे स्तर पर हो रहा है, लेकिन बाजार में उत्पाद की डिमांड देखते हुए लगातार काम में वृद्धि हो रही है। अभी कपिल के संस्थान में मेंहदी, हर्बल शैंपू, कई तरह के ऑयल, सेव, आंवला, गन्ना, जामुन आदि का सिरका आदि का निर्माण कराया जा रहा है।
हर्बल उत्पाद बनाने के मामले में कपिल की इकाई अपने आप में अलग है। इकाई में गांव के एक दर्जन युवा काम कर रहे हैं, साथ ही अपने गांव के साथ पड़ोसी गांवों के युवा भी यहां प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंच रहे हैं। कई गांवों में यहां से प्रशिक्षण लेकर काम भी शुरू करा दिया गया है। हालांकि अभी शुरू किया गया काम छोटे स्तर पर ही है, लेकिन युवाओं को स्वरोजगार की लत इसी संस्थान से लग चुकी है। उधर, खुद कपिल भी युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के साथ उनकी हर स्तर पर मदद करने के लिए भी तैयार रहते है।
कई समस्याओं का समाधान है स्वरोजगार
कपिल शर्मा के अनुसार देश की कई समस्याओं का एकमात्र समाधान स्वरोजगार ही है, लेकिन तमाम योजनाएं होने के बाद भी युवाओं को लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्वरोजगार शुरू करने से जहां बेरोजगारी की समस्या का अंत होगा, वहीं ग्रामीण क्षेत्र से शहर को होने वाली युवा शक्ति के पलायन को भी आसानी से रोका जा सकता है। कपिल मानते हैं कि स्वरोजगार का मतलब सिर्फ उत्पाद का निर्माण करना नहीं है, कृषि को भी स्वरोजगार के रूप में अपनाया जा सकता है।
हालांकि सरकार ने काफी कुछ सुधार किया है और युवाओं को ऋण और संसाधनों को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया भी काफी सुलभ की है, लेकिन अभी योजनाओं का पूर्ण लाभ धरातल पर युवाओं को नहीं मिल पा रहा है। अभी भी गांव के युवा मुद्रा आदि योजना से मिलने वाले ऋण के लिए चक्कर काटने को मजबूर हो रहे हैं। कपिल के अनुसार सरकार को ऋण आदि की सुविधा प्रदान करने में प्रक्रिया को और अधिक आसान बनाना चाहिए।
कपिल शर्मा ने कहना है, "आज बेरोजगारी की समस्या देश में विकराल रूप ले रही है, ऐसे में सिर्फ स्वरोजगार ही इस समस्या का एकमात्र समाधान है। सरकार के साथ सामाजिक संगठनों को भी आगे आकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहिए। साथ ही सरकारी योजनाओं के लाभ को युवा शक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिए। इसके अलावा स्वरोजगार की राह पर चलकर सफलता प्राप्त करने वालों को भी युवाओं का मार्गदर्शन करना चाहिए।
प्रशिक्षण प्राप्त युवा अरविंद कुमार ने कहा, "कपिल शर्मा ने गांव में स्वरोजगार कर अन्य युवाओं को प्रेरित करने का काम किया है। पहले गांव के युवा पढ़ाई के बाद शहर में नौकरी तलाशने के लिए घर से निकलता था। अब युवा अपना खुद का काम खड़ा करने की बात करते हैं। गांव के कई युवाओं ने स्वरोजगार करने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ पाने के लिए आवेदन किया है। मैने खुद भी कपिल के संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त किया और और अपना काम शुरू करने की तैयारी कर रहा हूं।"
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