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इंफ्रा के बड़े प्रोजेक्ट कर देंगे मेरठ का कायाकल्प

शहर में मेट्रो रेल चलाने की परियोजना को केंद्र सरकार ने भी मंजूरी दे दी है। शहर के दो प्रमुख मार्गों पर मेट्रो चलेगी और शहर के दूर-दराज स्थानों को कनेक्ट करेगी। यहां तक कि वह एक्सप्रेस-वे और रैपिड रेल और रेलवे स्टेशन के पास तक भी छोड़ेगी।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 07:50 PM (IST)
इंफ्रा के बड़े प्रोजेक्ट कर देंगे मेरठ का कायाकल्प

राजधानी दिल्ली के करीब होने का फायदा हमेशा से ही मेरठ को मिलता है। पश्चिमी यूपी का महत्वपूर्ण शहर होने के कारण इसके लिए विकास का खाका अलग तरीके से खींचा जाता रहा है। इसके विकास को गति देने के लिए एक्सप्रेस-वे, मेट्रो, रैपिड रेल के तोहफे इस शहर को दिए गए हैं। इन सबके होने से यह दिल्ली-नोएडा के और करीब आ जाएगा।

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मेरठ एनसीआर के महत्वपूर्ण और विकास की पटरी पर तेज दौड़ने वाले शहरों की सूची में शामिल हो जाएगा। यह ठीक है कि स्मार्ट सिटी की दौड़ से मेरठ बाहर हो गया और स्वच्छता सर्वेक्षण में दूसरे साल भी फजीहत हुई है, फिर भी खुले में शौच से मुक्ति (ओडीएफ) पाने के लिए शहर की पीठ थपथपाई जा सकती है। 15 अगस्त से 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होने वाली है। शहर को जाम से बचाने के लिए तीन फ्लाई ओवर स्वीकृत हो चुके हैं।

अवैध कट को बंद करके ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी बढ़ाई गई है। यातायात नियम सिखाने को ट्रैफिक थीम पार्क की थीम धीरे-धीरे जमीन पर आने वाली है। सीसीटीवी से शहर की गतिविधियों पर नजर रखने की कोशिश है। पर्यटन स्थलों को चमकाने की भी योजना है। पार्कों की उपयोगिता बढ़ाने को मिनी जिम लगाए जा रहे हैं। शहर में गंदगी फैला रही डेयरियों को बाहर करने के लिए कैटल कॉलोनी बसाने पर माथापच्ची चल रही है।

बिना बाधा 24 घंटे मिल सकेगी बिजली
शहर को नो ट्रिपिंग जोन में शामिल किया गया है। दावा है कि 15 अगस्त से बिना कटौती और बिना बाधा के 24 घंटे बिजली मिल सकेगी। इसके लिए जर्जर तारों को बदला जा रहा है। ट्रांसफार्मर बदलने के साथ ही बिजलीघर के ब्रेकर दुरुस्त किए जा रहे हैं। वैसे वर्तमान में भी 24 घंटे का शेडयूल लागू है, लेकिन औसतन 22 घंटे ही बिजली मिल पा रही है। इसके लिए पुराना ढांचा जिम्मेदार है। बिजली व्यवस्था को दुरुस्त करने पर एक हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।

चमाचम तो नहीं हैं पर गिराती भी नहीं सड़कें
वर्तमान प्रदेश सरकार के वादे के अनुरूप शहर की तकरीबन सभी सड़कें गड्ढा मुक्त कही जा सकती हैं। हालांकि कुछ सड़कें अपवाद हैं जो हमेशा उखड़ी रहती हैं। फिर भी सड़कों पर जाम न हो तो शहर के अंदर की सड़कों पर भी रफ्तार भरी जा सकती है। अधिकांश सड़कों पर सोडियम प्लेट के साथ ही सफेद पट्टी लगाई गई है।

हठ और लापरवाही से खराब है ट्रैफिक सिस्टम
शहर के 41 चौराहों में से 17 पर सिग्नल व्यवस्था है, लेकिन लोग इसका पालन नहीं करते। वाहनों को क्रम से पास देने के लिए करीब 80 ट्रैफिक पुलिस हमेशा तैनात रहते हैं लेकिन लोग इनके संकेत भी टाल देते हैं और बेतरतीब ढंग से निकल जाते हैं। शहर में जाम लगता रहता है। वैसे व्यवस्था सुधारने के लिए शहर के 13 अवैध कट बंद कर दिए गए हैं। पांच चौराहों को चौड़ा करके व्यवस्थित किया जाएगा। गंगानगर में ट्रैफिक थीम पार्क बनाने के लिए कंपनी का चयन किया जा रहा है। जगह तलाश ली गई है। निर्माण कार्य एमडीए कराएगा और संचालन का जिम्मा ट्रैफिक पुलिस के पास होगा।

बसें शहर के अंदर नहीं जातीं, ई-रिक्शे से पटा है शहर
शहर में सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। कहने को तो 128 सिटी बसें हैं जो शहर की यातायात व्यवस्था के लिए है, लेकिन ये बाहर ही बाहर निकल जाती हैं। शहर के अंदर नहीं जा पातीं, क्योंकि शहर के अंदर हमेशा जाम लगा रहता है। सार्वजनिक परिवहन पर ई-रिक्शा ने धावा बोल दिया है।

अनुमान है कि करीब चार हजार ई-रिक्शा शहर में हैं। ये आसानी से उपलब्ध तो हैं, लेकिन जाम का कारण खूब बनते हैं। ये बेआवाज रिक्शे कब कहां घुस जाएं किसी को पता नहीं रहता। शहर में दो बस अड्डे हैं। भैंसाली व सोहराब गेट। यहां से दिल्ली, लखनऊ, हरिद्वार, देहरादून, नोएडा और अन्य जिलों के लिए करीब एक हजार बसें हैं। इनमें लखनऊ जाने के लिए एसी बस भी है।

उधर, शहर में मेट्रो रेल चलाने की परियोजना को केंद्र सरकार ने भी मंजूरी दे दी है। शहर के दो प्रमुख मार्गों पर मेट्रो चलेगी और शहर के दूर-दराज स्थानों को कनेक्ट करेगी। यहां तक कि वह एक्सप्रेस-वे और रैपिड रेल और रेलवे स्टेशन के पास तक भी छोड़ेगी।

एक्सप्रेस-वे और रैपिड रेल तेजी से पहुंचाएगी दिल्ली
शहर दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के जरिए दिल्ली से जुड़ जाएगा। मई 2019 में इसके पूरा होने की उम्मीद है। यही नहीं, दिल्ली से मेरठ के मोदीपुरम तक रैपिड रेल चलाने की परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। मेरठ के रिठानी गांव तक टेंडर भी हो गया है। 2023 तक इसे पूरा कर लेने का लक्ष्य है। 82 किमी लंबे इस प्रोजेक्ट में करीब 37 हजार 128 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

नाले-नालियों में बह रहा गंगाजल
शहर के 70 फीसद इलाकों में पाइपलाइन बिछी है। शहर को मांग के अनुरूप जलापूर्ति के लिए जेएनएनयूआरएम के तहत 352 करोड़ रुपये खर्च हो गए, लेकिन मांग के अनुसार 100 एमएलडी पानी शहर को अभी तक नहीं मिल पा रहा। हालात ये हैं कि घर-घर को पानी मिलने के बजाय नाले और नालियों में गंगाजल बह रहा है। पाइप लाइन से लीकेज खूब हो रहा है। इससे सड़कें खराब हो रही हैं। लेकिन घर तक गंदा पानी पहुंच रहा है।

नालियां रहती हैं चोक, कचरा उठता है न निस्तारित होता है

शहर में 285 नाले हैं। इनमें तीन मुख्य नाले हैं और 14 बड़े नाले हैं। सभी खुले हैं और कूड़े से भरे हुए हैं। गली-गली में नालियां तो हैं लेकिन ढलान ठीक न होने से पानी का बहाव नहीं हो पाता। शहर में 3200 सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन नालियों की ठीक से सफाई नहीं होती। नालियां चोक रहती हैं।

कचरा प्रबंधन की कवायद खूब हुई पर हाल ये है कि कूड़ा अभी भी गलियों में ही फैला रहता है। जेएनएनयूआरएम के तहत 2009 में 372 करोड़ रुपये में कूड़ा निस्तारण प्लांट बनाने की बात चली, लेकिन अब तक यह धरातल पर नहीं आया।

बहरहाल पिछले तीन साल से फिर कवायद शुरू हुई है। डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की उम्मीद जगी है। हालांकि यह कब तक होगा। कुछ कहा नहीं जा सकता। इस तरह की योजना एक बार फ्लॉप हो चुकी है।

सुधार की ओर हैं एमडीए के पार्क, खस्ताहाल हैं निगम के पार्क
शहर में एमडीए के करीब 265 पार्क हैं। इनमें से 15 बड़े पार्क हैं। इनमें से सात जोनल पार्क हैं। छह बड़े पार्कों में मिनी ओपन जिम लगाया गया है, ताकि पार्क का उपयोग अधिक होने लगे। पांच और पार्कों में ओपन जिम के लिए टेंडर किया गया है। अन्य पार्कों की स्थिति सुधारने के लिए रख रखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनी को दी जाएगी।

वहीं नगर निगम के 494 पार्क हैं। इनमें 28 बड़े पार्क हैं। ज्यादातर खस्ताहाल हैं। खेल के मैदान युवाओं की रुचि के हिसाब से बहुत कम हैं। खेल मैदानों में सुविधाएं भी पर्याप्त नहीं हैं। फिर भी खेल मैदान खिलाडिय़ों से भरे रहते हैं।

एनसीआर के सबसे प्रदूषित शहर में शामिल हो चुका है मेरठ
मेरठ की आबोहवा खराब है। पानी के साथ ही हवा भी प्रदूषित है। सर्दी के दिनों में प्रदूषण बढ़ जाता है। यहां का पीएम 2.5 है। यहां की हवा में सल्फर, कार्बन डाई ऑक्साइड आदि गैस की मात्रा ज्यादा है। यहां पर सांस, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस और हार्ट की बीमारियां हवा की अशुद्धता की वजह से अधिक हैं।

ये हैं महत्वपूर्ण परियोजनाएं
37 हजार 128 करोड़: रैपिड रेल परियोजना
13 हजार 800 करोड़: मेट्रो रेल परियोजना
एक अरब 50 करोड़: शहर के तीन फ्लाईओवर
एक हजार करोड़: बिजली आपूर्ति
372 करोड़: सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट
342 करोड़: गंगा जल प्रोजेक्ट

शहर में बिजलीघर- 45
शहर में बड़े पार्क- 43
शहर में कुल नाले- 285


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