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India China Tension: अधूरी रह गई रुम्पा की 'तमन्ना', शहीद बिपुल रॉव की बेटी के इस मासूम सवाल पर भर आई सबकी आंखें

India China Tension शहीद की पत्नी ने सात साल की बेटी को नहीं दी पिता की शहादत की जानकारी। बेटी बोली-मम्मी सामान क्यों पैक कर रही है पापा को तो ड्यूटी से आ जाने दो।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 04:00 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 09:50 AM (IST)
India China Tension: अधूरी रह गई रुम्पा की 'तमन्ना', शहीद बिपुल रॉव की बेटी के इस मासूम सवाल पर भर आई सबकी आंखें
India China Tension: अधूरी रह गई रुम्पा की 'तमन्ना', शहीद बिपुल रॉव की बेटी के इस मासूम सवाल पर भर आई सबकी आंखें

मेरठ, [संजीव तोमर]। अपने को खो देने का दर्द क्या होता है, इसे पीछे रह गए लोगों के सिवा और कौन महसूस कर सकता है। वक्त के साथ जख्म भरते भी हैं लेकिन यादों की पुरवाई इस जख्म को सूखने कहां देती है। पति की शहादत की सूचना ने रुम्पा को जड़ कर दिया लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया। बेटी तमन्ना को भी यह बात नहीं बताई और अटैची में सामान पैक करने लगीं। यह नजारा देख सात साल की बच्ची बोल उठी-मम्मी सामान क्यों बांध रही हो, पापा को तो ड्यूटी से आ जाने दो। बेटी का यह वाक्य सुन मां का कलेजा फट गया और वहां मौजूद हर शख्स जार-जार रो उठा। तमन्ना को नहीं पता कि उसके पापा तो वतन पर जां निसार कर चुके हैं। रुम्पा! धन्य हो तुम और तम्हारी दिलेरी भी पति की तरह धन्य है।

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अपनों की जान जाना परिजनों के लिए दुखद ही होता है लेकिन वतन पर जां निसार करने वालों के परिजनों के लिए तो शायद देश से ऊपर कुछ नहीं होता। भारत-चीन बॉर्डर पर सेना के जवान विपुल रॉय शहीद हो गए। यह सूचना रोहटा रोड की कुंदन कुंज कालोनी में रह रहीं शहीद की पत्नी रुम्पा राय को मिली तो पलभर के लिए वह सन्न रह गईं।

मूलरूप से पश्चिम बंगाल निवासी शहीद विपुल रॉय की पत्नी रुम्पा रॉय और उनकी बेटी तमन्ना कुंदन कुंज कालोनी में किराये पर रहती हैं। रुम्पा को पति की शहादत का पता चला तो उन्होंने धैर्य रखते हुए एक साथ दो काम बहुत समझदारी से किए। एक तो खुद को जरा भी टूटने नहीं दिया। पूछने पर उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला, मगर आंखों से बहते आंसू दिल के दर्द को बयां करने के लिए काफी थे।

इसके अलावा उन्होंने बेटी तमन्ना को यह नहीं बताया कि अब उसके पापा इस दुनिया में नहीं हैं। पति की आखिरी निशानी अपनी बेटी को सिर्फ कलेजे से लगाए रखा। मासूम बेटी अपनी मां के आंखों से बहते आंसू को साफ करते हुए रोने की वजह भी पूछती रही, मगर वीरांगना ने मानो खुद को पत्थर बना लिया। इसके बाद सिग्नल कोर से कर्नल और जेसीओ रैंक के अफसर जवानों संग आए और शहीद की पत्नी व बेटी को अपने साथ ले गए।

अब किससे मांगेगी खिलौने

सात साल की उम्र होती ही क्या है। मासूम तमन्ना तो यही समझ रही थी कि उसकी मम्मी कहीं जा रही हैं। उसे क्या पता कि अब उसके सिर से पिता का साया उठ चुका है। अब वह खिलौने और चाकलेट किससे मांगेगी।

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