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Martyr Aakash Chaudhary: शहीद लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी को नम आंखों से अंतिम विदाई, पिता ने दी मुखाग्नि Meerut News

गुवाहाटी में सैन्य सम्मान के बाद शहीद ले. आकाश का पार्थिव शरीर सुबह 11 बजे असम से निकला था। दोपहर करीब 12 बजे कानपुर में एयरफोर्स के जहाज को ईंधन के लिए हाल्ट लेना पड़ा।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 18 Jul 2020 08:31 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 10:22 PM (IST)
Martyr Aakash Chaudhary: शहीद लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी को नम आंखों से अंतिम विदाई, पिता ने दी मुखाग्नि Meerut News
Martyr Aakash Chaudhary: शहीद लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी को नम आंखों से अंतिम विदाई, पिता ने दी मुखाग्नि Meerut News

मेरठ, जेएनएन। असम के कोकराझाड़ में फॉरवर्ड ऑपरेशन की ट्रेनिंग के दौरान गुरुवार रात पहाड़ी से गिरकर शहीद हुए लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी के पार्थिव शरीर का शनिवार को मेरठ में न्यू नंद पुरी स्थित रामबाग श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के पिता केपी सिंह ने बेटे की शहादत को सलामी और भरी आंखों के साथ मुखाग्नि दी। बाईपास पर सिल्वर सिटी स्थित घर से ही शहीद की अंतिम यात्रा में स्थानीय और आसपास के लोगों ने शिरकत की। शहीद ले. आकाश के सिखलाई रेजीमेंट के कमान अधिकारी कर्नल प्रताप सहित अन्य अधिकारी परिवारजनों के साथ मौजूद रहे। 

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गुवाहाटी व दिल्ली में गन सेल्यूट

गुवाहाटी में सैन्य सम्मान के बाद शहीद ले. आकाश का पार्थिव शरीर सुबह 11 बजे असम से निकला था। दोपहर करीब 12 बजे कानपुर में एयरफोर्स के जहाज को ईंधन के लिए हाल्ट लेना पड़ा। वहां से करीब तीन बजे दिल्ली पहुंचे। दिल्ली कैंट में भी कर्नल ऑफ द रेजीमेंट जनरल एमएम नारावने की ओर से पुष्प गुच्छ चढ़ाया गया। सैन्य अधिकारियों ने गन सेल्यूट दिया। दिल्ली में सेना के जवाब सुबह ही पहुंच गए थे, जिससे तमाम कागजी कार्यवाही समय से पूरी कर ली गई थी। वहां से शाम करीब छह बजे शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर सेना के जवान मेरठ पहुंचे। मेरठ में गन सेल्यूट नहीं दिया गया। इसका कारण यह रहा कि सेना की ओर से कोरोना काल में कम से कम सैनिकों को बाहर निकलने की अनुमति प्रदान की गई है। सैन्य सैल्यूट देने के लिए अधिक संख्या में जवानों की टु़कड़ी होती है। इसीलिए उन्हें गुवाहाटी और दिल्ली छावनी के भीतर ही सैन्य सेल्यूट दिया गया। बाहर निकलने वाले सैनिकों को वापस लौटकर 21 दिन क्वारंटाइन रहने के बाद ही ड्यूटी ज्वाइन करना पड़ता है।

स्वजनों व रिश्तेदारों ने जताया विरोध

मेरठ पहुंचने पर स्वजन और आसपास के लोग शहीद के अंतिम दर्शन के बिना अंतिम संस्कार को तैयार नहीं हुए। चेहरा दिखाने के बाद सभी ने पहचानने से इनकार कर दिया और कहा कि वह ले. आकाश नहीं हैं। पिता केपी सिंह, माता कमलेश और दोनों बहनों शिवानी व प्रियंका ने अन्य लोगों के साथ शरीर के चोट दिखाने की मांग की। कहा कि घटनाक्रम की जो जानकारी उन्हें प्रदान की गई, चोट उससे अलग कहानी बयां कर रहे हैं। सेना के अधिकारियों के काफी समझाने और शहीद ले. आकाश का चेहरा दिखाने के बाद भी वह नहीं माने और दोबारा पोस्टमार्टम कराने और डीएनए टेस्ट कराने की मांग करने लगे। इसके बाद असोम से आए सेना के अफसर मेजर प्रताप पूनिया ने स्वजनों को घटनास्थल पर ली गई तस्वीरें दिखाईं। शहीद ले. आकाश का पांव दिखाने के बाद स्वजन माने और अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए। इस दौरान करीब सवा घंटे से अधिक समय तक शहीद का पार्थिव शरीर घर के बाहर ही रखा रहा, जहां उनके अंतिम दर्शन को लोग उमड़ रहे थे।  


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