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मेरठ : गोपनीय रही छापामारी, फिर कैसे भागे तस्कर; पुलिस पर उठ रहे कई बड़े सवाल

सवाल है कि फिर किसके इशारे पर इतने बड़े पैमाने पर कटान चल रहा था। पुलिस और सैनेट्री इंस्पेक्टर ने कभी कटान केंद्रों की पड़ताल क्यों नहीं की। आरोपितों के अचानक छापामारी से भाग जाने को लेकर स्थानीय पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे है।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 09:15 PM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 09:15 PM (IST)
मेरठ : गोपनीय रही छापामारी, फिर कैसे भागे तस्कर; पुलिस पर उठ रहे कई बड़े सवाल
पुलिस ने मिनी कमेलो में छापेमारी करने पहुंची।

मेरठ, जेएनएन। मिनी कमेलो पर छापामारी में पूरी तरह से गोपनीयता बरती गई। उसके बावजूद भी पुलिस से पहले भी तस्कर मिनी कमेलो को छोड़कर भाग गए। सैनेट्री इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह का दावा है कि लिसाड़ीगेट में कोई भी कटान केंद्र पंजीकृत नहीं है। सवाल है कि फिर किसके इशारे पर इतने बड़े पैमाने पर कटान चल रहा था। पुलिस और सैनेट्री इंस्पेक्टर ने कभी कटान केंद्रों की पड़ताल क्यों नहीं की। आरोपितों के अचानक छापामारी से भाग जाने को लेकर स्थानीय पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे है।

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एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह और सीओ कोतवाली ने बुधवार की शाम को ही छापामारी का प्लान तैयार कर लिया था। लिसाड़ीगेट, नौचंदी, कोतवाली, मेडिकल, सिविल लाइन थानों की पुलिस और आरएएफ की एक कंपनी को हापुड़ अड्डे पर बुलाया गया था। सभी सुबह पांच बजे फोर्स के साथ हापुड़ अड्डे पर पहुंचे। वहां पर सब के एकत्र होने के बाद साढ़े पांच बजे एसपी सिटी और सीओ कोतवाली की गाडिय़ां पहुंची। तब भी किसी को छापामारी के बारे में नहीं बताया। कांच के पुल पर जाकर ही मिनी कमेले में छापामारी की जानकारी दी।

हैरत की बात है कि उसके बावजूद भी पशु कटान करने वाले तस्कर और उनके कारीगर मौके से भाग गए। यानि साफ है कि पुलिस की सूचना पहले से लीक हो चुकी थी। उससे भी अहम सवाल है कि सैनेट्री इंस्पेक्टर कुलदीप की तरफ से कटान करने वालों का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी है। कुलदीप सिंह दावा कर रहे है कि मिनी कमेलो पर कोई कटान का लाइसेंस नहीं। उसके बावजूद भी इतने बड़े पैमाने पर कटान कैसे कर रहे थे। अभी तक अफसर पिल्लोखड़ी चौकी और सैनेट्री इंस्पेक्टर की भूमिका संदिग्ध मान रहे है। इसकी जांच भी एसपी सिटी को सौंप दी गई है।

ऐसे उठा कटान से पर्दा

बुधवार को परतापुर क्षेत्र में हरियाणा से पशुओं को लेकर आ रहे दो ट्रक को पकड़ा था, जिनमें 32 पशु खचाखच भरे हुए थे। उनके साथ चार लोगों को पुलिस ने पकड़ा। पकड़े गए आरोपितों ने लिसाड़ीगेट में पशु कटान होने की बात कही गई। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने दोनों कमेलो को रात में ही देख लिया। उसके बाद ही सुबह छापामारी की तैयारी की गई थी।

डाक्टर की जांच में प्रतिबंधित पशु का नहीं मांस

30 कुंतल मांस की बरामदगी होने के बाद पशु चिकित्सा अधिकारी डा. बीपी सिंह को मौके पर बुलाया गया। उन्होंने जांच के बाद स्पष्ट कर दिया कि मांस प्रतिबंधित पशु का नहीं है। ऐसे में यह पूरी तरह से गैरकानूनी है। उसके बाद नगर निगम की टीम बुलाकर मांस को नष्ट करा दिया गया।

करीब सौ से ज्यादा मीट की दुकानें बंद

दोनों मिनी कमेलो के अंदर से लिसाड़ीगेट और ब्रह्मपुरी में पडऩे वाली 100 से अधिक दुकानों पर मांस सप्लाई होती थी। अचानक ही छापामारी के दौरान मांस पकड़ा जाने की वजह से दुकानों पर मीट नहीं जा सका। ऐसे में करीब सौ से ज्यादा मीट की दुकानें बंद रही। 

अभी और भी चल रहे मिनी कमेले

लिसाड़ीगेट और ब्रह्मपुरी तथा नौचंदी क्षेत्र में अभी भी पशु कटान का काम बदस्तूर जारी है। परतापुर के शताब्दीनगर और जुर्रानपुर फाटक के पास गोकशी हो रही है। उसके बावजूद भी पुलिस पशु कटान और गोकशी रोकने में नाकाम साबित हो रही है। लिसाड़ीगेट और ब्रह्मपुरी की गलियों के अंदर पशु कटान छोटे पैमाने पर भी किया जा रहा है। 


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