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मानचित्र स्वीकृति की मैनुअल व्यवस्था होगी समाप्त

अभी तक आधी-अधूरी चल रही ऑनलाइन मानचित्र प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो जाएगी। तमाम बड़े बदलाव करते हुए मैनुअल व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। मेरठ

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 09:00 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 09:00 AM (IST)
मानचित्र स्वीकृति की मैनुअल व्यवस्था होगी समाप्त
मानचित्र स्वीकृति की मैनुअल व्यवस्था होगी समाप्त

मेरठ, जेएनएन। अभी तक आधी-अधूरी चल रही ऑनलाइन मानचित्र प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन हो जाएगी। तमाम बड़े बदलाव करते हुए मैनुअल व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।

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अब ऑनलाइन बिल्डिंग अप्रूवल सिस्टम का सॉफ्टवेयर ही ज्यादातर कार्य करेगा। इसलिए सॉफ्टवेयर पर आंकड़े किस तरह से भरे जाएं और कागजी प्रक्रिया का पालन किस तरह से हो जिससे आवेदन स्वीकार हो जाए और आगे जाने पर निरस्त होने के बजाय मानचित्र को स्वीकृति मिल जाए।

इन बातों को समझाने व सिखाने के लिए एमडीए सभागार में बुधवार को वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें मेरठ विकास प्राधिकरण और बागपत-खेकड़ा-बड़ौत विकास प्राधिकरण के अधिकारी, इंजीनियर व आर्किटेक्ट शामिल हुए। एमडीए वीसी राजेश पांडेय, सीटीपी इश्तियाक अहमद, बागपत के एसडीएम व बागपत प्राधिकरण के प्रभारी पुलकित आदि मौजूद रहे। ये होंगे बदलाव

-अब सॉफ्टवेयर सभी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही आवेदन को आगे बढ़ाएगा।

-मानक पूरा न करने पर सॉफ्टवेयर आवेदन को आगे नहीं बढ़ाएगा।

-सॉफ्टवेयर ही शुल्क आदि की गणना करेगा।

-बिल्डिंग बॉयलाज के अनुसार मानचित्र की पहले सॉफ्टवेयर ही जांच करेगा।

-500 वर्ग मीटर भूखंड के सभी प्रकार के मानचित्र का निरस्तीकरण व स्वीकृति नगर नियोजक या अधिशासी अभियंता के स्तर से होगा।

-500 वर्ग मीटर से अधिक व दो हजार वर्ग मीटर से कम के भूखंड का निरस्तीकरण व स्वीकृति मुख्य नगर नियोजक के स्तर से होगा।

-दो हजार वर्ग मीटर या इससे अधिक क्षेत्रफल के भूखंड का निरस्तीकरण या स्वीकृति वीसी के स्तर से होगी।

-अब नगर निगम, फायर या अन्य विभागों से एनओसी के लिए पत्र संबंधित विभाग को सॉफ्टवेयर ही भेजेगा।

-प्रत्येक मानचित्र पर डिजिटल हस्ताक्षर होंगे। बदलाव से यह होगा फायदा

-भ्रष्टाचार में कमी आएगी।

-आवेदक, आर्किटेक्ट व इंजीनियरों की सांठगांठ नहीं हो सकेगी।

-नियमों से अनदेखी करके मानचित्र स्वीकृत नहीं हो सकेंगे।

-तेजी से मानचित्र आवेदन निस्तारित होंगे।

-इंजीनियरों या अधिकारियों पर बेवजह आवेदन लटकाने का आरोप नहीं लगेगा।


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