मेरठ में मनरेगा योजना में करप्शन, खास लोगों के खातों में हुआ भुगतान, लोकपाल ने पकड़ीं ये खामियां Meerut News
मेरठ में मनरेगा योजना के काम की जांच में पता चला कि जिन नालों की सफाई के नाम पर भुगतान किया गया वे कूड़े से भरे और बंद मिले। नालों पर अतिक्रमण करके उन्हें बंद ही कर दिया गया है।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ जिले के सरूरपुर ब्लाक के गांव डाहर में मनरेगा योजना के तहत कराए गए कार्यों में भ्रष्टाचार और मनमानी की शिकायतों की जांच करने शनिवार को मनरेगा की मंडलीय लोकपाल अंशु त्यागी गांव पहुंचीं। उन्होंने ग्रामीणों के साथ गांव के दो नालों की सफाई, खेल का मैदान, श्मशान, कब्रिस्तान में पौधारोपण समेत तमाम कार्यों का मौके पर निरीक्षण किया। जिन नालों की सफाई के नाम पर भुगतान किया गया, वे कूड़े से भरे और बंद मिले। नालों पर अतिक्रमण करके उन्हें बंद ही कर दिया गया है।
विशेष लोगों के खाते में गई रकम
जांच में सामने आया कि गांव में पंजीकृत मनरेगा मजदूरों से काम नहीं कराया जाता है। कुछ विशेष लोगों के खातों में ही सारा पैसा भुगतान कर दिया जाता है। इनमें मुस्लिम महिलाएं भी शामिल हैं। जो पर्दे में रहती हैं, लेकिन उनके खातों में पैसा लगातार ट्रांसफर किया जा रहा है। लोकपाल ने बताया कि मौके पर जांच में अनियमितताएं साबित हुई हैं। बीडीओ, गांव प्रधान और सचिव को नोटिस जारी करके उनसे साक्ष्य मांगे गए हैं। मनरेगा के गलत भुगतान में रिकवरी के साथ एफआइआर कराई जाएगी। जबकि अन्य भ्रष्टाचार के मामलों की रिपोर्ट शासन को जाएगी।
शिकायतों की जांच
सरूरपुर प्रतिनिधि के मुताबिक मनरेगा मंडलीय लोकपाल अंशु त्यागी ने सबसे पहले पंचायत भवन में ग्रामीणों की शिकायतें सुनीं। बीडीओ अनित कुमार और ग्रामीणों के साथ उन्होंने गांव में खेल के मैदान, पानी निकासी के लिए बनाये गए दो नालों की सफाई, श्मशान की भूमि, कब्रिस्तान की भूमि के साथ तालाब पर पौधारोपण व गांव में लाइटें लगाने और सड़क निर्माण कार्य में धांधली की शिकायतों की जांच की। लोकपाल ने बताया कि उनके पास लिखित शिकायतें आई हैं। जिन दो नालों की सफाई का दावा किया गया वे दोनों कूड़े से भरे थे। उनपर कब्जा करके बंद तक कर दिया गया है। मौके पर न नाला सफाई मिली और न ही पौधारोपण।
कई आरोप मिले सही
गांव प्रधान पर केवल अपने चहेते कुछ विशेष लोगों तथा पर्दे में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं के खातों में मनरेगा की मजदूरी का भुगतान करने के आरोप भी सही मिले। लोकपाल की मानें तो मौके पर मिले कई लोगों ने यह बात भी स्वीकार की कि उनके खाते में बिना काम किए ही पैसा आया। एक साल से गंभीर बीमारी के शिकार व्यक्ति के खाते में भी मनरेगा मजदूरी का भुगतान किया गया। इस दौरान पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराई गई। लोकपाल ने बताया कि गांव प्रधान को बुलाया गया लेकिन वह नहीं आए। गांव में 134 पंजीकृत मजदूरों के जॉबकार्ड प्रधान के पास थे।
दावा सैकड़ों पौधे लगाने का, मिला एक नहीं
गांव पंचायत ने सैकड़ों पौधे लगाने का दावा करते हुए गड्ढे खोदने की मजदूरी का भुगतान किया है, लेकिन मौके पर एक भी पौधा नहीं मिला। मनरेगा मजदूरी का काफी पैसा किसी पंकज के खाते में भुगतान किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि यह गांव प्रधान का खास आदमी है।
ब्लाक में नहीं मिले फ्लेक्स, गुस्साई
सरूरपुर खंड विकास कार्यालय का भवन भूनी चौराहे पर है। लोकपाल ने ब्लाक कार्यालय परिसर पहुंचकर शासनादेश के मुताबिक लगाया जाने वाला अपने नाम और मोबाइल नंबर का फ्लेक्स तलाशा तो वह नहीं मिला। उन्होंने विकास कार्यों के विवरण वाले बोर्ड भी स्थल पर न लगाने पर नाराजगी जताई।
वसूली और एफआइआर होगी
मनरेगा योजना की धनराशि के दुरुपयोग पर उसकी वसूली होगी और संबंधित पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। अन्य धांधलियों की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। अभी बीडीओ, गांव प्रधान और पंचायत सचिव से उनके साक्ष्य मांगे गए हैं।
- अंशु त्यागी, मनरेगा लोकपाल मेरठ मंडल।