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मिलें चलाने से पहले बना लें सौ फीसद भुगतान की मानसिकता: सुरेश राणा

गन्ना राज्यमंत्री सुरेश राणा ने मेरठ और सहारनपुर मंडल के गन्ना अधिकारियों और चीनी मिल प्रबंधकों की बैठक ली। जल्द से जल्द शत प्रतिशत गन्ना भुगतान के निर्देश दिये।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 04:52 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 04:52 PM (IST)
मिलें चलाने से पहले बना लें सौ फीसद भुगतान की मानसिकता: सुरेश राणा
मिलें चलाने से पहले बना लें सौ फीसद भुगतान की मानसिकता: सुरेश राणा

मेरठ। उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कमिश्नरी सभागार में मेरठ और सहारनपुर मंडल के गन्ना अधिकारियों और चीनी मिल प्रबंधकों के साथ गुरुवार को समीक्षा बैठक की। किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान में लेटलतीफी पर मिल प्रबंधकों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने स्पष्ट कहा कि चीनी मिलों को जल्द से जल्द किसानों का शत प्रतिशत गन्ना बकाया मूल्य का भुगतान करना होगा। इसके लिए वह चीनी बेचकर संपूर्ण पैसा किसानों को दें। बिजली उत्पादन करके मिलो को जो भुगतान प्रदेश सरकार ने प्राथमिकता पर कराया है वह समस्त पैसा किसानों के भुगतान के लिए जारी करें। दोनों में से किसी भी राशि का डायवर्जन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मिलो को सरकार द्वारा निर्धारित कोटे के मुताबिक हर महीने चीनी की बिक्री सुनिश्चित करनी होगी ताकि किसानों का भुगतान समय से किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट कहा कि चीनी मिलों को नए सत्र में किसानों का समय से शत प्रतिशत भुगतान करने की मानसिकता से काम करना होगा।

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गन्ना राज्यमंत्री सुरेश राणा ने मंडलायुक्त अनीता सी मेश्राम और जिलाधिकारी अनिल ढींगरा की उपस्थिति में समीक्षा की। उन्होंने दोनों मंडल की एक एक मिल की समीक्षा की। कम भुगतान करने वाली तथा कोटे के मुताबिक चीनी की बिक्त्री ना करने वाली चीनी मिलो को आड़े हाथों लिया। इस दौरान मिल प्रबंधकों ने चीनी बिक्त्री का कोटा बढ़ाने की माग की। बिजली बिक्त्री से मिलने वाले पैसे को कई मिलो ने किसानों का भुगतान ना करके अन्य खातों में डाइवर्ट कर दिया था। इस पर गन्ना मंत्री ने मिल प्रबंधकों को फटकार लगाई।

समीक्षा बैठक के बाद गन्ना मंत्री ने पत्रकार वार्ता में बताया कि किसानों के हित में मुख्यमंत्री चिंतित हैं। किसानों का समय से भुगतान उनकी प्राथमिकता है। पूर्व में प्रदेश में गन्ना भुगतान की व्यवस्था काफी बिगड़ी हुई थी। जिसे सरकार के 16 महीने के कार्यकाल में काफी सुधार आ गया है। वर्तमान सीजन काफी कठिन था उत्तर प्रदेश में ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल बढ़ा था। 111 करोड़ कुंतल गन्ना पैदा हुआ जो कि पिछले वर्ष से 30 करोड़ कुंतल ज्यादा था। इस गन्ने की पेराई के लिए 30 अतिरिक्त मिलों की जरूरत थी लेकिन उपलब्ध मिलो से ही इस गन्ने की सफलता पूर्वक कराई गई। अब भुगतान कराना प्राथमिकता है । दोनों मंडलों में मोदी, मवाना, बजाज तथा सिंभावली ग्रुप की मिलों का भुगतान अपेक्षाकृत कम है। जिसकी योजना तैयार की जा रही है। भुगतान के लिए चीनी बिक्री का प्रत्येक मिल का माहवार कोटा तैयार किया गया है। चीनी बेचकर मिलो को सारा पैसा किसानों को भुगतान करना होगा। सरकार ने रमाला, मोहिउद्दीनपुर समेत कुल पाच चीनी मिलों की क्षमता बढ़ई तथा बंद मिलों को चालू करके अधिक गन्ना उत्पादन का लाभ उठाया। नतीजा रहा की प्रदेश में रिकॉर्ड चीनी उत्पादन हुआ। चीनी के गिरते रेट को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने 2900 रुपए कुंतल दाम फिक्स कर दिया। जिससे बाजार में चीनी की कीमत अच्छी बनी रही। इस साल किसानों को अब तक 24 हजार 500 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है मात्र 10800 करोड़ का भुगतान बाकी है। चीनी कोटा का पालन ना करने वाली तथा निर्धारित मात्रा में चीनी का एक्सपोर्ट ना करने वाली मिलों पर सख्ती की जाएगी। बिजली का पैसा मिले डाइवर्ट नहीं कर सकेंगी। नए सत्र में भी प्रदेश में गन्ने का क्षेत्रफल 10 फीसदी बढ़ा है। देश का 38 प्रतिशत गन्ना उत्पादन प्रदेश में होगा। इसकी पेराई सुनिश्चित करने के लिए सरकार गंभीर है। योजना बनाई जा रही है। इस साल प्रदेश में 111 करोड़ कुंतल गन्ने की पेराई करके 120 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है। कम भुगतान तथा पैसा डाइवर्ट करने वाली मिलों की रिपोर्ट भी उन्होंने दोनों मंडलों के उप गन्ना आयुक्त से मागी है। मंडलायुक्त और डीएम को भी उन्होंने नियमित समीक्षा करने का निर्देश दिया।


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