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MS Dhoni Retirement: मेरठ के इस बल्ले से छक्का जड़कर धोनी ने जिताया था विश्व कप

MS Dhoni Retirement धौनी तीन बार मेरठ आए थे एसएस के बल्लों से खेली यादगार पारियां। 2011 विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में बनाए थे 91 रन।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 08:37 AM (IST)
MS Dhoni Retirement: मेरठ के इस बल्ले से छक्का जड़कर धोनी ने जिताया था विश्व कप
MS Dhoni Retirement: मेरठ के इस बल्ले से छक्का जड़कर धोनी ने जिताया था विश्व कप

मेरठ, जेएनएन। महान सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर कहते हैं कि वो दुनिया से विदा होने से पहले 2011 विश्व कप फाइनल में धौनी के विजयी छक्के को एक बार फिर देखना चाहेंगे। इस छक्के की कहानी कई मायनों में अलग है। धौनी जब रणजी क्रिकेट खेलते थे, तभी उन्होंने अपने साथियों के बीच विश्व कप में छक्के से जीत दिलाने का वादा किया था। आखिरकार धौनी ने मेरठ के बल्ले से इस सपने को पूरा किया। वल्र्ड कप जीतकर मेरठ आए तो एसएस कंपनी के निदेशक जतिन को गले लगाकर बोला...भाई तेरे बल्ले ने तो कमाल कर दिया।

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...पत्नी साक्षी के साथ पहुंचे थे मेरठ

दुनिया के महान कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धौनी का मेरठ से पारिवारिक रिश्ता रहा। 2011 से 2015 तक धौनी तीन बार मेरठ आए। विश्व कप जीतकर सबसे पहले धौनी पत्नी साक्षी के साथ मेरठ आए थे। वो एसजी और एसएस कंपनी गए। एसएस के निदेशक जतिन के साथ धौनी दिनभर कंपनी में रहे। जतिन याद करते है कि माही को बल्लों के बारे में बेहतरीन जानकारी है। वो बल्ला बनाने वाले लेबरों के साथ घुलमिल जाते थे। धौनी के रिटायरमेंट के बाद जतिन ने इंस्टाग्राम पर कई फोटो जारी किए हैं, जिसमें एसएस के बल्ले से यादगार पारियों का जिक्र है। 2011 विश्व कप में धौनी ने श्रीलंका के खिलाफ 91 रनों की नाबाद पारी खेला था, जिसमें बेहतरीन छक्का जड़कर भारत को दूसरी बार विश्व विजेता बना दिया। यह बल्ला 1260 ग्राम वजन का था, जो विश्व कप जाने से पहले धौनी ने मेरठ में बनवाया था। इन्हीं बल्लों से हेलीकाप्टर शाट लगाया, जिसे बाद में कोई बल्लेबाज दोहरा नहीं पाया।

एसजी के मार्केटिंग डायरेक्टर पारस आनंद कहते हैं कि धौनी ने जुलाई 2019 वल्र्ड कप में उनके बल्ले से खेला था। यह उनकी अंतिम अंतरराष्ट्रीय एकदिनी सीरीज थी। पारस कहते हैं कि धौनी ने भारतीय क्रिकेट का नक्शा बदल दिया। वो बड़े उत्साह के साथ मिलते थे और उन्हेंं देश का महानतम फिनिशर माना जाएगा। अंतिम क्षणों में दबाव का सामना करते हुए धौनी ने कई बार भारतीय टीम को अप्रत्याशित जीत दिलाई। वो न सिर्फ भारी बल्ले से खेलते थे, बल्कि इसमें दो ग्रिप लगवाते थे। जबकि ज्यादातर बल्लेबाज हल्के यानी 1180 ग्राम के बल्लों से खेलते हैं। एसएफ कंपनी के निदेशक अनिल सरीन कहते हैं कि धौनी ने 2007-08 के बीच उनकी कंपनी का हेल्मेट और ग्लव्स का इस्तेमाल किया था। अनिल का कहना है कि धौनी जैसा जांबाज कप्तान और खिलाड़ी दशकों में पैदा होते हैं।


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