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ऐसे में तो पोलियो वैक्सीन भी हो जाएगी फेल

संतोष शुक्ल, मेरठ अगर पोलियो का जिन्न फिर से उठ खड़ा हो जाए तो हैरत की बात नहीं। मेि

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 02:03 AM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 02:03 AM (IST)
ऐसे में तो पोलियो वैक्सीन भी हो जाएगी फेल
ऐसे में तो पोलियो वैक्सीन भी हो जाएगी फेल

संतोष शुक्ल, मेरठ

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अगर पोलियो का जिन्न फिर से उठ खड़ा हो जाए तो हैरत की बात नहीं। मेडिकल कालेज के शोध में कई वैक्सीन स्टोर मानकों पर फेल पाए गए। व‌र्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन एवं यूनिसेफ ने भी माना है कि मेरठ में खसरा, हेपेटाइटिस, रोटा, निमोकोकल एवं टिटनेस समेत तमाम वैक्सीन की गुणवत्ता सवालों के घेरे में है। माछरा एवं मवाना सीएचसी को छोड़कर सभी केंद्रों पर वैक्सीन के रखरखाव में बड़ी चूक मिली। यूनिसेफ के नेशनल इंचार्ज डा. भृगु कपूरिया ने भी मेरठ की स्थिति पर सरकार से पत्राचार किया है।

मेडिकल कालेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डा. प्रशांत ने प्रोफेसर डा. हरवंश चोपड़ा के निर्देश में जनवरी से जुलाई 2017 तक मेरठ के 26 वैक्सीन स्टोर-कोल्ड चेन पर रिसर्च किया। नियमित टीकाकरण वाली वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर परखा गया। वैक्सीन एवं विलयनों के तापमान, रखरखाव, उपकरण, ड्राई स्टोरेज, ट्रांसपोर्टेशन, वैक्सीन रजिस्टर, स्टॉक मैनेजमेंट और अन्य बिदुओं पर रिपोर्ट बनाई। कोल्ड चेन पर नियुक्त स्टाफ की जानकारी भी परखी गई, जिसमें सिर्फ बीस फीसद ही पास हुए। शहरी स्वास्थ्य केंद्रों राजेंद्रनगर, पुलिस लाइंस एवं साबुन गोदाम में जर्जर भवनों में संचालित चेन कोल्ड की स्थिति सर्वाधिक खराब मिली। दीवारों में सीलन मिली। डीप फ्रीजर का ताप मेंटेन करने के लिए कई स्टोरों में अलग से स्टेबलाइजर व जनरेटर तक नहीं है। स्टाफ में कई ऐसे भी थे, जिन्हें डीप फ्रीजर की रीडिंग लेनी नहीं आती। इधर, स्टोर इंचार्ज और मेडिकल अफसर का रजिस्टर आधा अधूरा मिला। जबकि डब्ल्यूएचओ का मानक है कि वैक्सीन का रजिस्टर रोजाना दो बार भरा जाना चाहिए। टीकाकरण अधिकारी तीन माह में सिर्फ 60 फीसद स्टोरों तक पहुंच पाए हैं। महज 11 फीसद स्टाफ को शेक टेस्ट एवं इमरजेंसी प्लान के बारे में जानकारी है।

ये मिले तथ्य

- वैक्सीन और विलयन का तापमान मेंटेन करने में सिर्फ 38.5 फीसद केंद्र मानक के मुताबिक मिले। इसमें डफरिन-100 फीसद के साथ सबसे बेहतर केंद्र, जबकि 37 फीसद के साथ भूड़बरानल सबसे खराब केंद्र मिला।

- जिस लॉग बुक को रोज दो बार भरा जाना चाहिए, वो सिर्फ 30 फीसद भरी मिली।

-महज 57 फीसद स्टाफ थर्मामीटर से स्टोर का ताप नापकर बता पाया।

-कोल्ड चेन को मेंटेन करने के लिए दो से आठ डिग्री, व -15 से -25 डिग्री तापमान निर्धारित है, जिसकी प्राथमिक क्षमता 92 फीसद केंद्रों में मिली।

- उपकरण, बिल्डिंग एवं ट्रांसपोर्ट के मानक पर सिर्फ 26 फीसद केंद्र पास हुए। तमाम केंद्रों में सीलन मिली। माछरा व सरूरपुर में 92 फीसद दक्षता मिली, जबकि नांगलाबट्टू में सिर्फ 39 फीसद खरा उतरा।

- महज 11 फीसद कोल्ड चेन स्टोर पर अग्निशमन उपकरण मिले।

- डीप फ्रीजर का स्टेबलाइजर 50 फीसद व जनरेटर 61 फीसद केंद्रों पर मिला।

-स्टाक मैनेजमेंट एवं तापमान निर्धारण में महज 19.4 केंद्र डब्ल्यूएचओ के मानक पर खरे मिले। भूड़बराल 24 फीसद स्कोर के साथ सबसे खराब मिला।

-वैक्सीन को एक्सपायरी से पहले यूज करने की गुणवत्ता अच्छी मिली, सिर्फ 46 फीसद सि¨रज एक्सपायरी से पहले इस्तेमाल हुई।

-वैक्सीन मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग में महज 30.8 स्टोर पास हुए। भूड़बराल और खरखौदा यहां भी सबसे खराब केंद्र साबित हुए।

इनका कहना है..

देश में 2013, यूपी में 2016 एवं मेरठ में 2017 में वैक्सीन स्टोरों पर स्टडी की गई। मेरठ की स्टडी ज्यादा व्यापक थी, जिसमें डब्ल्यूएचओ के मानकों पर तकरीबन 50 फीसद कोल्ड चेन स्टोर फेल पाए गए। शहरी वैक्सीन स्टोर में रखरखाव सर्वाधिक खराब है। वैक्सीन निष्क्रिय होने से पोलियो जैसी बीमारी भी उभर सकती है।

-डा. प्रशांत, कम्युनिटी मेडिसिन

इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण को नई गति दी जा रही है। वैक्सीन के रखरखाव को लेकर पूरी सतर्कता बरती जाती है। इसकी निगरानी ट्रेंड स्टाफ करते हैं। कोल्ड चेन मेंटेन रखने के लिए बिजली आपूर्ति निर्बाध की जाती है।

-डा. राजकुमार, सीएमओ।


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