Lockdown Extension: आइआइए भेजेगा प्रधानमंत्री को पत्र, उद्योग जगत ने वेतन देने को मांगी राहत Meerut News
उद्योग जगत का कहना है कि लॉकडाउन होने से कर्मचारियों को वेतन देने में समस्याएं पैदा हो रही हैं। इस कारण वे पीएम से इस संबंध में पत्र लिखकर राहत की मांग करगें।
मेरठ, जेएनएन। लॉकडाउन का साइड इफेक्ट एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) पर इस तरह से पड़ रहा है कि कर्मचारियों को बिना काम के वेतन देने का भी संकट खड़ा गया है। वेतन ही नहीं बिजली बिल, टैक्स व ब्याज आदि चुकाने से बचा-खुचा धन खत्म हो जाएगा। बाजार की स्थिति ऐसी है कि लॉकडाउन खुलने के करीब छह माह बाद स्थिति सामान्य हो पाएगी। ऐसे में उद्योग जगत ने वेतन से लेकर विभिन्न राहतों की मांग की है।आइआइए भेजेगा प्रधानमंत्री को पत्र
वित्त मंत्री को पत्र भेजने के बाद अब दो दिन में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से प्रधानमंत्री को पत्र भेजा जाएगा। इसमें एमएसएमई की चुनौती व आर्थिक स्थिति को बताते हुए छूट व पैकेज की मांग की जाएगी। आइआइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहाकि एमएसएमई को उबरने में समय लगेगा। अभी लॉकडाउन खुल जाए तब भी छह महीने का समय लगेगा क्योंकि पूरी चेन गड़बड़ हो गई है। जो माल बना रहा है वह भी परेशान है और जो माल खरीदता है, वह भी परेशान है। सरकार से मांग रखी है कि वित्तीय वर्ष जून तक ही नहीं आगे भी बढ़ाया जाए। कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैकेज दिया जाए या फिर ईएसआइ फंड से 70 फीसद तक कर्मचारी व श्रमिक को भुगतान किया जाए। वर्किंग कैपिटल की सीमा 30 फीसद बढ़ाई जाए। जलकर, गृहकर माफ किया जाए। बिजली बिल का फिक्स चार्ज माफ किया जाए। बिल सिर्फ यूनिट के हिसाब से लिया जाए।
वेस्टर्न चेंबर ने भेजा मुख्यमंत्री को पत्र
वेस्टर्न चेंबर ऑफ कॉमर्स, बांबे बाजार के अध्यक्ष रामकुमार गुप्ता ने बताया कि डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है। मांग की गई है बिजली बिल का फिक्स चार्ज माफ किया जाए। बाजार में बकाया भुगतान मिलने में वक्त लगेगा। ऐसे में अब बिना काम के वेतन का भुगतान करना मुश्किल हो रहा है। सरकारी आदेश आएगा तो देखा जाएगा। श्रमिक भी परिवार का हिस्सा हैं। ऐसे में उन्हें किस्तों में वेतन दिया जाएगा।
लघु उद्योग भारती ने वित्त मंत्री को भेजा पत्र
लघु उद्योग भारती के जिलाध्यक्ष राजकुमार शर्मा ने बताया कि वित्त मंत्री को पत्र भेजा गया है। क्योंकि अब संकट की इस घड़ी में एमएसएमई बड़े संकट में घिर गए हैं। वेतन देना बड़ी चुनौती है। सरकार से कहा कि है ऐसा किया जाए कि जिस तरह से सांसदों के वेतन में 30 फीसद कटौती की गई है उसी तरह से उद्योग के कर्मचारियों के वेतन में भी 50 फीसद कटौती करके लॉकडाउन के समय का भुगतान किया जाए। बिजली बिल सिर्फ यूनिट के हिसाब से यानी जितना उपयोग उतने के ही हिसाब से लिया जाए। टर्म लोन पर ब्याज माफ किया जाए। तीन महीने तक की ईएमआइ की समयसीमा और बढ़ाई जाए।
व्यापारियों को मिले आर्थिक पैकेज
कोरोना के प्रकोप के चलते आर्थिक गतिविधियां बंद हैं। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 10 सूत्रीय मांगों को लेकर पत्र भेजा है। प्रांतीय महामंत्री लोकेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि व्यापारियों को उनके द्वारा जमा किए जाने वाले जीएसटी और आयकर रिटर्न के हिसाब से आर्थिक पैकेज दिया जाए। ताकि वह अपने व्यापार को पटरी पर लाने का कार्य कर सके।
अन्य मांगों में तीन माह की अवधि के लिए सभी प्रकार के चार्ज और विलंब शुल्क को समाप्त करने की, वाणिज्य विद्युत बिलों के सभी प्रकार के चार्ज को समाप्त किए जाने की मांग की है। केंद्र और राज्य के विभागों के लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन के रूप में लिए जाने वाले शुल्क और विलंब शुल्क को समाप्त किया जाए। एनपीए की अवधि तीन माह से बढ़ा कर एक वर्ष की जाए। 40 लाख से कम टर्न ओवर वाले व्यापारियों को 50 हजार और रेहड़ी ठेले वालों को 10 हजार रुपये का अनुदान दिया जाए।
ये हैं उद्योग जगत की दिक्कतें
सरकार के विभिन्न उपक्रमों को सामान आपूर्ति विभिन्न समय पर हुआ है उसका करोड़ों बकाया है।
बाजार के ग्राहकों के बीच पैसे फंसे हुए हैं, जिसे वापस आने में अभी वक्त लगेगा।
बिना काम के ही मार्च का वेतन देना पड़ा है और आने वाले समय में ऐसी स्थिति हो सकती है।
बिजली बिल, वेतन, रखरखाव, जीएसटी आदि कर, ब्याज आदि निश्चित खर्च हैं जिन्हें चुकाना ही है।
लॉकडाउन समाप्त होने पर भी कच्चा माल मिलने में दिक्कत होगी।
निर्यात के तमाम ऑर्डर रद हो रहे हैं क्योंकि और देश भी आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं।
बाजार में मांग पैदा होने में समय लगेगा। क्योंकि घरेलू खरीदार भी प्रभावित हुआ है।
उद्यम जब शुरू होगा तो लाभ भी कम हो सकता है।