मेरठ में मेडिकल छात्र की हत्या में तीन डॉक्टर्स को उम्र कैद, पूर्व प्राचार्य पर भी चलेगा केस
मेरठ में अभियोजन के अनुसार छह जुलाई 2004 को मेडिकल कॉलेज में पढऩे वाले द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चौधरी का शव हॉस्टल के कमरा नंबर 38 में मिला था।
मेरठ, जेएनएन। प्रदेश में न्याय प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है। मेरठ में मेडिकल कॉलेज के छात्र सिद्धार्थ चौधरी की हत्या के 15 वर्ष बाद शुक्रवार को अदालत ने तीन डॉक्टर्स को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही एक-एक लाख का अर्थदंड भी लगाया है। इस मामले में पूर्व प्राचार्य उषा शर्मा पर अलग से मुकदमा चलेगा। अपर जिला जज कोर्ट-एक गुरप्रीत सिंह बावा के निर्णय से छात्र के माता-पिता के मन को शांति मिली है।
मेरठ में अभियोजन के अनुसार छह जुलाई, 2004 को मेडिकल कॉलेज में पढऩे वाले द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चौधरी का शव हॉस्टल के कमरा नंबर 38 में मिला था। हॉस्टल प्रभारी डॉक्टर सचिन मलिक थे। मुजफ्फरनगर के डॉक्टर दंपती ने बेटे की मौत पर हत्या का आरोप लगा कर प्राचार्य उषा शर्मा से शिकायत की थी। इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हत्या की पुष्टि हुई थी।
मृतक के पिता की तरफ से तीन डॉक्टर्स के खिलाफ चार अगस्त को हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया था। पुलिस ने 2006 में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया, जिस पर मृतक के पिता की तरफ से प्रोटेस्ट पिटीशन अदालत में दाखिल की गई। अदालत ने सुनवाई के बाद डॉ. सचिन मलिक, अमरदीप व यशपाल राणा को तलब किया। प्राचार्य उषा शर्मा के खिलाफ अंतिम रिपोर्ट स्वीकार कर ली गई। इसमें तीनों आरोपितों के खिलाफ सुनवाई अपर जिला जज कोर्ट-एक गुरप्रीत सिंह बावा के न्यायालय में हुई। सरकारी वकील नरेशदत्त शर्मा व वादी के अधिवक्ता योगेंद्र पाल सिंह चौहान व गौरव प्रताप ने वादी सहित कुल 20 गवाह पेश किए।
कोर्ट ने ने छपरौली-बागपत निवासी सचिन मलिक, गुरदासपुर निवासी अमरदीप सिंह व मुजफ्फरनगर निवासी यशपाल राणा को आजीवन कारावास एवं एक-एक लाख अर्थदंड की सजा सुनाई। उषा शर्मा के मामले का विचारण अलग से किया जाएगा। आरोपित एमबीबीएस कर डॉक्टर बन चुके हैं। तीन दिन पहले तीनों को जेल भेज दिया गया था।