मेडिकल कॉलेज के छात्र की हत्या में 15 साल बाद तीन डाक्टरों को उम्रकैद Meerut News
पंद्रह साल बाद मेडिकल कॉलेज के छात्र सिद्धार्थ चौधरी की हत्या में शुक्रवार को तीन डाक्टरों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों पर अर्थदंड भी लगाया गया है।
मेरठ, जेएनएन। पंद्रह साल बाद मेडिकल कॉलेज के छात्र सिद्धार्थ चौधरी की हत्या में शुक्रवार को तीन डाक्टरों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही एक-एक लाख का अर्थदंड भी लगाया गया है। पूर्व प्रचार्य उषा शर्मा पर अलग से मुकदमा चलेगा। अपर जिला जज कोर्ट संख्या एक गुरप्रीत सिंह बावा के निर्णय के बाद छात्र के माता-पिता के मन को शांति मिली है।
हॉस्टल के कमरे में मिली थी बॉडी
अभियोजन के अनुसार छह जुलाई 2004 को मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले द्वितीय वर्ष के छात्र सिद्धार्थ चौधरी का शव हॉस्टल के कमरा नंबर 38 में मिला था। इस हॉस्टल के प्रभारी डाक्टर सचिन मलिक थे। मुजफ्फरनगर के डाक्टर दंपती ने बेटे की मौत पर हत्या का आरोप लगा कर प्राचार्य उषा शर्मा से शिकायत की थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हत्या की पुष्टि हुई थी। मृतक के पिता की तरफ से तीन डाक्टरों के खिलाफ चार अगस्त को हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया। पुलिस ने 2006 में आरोप पत्र दाखिल कर दिया, जिस पर मृतक के पिता की तरफ से प्रोटेस्ट पिटीशन अदालत में दाखिल की गई।
कुल 20 गवाह पेश किए
अदालत ने सुनवाई के बाद डा. सचिन मलिक, अमरदीप व यशपाल राणा को तलब किया। प्राचार्य उषा शर्मा के खिलाफ अंतिम रिपोर्ट स्वीकार कर ली गई। इस मामले में तीनों आरोपितों के खिलाफ सुनवाई अपर जिला जज कोर्ट संख्या एक गुरप्रीत सिंह बावा के न्यायालय में हुई। सरकारी वकील नरेश दत्त शर्मा व वादी के अधिवक्ता योगेंद्र पाल सिंह चौहान व गौरव प्रताप ने वादी सहित कुल 20 गवाह पेश किए।
एक-एक लाख का अर्थदंड भी
इनके बयान और साक्ष्य के आधार पर अदालत ने सचिन मलिक निवासी छपरौली, बागपत, अमरदीप सिंह निवासी गुरदासपुर और यशपाल राणा निवासी मुजफ्फरनगर को आजीवन कारावास एवं एक-एक लाख के अर्थदंड की सजा सुनाई। सरकारी वकील नरेश दत्त शर्मा ने बताया कि उषा शर्मा के मामले का विचारण अलग से किया जाएगा। वादी के अधिवक्ता योगेंद्र पाल सिंह ने बताया कि आरोपित एमबीबीएस कर डाक्टर बन चुके हैं। तीन दिन पहले तीनों को जेल भेज दिया गया था।