सात घंटे से कम सोना..मतलब बीमारी पाल रहे हैं आप
लोग नींद की अहमियत नहीं समझते। सात से आठ घंटे की नींद हर हाल में जरूरी है। अगर आप इससे कम नींद ले रहे हैं तो कई गंभीर बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं। सुबह स्कूल जाने वाले बचे नौ घंटे की नींद नहीं पूरी कर पा रहे हैं।
मेरठ । लोग नींद की अहमियत नहीं समझते। सात से आठ घंटे की नींद हर हाल में जरूरी है। अगर आप इससे कम नींद ले रहे हैं तो कई गंभीर बीमारियों को आमंत्रण दे रहे हैं। सुबह स्कूल जाने वाले बच्चे नौ घंटे की नींद नहीं पूरी कर पा रहे हैं। इससे बच्चों की ग्रोथ प्रभावित हो रही है। यह कहना है स्लीप सोसाइटी के अध्यक्ष और एम्स के प्रो. एचएन मलिक का। वह चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग में आयोजित सिम्पोजियम में पहुंचे थे।
जैविक घड़ी पर आयोजित सिम्पोजियम का बुधवार को समापन हुआ। प्रो. मलिक ने बताया कि कम सोने से कुछ चीजें स्पष्ट तौर पर दिखने लगती हैं, मसलन अगर रात में नींद पूरी नहीं है तो दिन में झपकी आएगी। परफार्मेस कम होगा। मूड खराब होगा। जबकि इसके अलावा स्लिप डिसआर्डर में कई गंभीर बीमारियां भी होने का खतरा रहता है। मेमोरी लॉस हो रही है। मोबाइल फोन की लाइट बहुत पावरफुल होती है। इसकी वजह से नींद कम हो रही है। रात की शिफ्ट में अगर कोई काम करता है तो उसे दिन में अपनी आठ घंटे की नींद पूरी करनी चाहिए, अन्यथा हाइपरटेंशन, हार्ट अटैक का खतरा रहता है।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में लाइफ साइंस के प्रो. सुशील कुमार झा ने कहा कि नींद पूरी न होने से मेमोरी लास हो रही है। कार्य करने की क्षमता कम हो रही है। बहुत सारे रोड एक्सीडेंट नींद पूरी न करने की वजह से हो रहे हैं। जामिया मिलिया के प्रो. एजाज हुसैन ने कहा कि योग निद्रा से हम नींद की कमी को पूरी नहीं कर सकते हैं। योग निद्रा केवल नींद न आने की स्थिति में नींद लाने के लिए है। नींद का कोई अन्य विकल्प नहीं है। सिम्पोजियम को संबोधित करते हुए प्रो. हेनवांग ने जैविक घड़ी का स्पर्म पर पड़ने वाले प्रभाव को बताया। जापान से आए तकासी इशीमुरा ने सीजन बिहेवियर को बताया। प्रो. संगीता रानी, डा. अमित कुमार त्रिवेदी ने अपने रिसर्च पेपर के विषय में बताया। कार्यक्रम में बेस्ट पोस्टर प्रजेंटेशन और बेस्ट ओरल प्रजेंटेशन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। संयोजक प्रो. संजय कुमार भारद्वाज रहे। प्रो. एचएस सिंह, प्रो. एके चौबे, डा. नीलू जैन गुप्ता आदि का सहयोग रहा।