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अब लैब बता देगी..पानी के साथ पेट में पहुंच रहे कितने बैक्टीरिया Meerut News

मेरठ की क्षेत्रीय खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला में पेयजल में घुले हेवी मेटल और घातक कोलीफार्म बैक्टीरिया की भी जांच शुरू की जाएगी। इससे कोई भी पेयजल की गुणवत्ता जान पाएगा।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 09:44 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 09:44 AM (IST)
अब लैब बता देगी..पानी के साथ पेट में पहुंच रहे कितने बैक्टीरिया Meerut News
अब लैब बता देगी..पानी के साथ पेट में पहुंच रहे कितने बैक्टीरिया Meerut News

मेरठ,[संतोष शुक्ल]। अगर आप दिल्ली में सर्वाधिक प्रदूषित पेयजल मिलने की रिपोर्ट पढ़कर सहम गए हैं तो मेरठ नए समाधान के साथ आगे आ रहा है। मेरठ की क्षेत्रीय खाद्य विश्लेषक प्रयोगशाला में पेयजल में घुले हेवी मेटल व घातक कोलीफार्म बैक्टीरिया की भी जांच शुरू की जाएगी। यह पश्चिमी उप्र की पहली लैब होगी, जहां आम व्यक्ति भी पेयजल की गुणवत्ता जान सकेगा। अब तक सैंपल देहरादून भेजना पड़ता था।

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41 मानकों पर पानी की जांच

मेडिकल कालेज कैंपस में स्थित क्षेत्रीय खाद्य जनविश्लेषक प्रयोगशाला को छह करोड़ की लागत से हाईटेक किया गया है। यहां पर लखनऊ व देवीपाटन मंडलों के सैंपलों की जांच होती है। पश्चिमी उप्र में पहली बार माइक्रोबायोलोजिकल लैब बनाई गई है, जिसमें 41 पैरामीटरों पर पानी की परख होगी। कोई भी व्यक्ति एक हजार रुपये का शुल्क देकर अपने मोहल्ले के पेयजल की गुणवत्ता जान सकेगा। दूध में आर्सेनिक व अन्य भारी तत्वों के अंश का भी पता लग सकेगा।

कहीं पानी में बैक्टीरिया व विषाक्त तत्व तो नहीं

खाद्य विश्लेषक डा. उमेश ने बताया कि पानी में स्टेप्टोकोकस बैक्टीरिया गले में संक्रमण करने के अलावा अन्य विषाक्त प्रभाव छोड़ता है। सीवर लाइनों के जरिए कई बार फीकल कोलीफार्म फूड चेन में पहुंचकर पेचिश और गैस्ट्रो की बीमारियां बनाता है। जबकि पेयजल में कोलीफार्म की मात्र नगण्य होनी चाहिए। एनसीआर के पानी में सल्फाइड खत्म करने वाले बैक्टीरिया की संख्या भी बढ़ी है।

ये भी सेहत के दुश्मन

हवा में कई प्रकार के घातक बैक्टीरिया, फंगस, अमीबा व माइक्रोआर्गनिज्म होते हैं, जो फूड चेन व पेयजल के साथ मिलकर सेहत के लिए खतरा बनते हैं।

हेवी मेटल : औद्योगिक कारोबार की वजह से मेरठ के पानी में कैडमियम, क्रोमियम, आर्सेनिक, निकिल, फ्लोरायड व मालिब्डेनम मिल चुका है। जो कैंसर कारक हैं। हालांकि पानी में हेवी मेटल की जांच अभी तक नहीं होती है।

साइकोफीलिक : इस प्रकार के बैक्टीरिया व प्रदूषण शून्य से चार डिग्री पर पानी में संक्रमित हो जाते हैं।

मीसोफीलिक : इस वर्ग के प्रदूषण 25 से 37 डिग्री तापमान में पानी में संक्रमित होते हैं।

थर्मोफीलिक : इस वर्ग के आर्गनिज्म 25 से 41 डिग्री के बीच पनपते हैं।

थर्मोडयूरिक : बैक्टीरिया 141 डिग्री तापमान तक बना रहता है।

इनका कहना है

खाद्य विश्लेषक लैब में जल्द ही पानी में भारी तत्वों व बैक्टीरियल संक्रमणों की जांच शुरू कर दी जाएगी। कोई भी व्यक्ति एक हजार रुपये का शुल्क जमा कर 41 मानकों पर पानी की जांच करवा सकेगा।

- डा. उमेश, मुख्य खाद्य विश्लेषक 


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