लखनऊ KGMU व मेरठ की लैब बताएगी कितनों में एंटीबाडी, सरकार ने सौंपी विशेष जिम्मेदारी
कोरोना संक्रमण की सुनामी हल्की पड़ने के साथ ही प्रदेशभर में सीरो सर्वे होगा। शासन ने केजीएमयू लखनऊ और लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज मेरठ को प्रदेश के सभी 75 जिलों के सैंपलों की जांच का जिम्मा दिया है। जिसमें पता लगाया जाएगा कि कितनों में एंटीबॉडी बनी।
संतोष शुक्ल, मेरठ। कोरोना संक्रमण की सुनामी हल्की पड़ने के साथ ही प्रदेशभर में सीरो सर्वे होगा। शासन ने केजीएमयू लखनऊ और लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज मेरठ को प्रदेश के सभी 75 जिलों के सैंपलों की जांच का जिम्मा दिया है। सूबे में 50 हजार से ज्यादा लोगों के रक्त नमूनों में कोरोना के खिलाफ बनी एंटीबाडी का स्तर जांचा जाएगा। यह भी पता चल जाएगा कि प्रदेश में कम्युनिटी स्प्रेड यानी सामुदायिक संक्रमण हुआ है या नहीं। सीरो सर्वे के अंतिम आंकड़ों को विशेषज्ञों के साथ साझा कर कोरोना नियंत्रण की रणनीति बनाई जाएगी। टीकाकरण की दिशा व गति तय की जा सकेगी।
दूसरी लहर में रिकार्ड संख्या में लोग संक्रमित हुए। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश में कम्युनिटी स्प्रेड हो चुका है, ऐसे में ज्यादातर में एंटीबाडी बन गई होगी। इसकी पड़ताल के लिए प्रदेश सरकार ने मेडिकल कालेज और केजीएमयू की माइक्रोबायोलोजी लैब को एंटीबाडी टाइटर की जांच का जिम्मा दिया है। हर जिले से एक तय संख्या में नमूने लिए जाएंगे। इसमें खासतौर पर तीन वर्गो को शामिल किया जाएगा। पहले वर्ग में ऐसे लोग शामिल हैं, जिसमें कोरोना पकड़ में नहीं आया। दूसरा, जो कोरोना से ठीक हुए, लेकिन अभी वैक्सीन नहीं लगी है। तीसरा, जिन्हें टीका लगवाए 42 दिन से ज्यादा वक्त हो चुका है। पता किया जाएगा कि प्राकृतिक रूप से वायरस से संक्रमित होने और टीका लगने से बनी एंटीबाडी में क्या अंतर आ रहा है।
पिछले साल सिर्फ 22 फीसद में बनी थी एंटीबाडी : सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि सितबर 2020 में मेरठ समेत प्रदेश के 11 जिलों में सीरो सर्वे किया गया था। जिसमें 22 फीसद लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। अब सभी जिलों में सीरो सर्वे होने जा रहा है। 18 से लेकर 70 साल तक की उम्र के लोग शामिल किए जाएंगे।
क्या है सीरो सर्वे यानी एंटीबाडी टेस्ट
विभिन्न क्षेत्रों व आयु वर्ग के लोगों के खून में आइजीजी की जांच होगी। यह पाजिटिव मिलने पर पता चलता है कि व्यक्ति में एंटीबाडी यानी कोरोना से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बन चुकी है। आइजीजी फैक्टर ब्लड में लंबे समय तक रहता है।
मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजी विभाग विभागाध्यक्ष डा. अमित गर्ग ने कहा- कोरोना की दूसरी लहर बेहद तेज थी। माना जा रहा है कि 60 फीसद लोगों में संक्रमण पहुंच चुका होगा। सीरो सर्वे में लोगों के खून में आइजीजी-यानी इम्युनोग्लोबलिन्स की मात्र जांची जाएगी। केजीएमयू और एलएलआरएम की माइक्रोबायोलोजी लैब में सैंपलों की जांच होगी।