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कोटला नाला : जलभराव से बचना है तो हटा लीजिए अतिक्रमण

बरसात में जलभराव होने से पुराने शहर के लोग आजिज हैं। जल निकासी का प्रमुख आधार कोटला नाला अतिक्रमण की गिरफ्त में है। इससे नाले की पूरी तरह सफाई नहीं हो पा रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Jun 2019 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2019 09:00 AM (IST)
कोटला नाला : जलभराव से बचना है तो हटा लीजिए अतिक्रमण
कोटला नाला : जलभराव से बचना है तो हटा लीजिए अतिक्रमण

मेरठ, जेएनएन : बरसात में जलभराव होने से पुराने शहर के लोग आजिज हैं। जल निकासी का प्रमुख आधार कोटला नाला अतिक्रमण की गिरफ्त में है। इससे नाले की पूरी तरह सफाई नहीं हो पा रही है। रही सही कसर कूड़ा डालने वालों ने नाले को चौक करके पूरी कर दी है। कोटला नाले में पानी की निकासी बाधित होते ही घंटाघर क्षेत्र की सड़कें दरिया बन जाती हैं। पिछले साल 27 जुलाई की भीषण बारिश के बाद यहां भयावह हालात बन गए थे। इस बार भी बारिश में जलनिकासी बड़ी चुनौती है। नगर निगम प्रशासन ने पिछले साल हुए जलभराव के कारण तो तलाशे, लेकिन उन समस्याओं का पूरी तरह से निदान नहीं हो पाया। यदि जलभराव से बचना है तो अतिक्रमण हटाना ही होगा। नहीं तो तैयार रहिए जलभराव के लिए।

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वर्तमान में नगर निगम प्रशासन मशीन से कोटला नाले की सफाई करा रहा है। किशनपुरी की ओर नाले की सिल्ट निकाली जा रही है। घंटाघर और ईदगाह के बीच नाला डस्टबिन में तब्दील हो चुका है। बाजार का कूड़ा-कचरा और पॉलीथिन नाले में फेंका जा रहा है। निगम प्रशासन इस पर लगाम नहीं लगा पाया है। पुलिया के समीप अटे कूड़े के कारण जलनिकासी बुरी तरह प्रभावित है। बांस-बल्लियों की दुकानों के अतिक्रमण का बोझ भी नाले पर है। आलम यह है कि नाले पर कई पक्की दुकानें तक बन चुकी हैं। यही कारण है कि नाले की शत-प्रतिशत सफाई नहीं हो पाती है। निगम प्रशासन अतिक्रमण हटवाने में पूरी तरह विफल रहा है। करीब 60 फीसद हिस्से में अतिक्रमण है। महापौर सुनीता वर्मा ने कुछ दिन पहले ही इस नाले का निरीक्षण किया था। उन्होंने निगम अफसरों को अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद हालात जस के तस हैं।

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इन मोहल्लों की जलनिकासी होती है नाले से

कोटला नाला छतरी पीर तिराहे से शुरू होता है और किशनपुरी तक जाता है। नाले की लंबाई करीब दो किमी है। जिला अस्पताल, पीएल शर्मा रोड, घंटाघर, ईदगाह, पत्थरवालान, लाला का बाजार, ब्रह्मपुरी और किशनपुरी मोहल्ले की जलनिकासी इसी नाले से होती है। यह बाजारों से होकर गुजरता है। करीब 80 हजार आबादी की जलनिकासी इसी नाले से होती है। पिछले साल जलभराव की वजहें

-कोटला नाले पर बांस-बल्ली वालों ने अतिक्रमण कर रखा है। इससे चलते नाले की शत-प्रतिशत सफाई नहीं हो पायी थी।

-घंटाघर और ईदगाह बाजार के दुकानों का कूड़ा-कचरा नाले में ही फेंका जाता है। इससे नाला चोक हो गया था।

-नाले में मकबरा डिग्गी की डेयरियों का गोबर बहाए जाने से गोबर की सिल्ट नाले में जमा हो गई थी। अभी तक यह हुआ निराकरण

-मकबरा घोसियान की डेयरियों को बाहर करने की कार्रवाई के बाद इस नाले में गोबर की सिल्ट कुछ कम हो गई है। इससे जल प्रवाह को गति मिली है।

-बारिश से पहले इस बार कोटला नाले की सफाई मशीन से किशनपुरी की ओर से कराई जा रही है। सिल्ट हटने से जल बहाव तेज होगा।

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लोग बोले

-इस बार नाले की सफाई बारिश से पहले हो रही है। मकबरा की डेयरियां भी हट रह हैं। इससे गोबर भी बहकर नहीं आएगा। उम्मीद की जा सकती है कि इस बार जलभराव की स्थिति नहीं बनेगी।

आदित्य, स्थानीय नागरिक। -नाले पर अतिक्रमण बहुत है। इसको हटाने की जरूरत है। इससे नाला पूरी तरह कभी साफ नहीं हो पाता है। कूड़ा फेंकने वालों को भी सोचना होगा कि उनके इस कृत्य से जलभराव होता है।

रिहान, स्थानीय नागरिक।

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इनकी जिम्मेदारी

यह नाला दिल्ली रोड वाहन डिपो के अंतर्गत आता है। प्रभारी गजेंद्र सिंह हैं और सफाई निरीक्षक सुधाशुं कश्यप हैं। दोनों की जिम्मेदारी है कि नाले पर अतिक्रमण होने से रोकें तथा सफाई सुनिश्चित कराएं।

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इनका कहना है अतिक्रमण की समस्या है। इसके लिए नगर निगम अभियान चलाएगा। प्रवर्तन दल गठित किया गया है। जल्द ही नालों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

अमित कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त। -जलनिकासी बाधित हुई तो दिल्ली रोड वाहन डिपो प्रभारी पर कार्रवाई की जाएगी। उन्हें चेतावनी भी दी गई है। नाला सफाई में जो भी समस्याएं आ रही हैं, उनको दूर कर सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

डॉ. गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी।

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