वायरल, मलेरिया, टायफायड से पीड़ित हैं तो संभलिए अपना गुर्दा बचाने के लिए कीजिए यह उपाय Meerut News
इनदिनों यह बदलते मौसम का ही असर है कि मरीज कई बीमारियों की जकड़न में फंस रहे हैं। कई मरीजों में उल्टी-दस्त व ब्लीडिंग से रक्तचाप गिरा और गुर्दा नाकाम हो गया।
मेरठ, [जागरण स्पेशल]। बारिश के बाद वायरल बुखार, मलेरिया, टायफायड और एंन्फ्लुएंजा की वजह से मरीज कई बीमारियों की जकड़न में फंस रहे हैं। कई मरीजों में उल्टी-दस्त व ब्लीडिंग से रक्तचाप गिरा और गुर्दा नाकाम हो गया। डॉक्टरों ने आगाह किया कि बुखार में तरल खानपान ही शरीर के अंगों को बचाएगा।
ऐसे में गुर्दा हो जाता है नाकाम
मंगलवार तक जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 90, जबकि 2018 में 21 अक्टूबर तक 52 थी। मरीजों की प्लेटलेट 50 हजार तक भी पहुंच गईं। मेडिकल कॉलेज की फिजीशियन डा. योगिता सिंह का कहना है कि प्लेटलेट की कमी से कई बार यूरिन में ब्लीडिंग से भी गुर्दा नाकाम हो जाता है। मूत्र रोग विशेषज्ञ डा. शालीन शर्मा ने बताया कि जिन मरीजों का रक्तचाप 120 और 90 से नीचे पहुंचा, उनमें यूरिन बनना बंद हुआ। डेंगू बुखार में मरीजों के गुर्दे की छोटी-छोटी नसों में डैमेज यानी माइक्रोएंजियोपैथी मिल रहा है। डेंगू और वायरल बुखार में शरीर से तरल निकलने से रक्त गाढ़ा हो सकता है, जो किडनी के लिए घातक है।
पेशाब बंद तो खतरा
यूरिन के जरिए शरीर से गंदगी बाहर निकलती है। किंतु ब्लडप्रेशर घटने पर यूरिन बंद होने से शरीर में यूरिक एसिड, यूरिया, क्रिटनिन व पोटेशियम शरीर में जमा होने लगता है। कई मरीजों में पोटेशियम का स्तर 3.5 से बढ़कर छह तक पहुंच गया।
इनका कहना है
डेंगू और वायरल बुखार में उल्टी व ब्लीडिंग से रक्त गाढ़ा होकर किडनी को नाकाम कर देता है। बुखार से पीलिया के भी लक्षण मिल रहे हैं। मच्छर से बचें। रोज दस गिलास से ज्यादा पानी पिएं।
- डा. राजकुमार, सीएमओ
वायरल, मलेरिया, टायफायड, एंन्फ्लुएंजा और पीलिया सभी में बुखार होता है। वायरल बुखार तेजी से चढ़ने से अंगों को ज्यादा नुकसान करता है। फलों का जूस पिएं। तरल भोजन लें और बीपी पर नजर रखें।
- डा. तनुराज सिरोही, फिजीशियन।
मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कणिकाओं में पहुंचकर विस्फोट कर देते हैं। हीमोग्लोबिन रिलीज होने से हीमोलिसिस होता है। गुर्दा नाकाम हो जाता है। डेंगू व वायरल के कई मरीजों को डायलसिस पर रखना पड़ा।
- डा. संदीप गर्ग, गुर्दा रोग विशेषज्ञ