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विश्व नगर दिवसः त्रेता युग से लेकर अंग्रेजों के शासन तक की मेरठ में मौजूद कई निशानियां

मेरठ कई सभ्यताओं को अपने दामन में समेटे हुए है। यहां त्रेता युग से लेकर अंग्रेजों के शासन तक की निशानियां मौजूद हैं। विश्व नगर दिवस पर मेरठ के इतिहास पर नजर डाल देखते हैं।

By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 31 Oct 2018 01:09 PM (IST)Updated: Wed, 31 Oct 2018 02:38 PM (IST)
विश्व नगर दिवसः त्रेता युग से लेकर अंग्रेजों के शासन तक की मेरठ में मौजूद कई निशानियां
विश्व नगर दिवसः त्रेता युग से लेकर अंग्रेजों के शासन तक की मेरठ में मौजूद कई निशानियां
मेरठ (जेएनएन)। मेरठ...। कई सभ्यताओं को अपने दामन में समेटे दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है। तैमूर लंग, मुगल और अंग्रेजी हुकूमत के आक्रमण, बसावट के चिन्ह संजोने के साथ ही उनकी जीवन शैली से भी प्रभावित रहा है। त्रेता युग में रावण की ससुराल और द्वापर युग का हस्तिनापुर तो वैसे भी सभी को याद है।
मेरठ की सभ्यता और जीवनशैली
31 अक्टूबर को (आज) विश्व नगर दिवस है। हम सब अपने शहर को दिन-रात जीते हैं और उसे जानते भी हैं फिर भी कुछ ऐसी बातें हैं जिससे बहुत लोग अनजान हैं। अवसर नगर दिवस का है तो नगर की बसावट, प्राचीनता, सभ्यता व जीवनशैली आदि से संक्षेप में ही रूबरू होते हैं।
टीले पर बसी पुरानी तहसील
शुरुआत करते हैं पुरानी तहसील से। यह टीले पर बसा हुआ है। इस टीले की पुरातात्विक पहचान कराई गई तो यह हड़प्पाकालीन निकला। बागपत के सिनौली में उत्खनन के बाद जो कुछ तथ्य सामने आए हैं। उससे सिंधु सभ्यता से जुड़ाव के भी साक्ष्य सामने आने के संकेत मिल रहे हैं। करीब छह हजार साल पहले पुरानी तहसील के पास छोटे से किले में एक शहर बसाया गया था, मगर 1398 के करीब तैमूर लंग यहां तक आ पहुंचा। उसने पुराने शहर को खत्म कर दिया और औरतों-बच्चों को बेच दिया। तैमूर लंग कुछ दिन टिक पाता कि मुगलों ने इसे अपने अधीन कर लिया। मुगलों ने अपने हिसाब से शहर बसाया। नौ गेट बनाए। चारों तरफ दीवार बनाईं और उसके अंदर शहर और बाजार बसाए। बाजार कामकाज के हिसाब से या फिर किसी के नाम से बसाए गए थे।

ऐसे बसा मेरठ
बाद में अंग्रेज आए और उन्होंने छावनी बनाई। छावनी से लेकर पुराने शहर तक आबूलेन, सदर आदि बसा दिए गए। शहर यूं ही बसता रहा और समय के हिसाब से बदलता भी रहा। 1857 की क्रांति हुई तो अंग्रेजों ने पुराने शहर के चिन्हों को पूरी तरह खत्म करना शुरू कर दिया। 1860 तक अंग्रेजों ने शहर व बाजार को सुरक्षित रखने वाली सभी दीवारों को ध्वस्त कर दिया ताकि किलेबंदी न हो सके।
हर काल से कुछ न कुछ लिया
इतिहासकार अमित पाठक कहते हैं कि मेरठ कई सभ्यताओं को समेटे दुनिया के पुराने शहरों में से एक है। हर काल से इसने कुछ न कुछ लिया है इसलिए इसकी मिश्रित जीवन शैली है।

मराठा साम्राज्य के गवाह हैं कई मंदिर
1790 से 1803 तक सहारनपुर से इटावा तक मराठों का साम्राज्य भी रहा है। सूरजकुंड, छावनी व हस्तिनापुर में बने कई मंदिर मराठा स्थापत्य शैली के गवाह हैं। बेगम समरू, जाट, गुर्जर आदि रजवाड़ों ने भी शहर को अपने तरीके से बदला और बसाया।

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