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यूएन मिशन पर सेवाएं दे रही कारगिल रेजिमेंट

कारगिल की चोटियों से दुश्मन को उखाड़ फेंकने वाले ऑपरेशन विजय में घुसपैठियों पर आग बन कर बरसने वाली आर्टीलरी रेजिमेंट को युद्ध सम्मान के तौर पर कारगिल रेजिमेंट नाम दिया गया। उस विजय गाथा के 20 साल पूर्ण होने पर बुधवार को कारगिल रेजिमेंट ने अपने वीरों को सलामी और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Jul 2019 05:00 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jul 2019 06:23 AM (IST)
यूएन मिशन पर सेवाएं दे रही कारगिल रेजिमेंट
यूएन मिशन पर सेवाएं दे रही कारगिल रेजिमेंट

मेरठ, जेएनएन : कारगिल की चोटियों से दुश्मन को उखाड़ फेंकने वाले ऑपरेशन विजय में घुसपैठियों पर आग बन कर बरसने वाली आर्टीलरी रेजिमेंट को युद्ध सम्मान के तौर पर कारगिल रेजिमेंट नाम दिया गया। उस विजय गाथा के 20 साल पूर्ण होने पर बुधवार को कारगिल रेजिमेंट ने अपने वीरों को सलामी और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्तमान में छावनी में तैनात रेजिमेंट की आधी पल्टन यूएन मिशन पर विदेशों में सेवारत है। इसलिए इस साल आंतरिक कार्यक्रम में रेजिमेंट के लोगों ने शहीद बेदी पर पुष्पगुच्छ चढ़ाकर युद्ध सम्मान दिवस मनाया।

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किया था चौतरफा हमला

ऑपरेशन विजय में कारगिल रेजिमेंट को आठ माउंटेन आर्टीलरी ब्रिगेड के साथ आतंक विरोधी अभियान में शामिल किया गया था। 20 मई को प्रथम पार्टी के रूप में कैप्टन हरजिंदर सिंह, कैप्टन अमित शर्मा और सूबेदार जीत सिंह द्रास सेक्टर में एक नागा, 18 ग्रेनेडियर और आठ सिख में शामिल हुए। मेजर हरजिंदर ने तोलोलिंग पर दुश्मनों की मौजूदगी का पता लगाकर पहला आर्टीलरी शूट किया। उधर, कैप्टन अमित शर्मा ने 18 ग्रेनेडियर के साथ मिलकर प्वाइंट 4590 पर दुश्मन के सभी ठिकानों को नष्ट कर दिया।

मन में था 'निश्चय विजय'

मन और जुबान पर निश्चय विजय का जयघोष रखते हुए कारगिल रेजिमेंट की तोपें उपकमान अधिकारी मो. मुस्ताक हुसैन के नेतृत्व में लगातार गर्जन कर रही थीं। गनर्स एक 75/25 एमएम गन को 11,913 फीट की ऊंचाई पर ले गए और वहां दुश्मन पर आग बरसाई। तोलोलिंग और प्वाइंट 5140 की लड़ाई में इस गन को प्रत्यक्ष फायरिग की भूमिका में रखा गया। सूबेदार मो. शरीफ की देखरेख में 95 गनर्स ने इस गन के एक-एक हिस्से को उठाकर छह किलोमीटर की दूरी तय करते हुए चार हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया।

हर प्वाइंट पर साथ लड़े

तत्कालीन कमान अधिकारी कर्नल आलोक देब ने द्रास उप सेक्टर में 11 प्रमुख लड़ाइयों की फायर योजना बनाई और नियंत्रित किया। यूनिट ने आठ माउंटेन डिवीजन द्वारा लड़ी गई सभी लड़ाइयों में हिस्सा लिया। इनमें तोलोलिंग, हंप, प्वाइंट 5140, पिरामिड, कालेदांत, प्वाइंट 4700, प्वाइंट 4875, ब्लैक रॉक, लोन हिल और टाइगर हिल शामिल है। 24 जून को दुश्मन का एक गोला गन के पास गिरने से गनर उद्धव दास वीरगति को प्राप्त हुए।

18 गनों ने 23,259 गोले दागे

कारगिल रेजिमेंट के 18 गनों ने हर दिन करीब साढ़े तीन सौ गोलों के औसत से ऑपरेशन विजय में 23,259 गोले फायर किए। नौ जुलाई को रेजिमेंट को सटीक और विध्वंसकारी फायर से रेजिमेंट ऑफ आर्टीलरी की बेहतरीन परंपराओं पर खरा उतरने पर सेना प्रमुख की ओर से यूनिट प्रशंसा से नवाजा गया। रेजिमेंट को ऑनर टाइटल 'कारगिल' से नवाजा गया। साथ ही तीन सेना मेडल, एक मैंसन इन डिस्पैच, एक चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड और नौ जनरल ऑफिसर कमांड कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया।


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