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Coronavirus Effect: मेरठ में कांवड़ यात्रा पर संशय बरकरार, शासन से ली जाएगी गाइडलाइन

सावन माह में होने वाली शिवभक्तों की सबसे बड़ी और विशाल कांवड़ यात्रा भी इस बार कोरोना महामारी से प्रभावित हो सकती है। शासन से दिशा निर्देश लिए जाएंगे।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 10:47 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 01:52 PM (IST)
Coronavirus Effect: मेरठ में कांवड़ यात्रा पर संशय बरकरार, शासन से ली जाएगी गाइडलाइन
Coronavirus Effect: मेरठ में कांवड़ यात्रा पर संशय बरकरार, शासन से ली जाएगी गाइडलाइन

मेरठ, जेएनएन। सावन माह में होने वाली शिवभक्तों की सबसे बड़ी और विशाल कांवड़ यात्रा भी इस बार कोरोना महामारी से प्रभावित हो सकती है। 19 जुलाई को शिवरात्रि है। लगभग 15 दिन पहले से ही यात्रा शुरू हो जाती है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार तक के शिवभक्त हरिद्वार ऋषिकेश और गोमुख से कांवड़ उठाते हैं। शिवरात्रि से दो महीने पहले ही राज्यों के अफसरों के बीच समन्वय बैठकें शुरू हो जाती हैं, लेकिन इस बार अभी तक तैयारियों की बात तो दूर, बैठकों का दौर भी शुरू नहीं हो सका है।

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कई करोड़ शिवभक्त लाते हैं कांवड़

भगवान आशुतोष के भक्त सैकड़ों किमी की पैदल यात्र कर गंगाजल लाते हैं और सावन मास की त्रयोदशी और चतुर्दशी को जलाभिषेक करते हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश, गोमुख और गंगोत्री आदि स्थानों से देशभर के शिवभक्त कांवड़ यात्र करते हैं। यह यात्र लगभग 20 दिन तक चलती है। गंगाजल लेकर पैदल यात्र करने वाले भक्तों का सैलाब उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान तक में मुख्य मार्गों को बंद करा देता है।

महीनों पहले शुरू हो जाती हैं तैयारियां

पूर्व वर्षों की बात करें तो कांवड़ यात्रा की तैयारी दो महीने से भी पहले शुरू हो जाती है। सर्वाधिक प्रभावित उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली प्रदेश होते हैं। कमिश्नर अनीता सी मेश्राम की मानें तो अभी तक इस संबंध में शासन स्तर से कोई सूचना अथवा पत्र व्यवहार नहीं हुआ है।

समिति की बैठक में होगा गंगनहर पटरी का मूल्यांकन

कांवड़ गंगनहर पटरी मार्ग के दोहरीकरण की फाइल चालू हो गई है। प्रमुख सचिव के निर्देश पर जल्द ही पटरी मार्ग की वित्तीय व्यय समिति की बैठक होगी। 26 मई 2018 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ गंगनहर पटरी मार्ग को जाममुक्त करने के लिए दोहरीकरण की घोषणा की थी। इसके लिए बजट में 50 करोड़ की व्यवस्था भी की गई थी। दो वर्ष में लोक निर्माण विभाग के साथ मिलकर सिंचाई विभाग और सेतु निगम ने डीपीआर तैयार की। लोक निर्माण विभाग ने 694.78 करोड़ की डीपीआर शासन को भेजी। इस लागत में वन विभाग व अधिग्रहण के अन्य कार्यो को समय से निपटाने के उद्देश्य से प्री-कंस्ट्रक्शन एक्टीविटी शुरू करने के लिए 109 करोड़ की मांग रखी गई। इस लागत की जांच करते हुए वित्तीय व्यय समिति की बैठक में मूल्यांकन होगा।

इनका कहना है

कांवड़ यात्रा में कम समय रह गया है। इसे लेकर सरकार और शासन की क्या राय है, इसकी जानकारी की जाएगी। कांवड़ यात्रा को लेकर क्या और कैसे करना है, इसके लिए शासन से दिशा निर्देश मांगे जाएंगे।

- अनीता सी. मेश्राम, कमिश्नर


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