जन्माष्टमी पर बीमारियों के बावजूद खिली सूनी गोद
जन्माष्टमी की बेला में दो दंपती की गोद में किलकारी गूंजी। दोनों महिलाओं को गंभीर बीमारिया थीं लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के वरदान से वर्षो का सूनापन दूर हुआ।
जेएनएन, मेरठ। जन्माष्टमी की बेला में दो दंपती की गोद में किलकारी गूंजी। दोनों महिलाओं को गंभीर बीमारिया थीं, लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के वरदान से वर्षो का सूनापन दूर हुआ। डा. सुनील जिंदल ने बताया कि सिकंदराबाद निवासी महिला को फिट्ज हग कर्टीस नामक दुर्लभ बीमारी थी, जिसमें संक्रमण पेट के अंदर जिगर से बच्चेदानी तक अंगों को प्रभावित करता है। हर चीज में चिपकन पैदा हो जाती है। इससे नलिकाएं गल जाती हैं। बंद पड़ जाती हैं। टीबी की बीमारी से भी ऐसा हो सकता है। इस महिला को टेस्ट ट्यूब तकनीक से जन्माष्टमी के दिन बच्चा पैदा हुआ। दूसरी महिला भी बच्चे के लिए लंबे समय से परेशान थी। डा. अंशु जिंदल ने बताया कि एक बच्चा दिल की बीमारी की वजह से पेट में ही खत्म हो गया था। इलाज के बाद महिला गर्भवती हुई। काफी प्रयास और इलाज के बाद अंत में एक बच्चे का जन्म हुआ। डा. जिंदल ने बताया कि जन्माष्टमी के दिन दो दंपती की गोद भर गई। उनके परिजनों ने बताया कि यह परिवार के लिए बड़ा क्षण है। बच्चों ने घर में ही मनाई जन्माष्टमी
जेएनएन, मेरठ। गांव में दूसरे दिन बुधवार को जन्माष्टमी श्रद्धालुओं ने परंपरागत ढंग से मनाई। श्रद्धालुओं ने उपवास रखकर घर में ही पूजा-अर्चना की। इसके अलावा महावीर इंटरनेशल स्कूल के बच्चों ने भी हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी मनाई। बच्चों ने श्री कृष्ण व मुरलीधर और राधा रानी का मनोहारी रूप धारण कर सेल्फी स्कूल भेजी। इसके अलावा बच्चों ने श्री राधा कृष्ण के भक्ति से पूर्ण भजनों को अपनी मधुर आवाज में गाया व झूम-झूम कर आकर्षक नृत्य प्रस्तुतियों के वीडियो भी बनाकर भेजे। स्कूल चेयरमैन धर्मेन्द्र भारद्वाज व प्रधानाचार्य नरेश कुशवाह ने बच्चों की प्रस्तुतियों की प्रशंसा की। क्षेत्र के दबथुवा, गढी, बहादरपुर, बुबुकपुर, भलसोना, आदि गांवों में भी जन्माष्टमी का पर्व सादगी के साथ मनाया गया।
केक काटकर मनाया कान्हा का जन्मदिन
जेएनएन, मेरठ। क्षेत्र में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। कैली गांव में बच्चों ने केक काटकर कान्हा का जन्मदिन मनाया। वहीं, खरखौदा थाना परिसर में बने मंदिर को इंस्पेक्टर अरविंद मोहन शर्मा ने सजवाया। वही, कस्बा समेत अन्य गावों में मंदिरों को सजाया गया।