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बात पते की: मान भी जाओ धरतीपुत्र आपकी जमीन भी जनता के भले के लिए ही चाहिए Meerut News

दैनिक जागरण के र‍िपोर्टर अनुज शर्मा ने विशेष कॉलम बात पते की में मेरठ में उड़ान के सपने को हकीकत में उतारने पर प्रशासनिक कार्यवाही पर तंज कसा है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 01:21 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 05:47 PM (IST)
बात पते की: मान भी जाओ धरतीपुत्र आपकी जमीन भी जनता के भले के लिए ही चाहिए Meerut News
बात पते की: मान भी जाओ धरतीपुत्र आपकी जमीन भी जनता के भले के लिए ही चाहिए Meerut News

मेरठ, [अनुज शर्मा]। धरती मां की गोद में पसीना बहाकर लोगों का पेट भरने वाले धरतीपुत्र आजकल रूठे हुए हैं। उनसे उनकी जमीन जो मांगी जा रही है। हालांकि यह जमीन भी जनता के भले के लिए ही चाहिए। लक्ष्य दिल्ली को मेरठ के पास लाना है। सड़क के रास्ते दिल्ली पहुंचना किसी मुसीबत से कम नहीं है। रेल के इंतजाम भी नाकाफी हैं। यह सफर घंटों के स्थान पर मिनटों में पूरा करने के लिए सरकार रैपिड रेल चलाना चाहती है। काम भी शुरू हो गया है। स्टेशन बनाने हैं, जमीन चाहिए। समय बचाने को अफसर धरतीपुत्रों से सीधी बात कर रहे हैं लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हैं। मनमानी दाम मांग रहे हैं जबकि अफसरों की जेब में इतना माल नहीं है। उन्होंने जिले के मुखिया से गुहार लगाई है। अब मुखिया धरतीपुत्रों को मनाने चले हैं। जनता भी धरतीपुत्रों से कह रही है कि आप तो ऐसे न थे।

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उड़ने को रहें तैयार

मेरठ के लोगों का अपनी जमीन से उड़ान भरने का सपना है। हालांकि यहां के सैकड़ों लोग अभी भी रोजाना उड़ान भर रहे हैं। इसके लिए उन्हें घंटों की सड़क यात्रा करनी होती है। जनता चीखती है, सरकार वादा करती है लेकिन वादा पूरा नहीं हुआ। मेरठ में उड़ान का इंतजाम तो अभी भी है। हवाई पट्टी है लेकिन केवल सरकार के काम की। जनता के लिए इसे चौड़ा और लंबा करना होगा तब छोटे विमान उड़ सकेंगे। इसके लिए प्रयास कई बार हुए पर परवान नहीं चढ़े। गेंद लखनऊ और दिल्ली में उछलती रही लेकिन अब इस बार गंभीरता ज्यादा है। केंद्र की लिस्ट में मेरठ है। लखनऊ सक्रिय हो गया है, बहानेबाज अफसर भी जुटे हैं। पता चला है योजना तैयार है, लखनऊ भेजने की तैयारी है। एयरपोर्ट अथॉरिटी पहले ही वादा कर चुकी है कि जमीन मिल जाए तो लोगों को उड़ान भरवाने में समय नहीं लगेगा।

और दौड़ पड़ी मालगाड़ी

सरकार मालगाड़ी का बोझ भी पुरानी रेल लाइनों से खत्म करने में जुटी है। दावा है कि दो मंजिला मालगाड़ी चलेगी वो भी अपनी खास लाइन पर। यह लाइन देश भर में गोला बनाएगी। मेरठ का सौभाग्य है कि वह यहां से भी गुजरेगी लेकिन मेरठ के नाम पर इस रेलवे लाइन के निर्माण में विलंब कराने का कलंक लग गया है। यहां अभी जमीन अधिग्रहण का कार्य समाप्त नहीं हुआ है। किसानों का भुगतान बकाया है। उन्होंने जमीन पर कब्जा नहीं दिया। यहां तैनात एडीएम भूमि अध्याप्ति सेवानिवृत हो गए सो सारे काम अटक गए। किसान भी अड़ गए। रेलवे अफसरों ने बहुत समझाया लेकिन किसान नहीं माने। दोनों की अपनी मजबूरियां थीं। अंतत: एडीएम भूमि अध्याप्ति सुल्तान साहब की तैनाती हो गई है। अब अधिकारी और किसान दोनों खुश हैं। मामले हल हो रहे हैं। मालगाड़ी चलेगी तो मेरठ के लिए भी वरदान बनेगी, सड़क का बोझ भी घटेगा।

हमें इंतजार पसंद है

बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि समय कीमती है, एक बार जाकर वापस नहीं आता। हमारे गाड़ी वाले भाई लोग भी अजीब हैं। सड़क पर चलते हैं तो हमेशा उन्हें लेट हुई रहती है। इस जल्दबाजी में जान तक दांव पर लगा देते हैं। किसी के पीछे चलना तक उन्हें कुबूल नहीं होता। इन जल्दबाजों का दूसरा रूप भी है जिसे रोजाना एनएचएआइ के टोल प्लाजा पर देखा जा सकता है। सरकार ने इंतजाम किया है कि आप बिना ब्रेक लगाए बस टोल प्लाजा से गुजर जाएं, टोल का पैसा खाते से कट जाएगा। ..लेकिन फास्टैग लेने के लिए आपको एक बार दस मिनट समय देना होगा, फिर आराम। दूसरी ओर हमारे जल्दबाजों के पास ये दस मिनट भी नहीं है जबकि रोजाना टोल प्लाजा पर एक से लेकर दो घंटे तक कैश वाली लाइन में खड़े रहना उन्हें पसंद है। एनएचएआइ ने भी अब ऐसे लोगों की चिंता छोड़ दी है।


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