Jagran Film Festival: जिंदगी का नया फलसफा सिखा गया जागरण फिल्म फेस्टिवल Meerut News
हाउसफुल की स्थिति पर कोई सीढ़ियों पर बैठा तो कोई एंट्री गेट के पास खड़ा होकर ही सिनेमा के प्रति दीवानगी जता रहा था। कुछ ऐसा था 10th जागरण फिल्म फेस्टिवल।
By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 12:59 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 12:59 PM (IST)
प्यार एक मिट्टी की गुल्लक है
चाहें तो पल में तोड़ दो इसे
लेकिन प्यार मजबूत रखती है
एक कच्ची गुल्लक।
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। अभिनेता राजेश तैलंग ने इस फेस्टिवल में यह पंक्तियां सुनाईं तो थीं प्यार को समझाने के लिए पर इसका दायरा बड़ा करके सोचें तो हम सब टूटना नहीं प्यार से ही रहना चाहते हैं। समाज में इसी प्यार को पैदा करने के लिए जागरण फिल्म फेस्टिवल सामाजिक फिल्मों को सिक्के की तरह जमा करता आ रहा है। और लोगों के स्नेह और लगाव की वजह से प्यार का यह गुल्लक मजबूत है। इसमें समाज को आईना दिखाने और नसीहत वाली फिल्में यादें छोड़ गईं।
मनोरंजन और प्यार का गुलदस्ता
30 अगस्त की ढलती शाम को जब दफ्तरों से निकलकर लोग अपने घरों की तरफ बढ़ रहे थे तब उसी वक्त उसी शहर के सैकड़ों लोग उस फेस्टिवल के लिए निकल रहे थे जहां उन्हें मनोरंजन और प्यार का गुलदस्ता 70 एमएम के पर्दे से मिलने वाला था। ठीक 6.30 बजे शॉप्रिक्स मॉल के वेव सिनेमा के ऑडी नंबर दो में रजनीगंधा के सहयोग से 10वां जागरण फिल्म फेस्टिवल शुरू हुआ तो केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान अभिभूत हो उठे। कमिश्नर अनीता सी मेश्रम ने दर्शकों से फेस्टिवल के महत्व को साझा किया। हाउसफुल की स्थिति पर कोई सीढ़ियों पर बैठा तो कोई एंट्री गेट के पास खड़ा होकर ही सिनेमा के प्रति दीवानगी जता रहा था। इस जोश को देखकर ही डा. संजीव बालियान ने अपने बारे में बताया कि उन्होंने जांबाज फिल्म देखकर वेटनरी से बीएससी की थी। ताशकंद का पहला शो लाल बहादुर शास्त्री की मौत के रहस्यों को जितना उजागर कर रहा था उससे कहीं ज्यादा उसने लोकतंत्र की व्याख्या की। यही प्रभाव था कि उसके बाद कई युवाओं ने शास्त्रीजी की जयंती हर साल धूमधाम से मनाने का निश्चय किया। देश ही नहीं विदेश की फिल्में भी थीं जो बेहतरीन हैं पर लोगों की पहुंच से दूर हैं। स्पेन की ऐसी ही फिल्म पहले दिन रात में दिखाई गई-द आयरिश प्रिजनर। इस फेस्टिवल की यही खूबसूरती है कि इसमें कुछ फिल्में कलाकारों को समर्पित होती हैं, तो कुछ कलाकारांे को दर्शकों से रूबरू भी कराती हैं।
दर्शकों के बीच कलाकार
दूसरे दिन मंझे हुए कलाकार राजेश तैलंग दर्शकों के बीच पहुंचे और दिलचस्प बातचीत का दौर चला। वह मिर्जापुर जैसी चर्चित वेब सीरीज में काम कर चुके हैं। उसी दिन थियेटर आर्टिस्ट प्रियंका शर्मा मास्टर क्लास लगाती हैं। इसमें लेखन, निर्देशन व अभिनय में कॅरियर तलाश रहे लोग जानकारी लेते हैं। कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा की मौजूदगी सिनेमाई माहौल को और भी जवां करती है। इस दिन शो का शुभारंभ कादर खान को श्रद्धांजलि देने के लिए कुली नंबर एक से किया गया।
जिंदगी का संदेश देती फिल्में
इसके बाद जोया, गल्र्स हॉस्टल, बंकर के अलावा शॉर्ट फिल्में आपके आ जाने से, टैक्सी, दी वॉल, बिन्नू का सपना व मील के बाद चिंटू का बर्थ डे जिंदगी जीने का संदेश देती है। लेटर्स के साथ दूसरे दिन का शो समाप्त होता है और आखिरी दिन यानी रविवार को सदाबहार अभिनेता अनिल कपूर की फिल्म राम लखन से सुबह की शुरुआत होती है। कलाकारों से मिलने का सिलसिला फिर बढ़ता है और फिल्म अभिनेत्री शेफाली शाह दर्शकों से रूबरू होती हैं। सवालों के जवाब देती हैं। इसी कड़ी में सूरमा, कसाई, नक्काश के बाद तुंबाड ऐसी याद छोड़ जाता है जिसे शायद ही कभी दर्शक भूल पाएंगे। इसी के साथ तीन दिनों का सफर पूरा होता है और फेस्टिवल अगले मुकाम पर निकल पड़ा...इस वादे के साथ कि अगले वर्ष फिर मिलेंगे कुछ नए अतिथियों के साथ। कुछ अलबेली, अनोखी फिल्मों के संग।
चाहें तो पल में तोड़ दो इसे
लेकिन प्यार मजबूत रखती है
एक कच्ची गुल्लक।
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। अभिनेता राजेश तैलंग ने इस फेस्टिवल में यह पंक्तियां सुनाईं तो थीं प्यार को समझाने के लिए पर इसका दायरा बड़ा करके सोचें तो हम सब टूटना नहीं प्यार से ही रहना चाहते हैं। समाज में इसी प्यार को पैदा करने के लिए जागरण फिल्म फेस्टिवल सामाजिक फिल्मों को सिक्के की तरह जमा करता आ रहा है। और लोगों के स्नेह और लगाव की वजह से प्यार का यह गुल्लक मजबूत है। इसमें समाज को आईना दिखाने और नसीहत वाली फिल्में यादें छोड़ गईं।
मनोरंजन और प्यार का गुलदस्ता
30 अगस्त की ढलती शाम को जब दफ्तरों से निकलकर लोग अपने घरों की तरफ बढ़ रहे थे तब उसी वक्त उसी शहर के सैकड़ों लोग उस फेस्टिवल के लिए निकल रहे थे जहां उन्हें मनोरंजन और प्यार का गुलदस्ता 70 एमएम के पर्दे से मिलने वाला था। ठीक 6.30 बजे शॉप्रिक्स मॉल के वेव सिनेमा के ऑडी नंबर दो में रजनीगंधा के सहयोग से 10वां जागरण फिल्म फेस्टिवल शुरू हुआ तो केंद्रीय मंत्री डा. संजीव बालियान अभिभूत हो उठे। कमिश्नर अनीता सी मेश्रम ने दर्शकों से फेस्टिवल के महत्व को साझा किया। हाउसफुल की स्थिति पर कोई सीढ़ियों पर बैठा तो कोई एंट्री गेट के पास खड़ा होकर ही सिनेमा के प्रति दीवानगी जता रहा था। इस जोश को देखकर ही डा. संजीव बालियान ने अपने बारे में बताया कि उन्होंने जांबाज फिल्म देखकर वेटनरी से बीएससी की थी। ताशकंद का पहला शो लाल बहादुर शास्त्री की मौत के रहस्यों को जितना उजागर कर रहा था उससे कहीं ज्यादा उसने लोकतंत्र की व्याख्या की। यही प्रभाव था कि उसके बाद कई युवाओं ने शास्त्रीजी की जयंती हर साल धूमधाम से मनाने का निश्चय किया। देश ही नहीं विदेश की फिल्में भी थीं जो बेहतरीन हैं पर लोगों की पहुंच से दूर हैं। स्पेन की ऐसी ही फिल्म पहले दिन रात में दिखाई गई-द आयरिश प्रिजनर। इस फेस्टिवल की यही खूबसूरती है कि इसमें कुछ फिल्में कलाकारों को समर्पित होती हैं, तो कुछ कलाकारांे को दर्शकों से रूबरू भी कराती हैं।
दर्शकों के बीच कलाकार
दूसरे दिन मंझे हुए कलाकार राजेश तैलंग दर्शकों के बीच पहुंचे और दिलचस्प बातचीत का दौर चला। वह मिर्जापुर जैसी चर्चित वेब सीरीज में काम कर चुके हैं। उसी दिन थियेटर आर्टिस्ट प्रियंका शर्मा मास्टर क्लास लगाती हैं। इसमें लेखन, निर्देशन व अभिनय में कॅरियर तलाश रहे लोग जानकारी लेते हैं। कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा की मौजूदगी सिनेमाई माहौल को और भी जवां करती है। इस दिन शो का शुभारंभ कादर खान को श्रद्धांजलि देने के लिए कुली नंबर एक से किया गया।
जिंदगी का संदेश देती फिल्में
इसके बाद जोया, गल्र्स हॉस्टल, बंकर के अलावा शॉर्ट फिल्में आपके आ जाने से, टैक्सी, दी वॉल, बिन्नू का सपना व मील के बाद चिंटू का बर्थ डे जिंदगी जीने का संदेश देती है। लेटर्स के साथ दूसरे दिन का शो समाप्त होता है और आखिरी दिन यानी रविवार को सदाबहार अभिनेता अनिल कपूर की फिल्म राम लखन से सुबह की शुरुआत होती है। कलाकारों से मिलने का सिलसिला फिर बढ़ता है और फिल्म अभिनेत्री शेफाली शाह दर्शकों से रूबरू होती हैं। सवालों के जवाब देती हैं। इसी कड़ी में सूरमा, कसाई, नक्काश के बाद तुंबाड ऐसी याद छोड़ जाता है जिसे शायद ही कभी दर्शक भूल पाएंगे। इसी के साथ तीन दिनों का सफर पूरा होता है और फेस्टिवल अगले मुकाम पर निकल पड़ा...इस वादे के साथ कि अगले वर्ष फिर मिलेंगे कुछ नए अतिथियों के साथ। कुछ अलबेली, अनोखी फिल्मों के संग।
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