मानसून सिर पर, कूड़े से भरे नाले तो डुबा देंगे शहर
मेरठ। शहर के खुले नाले अभी भी कूड़े से भरे हैं। नगर निगम प्रशासन भले ही दो महीने से नालों की रा
मेरठ। शहर के खुले नाले अभी भी कूड़े से भरे हैं। नगर निगम प्रशासन भले ही दो महीने से नालों की रात दिन सफाई करने का दावा कर रहा हो लेकिन वास्तविक हालात शहर की जनता को डरा रहे हैं। नालों में कूड़ा ऊपर तक भरा है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार मानसून एक सप्ताह पहले यानि 20 से 25 जून के बीच आ जाएगा। मानसून की बारिश में शहर का डूबना तय है। शहर के नालों की इस स्थिति के लिए काफी हद तक छावनी परिषद की बेपरवाह कार्यशैली भी जिम्मेदार है। वहां नालों की सफाई नहीं होती। छावनी के सभी नाले बहकर शहर से गुजरते हैं। उनका कूड़ा भी नगर निगम के लिए सिरदर्द बना है।
255 नालों की सफाई का दावा, कूड़े से खाली एक भी नहीं : शहर में 285 नालों का जाल है। जो कि गली गली से गंदे पानी को शहर के बाहर ले जाने का काम करते हैं। इन नालों में ऊपर तक कूड़ा भरा रहता है। नगर निगम प्रशासन की माने तो उनके तीनों वाहन डिपो की सभी मशीनें दो महीने से रात दिन नालों की सफाई में जुटी हैं। 285 में से 255 नालों को साफ करने का दावा भी नगर स्वास्थ्य अधिकारी करते हैं। लेकिन मौके पर हालात चिंताजनक हैं। आबूनाला की दो शाखाएं तथा ओडियन नाला समेत कुल तीन नाले पूरे शहर की रीढ हैं। इनके माध्यम से ही पूरे शहर का पानी काली नदी तक जाता है। इन तीनों नालों पर ही रात दिन सफाई कराने का दावा निगम का है। लेकिन इन तीनों नालों की ही स्थिति आज भी बदतर है। ओडियन नाले में कोटला में आज भी सूखा कूड़ा भरा है। ओडियन सिनेमा, भूमिया पुल के पास गोबर की मोटी परत अभी भी जमी है। वहीं कमेला रोड पर नाले में कूड़ा भरा है। बेगमपुल से गुजरकर मोहनपुरी और फूलबाग की ओर जाने वाला आबूनाला अभी भी कूड़े से भरा है। वहीं आबूनाला-2 की रूड़की रोड से आगे के हिस्से में सफाई ही अभी तक नहीं की गई है। कसेरूखेड़ा, मवाना रोड, राधागार्डन तथा किला रोड और मेडिकल कालेज के पीछे से होता हुआ नाला काली नदी में जाकर मिलता है। पूरा का पूरा कूड़ा, सिल्ट, घास और पेड़ से भरा है। थापरनगर, मोहनपुरी, सुभाषनगर, नेहरूनगर, मकाचीन, फिल्मिस्तान के पीछे, पांडव नगर, संजय नगर आदि अन्य छोटे नाले भी कूड़े से भरे हैं।
छावनी का कूड़ा झेल रहा निगम : छावनी परिषद के क्षेत्र से आबूनाला, थापरनगर नाला समेत कई नालें शहर में आते हैं। छावनी परिषद नाला सफाई के लिए कभी भी गंभीर नहीं रहती। क्योंकि फजीहत से बचने के लिए नगर निगम नालों में कुछ न कुछ काम कराता रहता है। उसकी सफाई के कारण उसका पानी और गंदगी बहकर शहर में आती रहती है। छावनी की गंदगी ने शहर में नालों को भर रखा है।
खुले हैं इसलिए नहीं थम रहा कूड़ा : नगर निगम प्रशासन का कहना है कि वे लगातार नालों की सफाई करा रहे हैं लेकिन बार बार कूड़ा नालों में डाल दिया जाता है अथवा उसमें गिर जाता है। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि नाले खुले हैं। कूड़ा उनमें नागरिक, निजी व सरकारी सफाई कर्मचारी डालते रहते हैं। नाले यदि बंद हों तो उनमें कूड़ा नहीं डल सकता।
आने वाला है मानसून, डूब जाएगा शहर : मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार मानसून एक सप्ताह पहले पश्चिम उ.प्र. में आ जाएगा। उनका कहना है कि 20 से 25 जून तक मानसून मेरठ में होगा। मानसून की पहली बारिश में ही कूड़े से भरे नाले शहर को गंदे पानी से भर देंगे। 20 लाख जनता का बारिश जीना मुहाल कर देगी।
नहीं होने देंगे जलभराव : नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. कुंवरसैन का कहना है कि नालों की लगातार सफाई कराई जा रही है। बारिश से पहले बचा काम पूरा कर लिया जाएगा। हालात काबू में करने के लिए बारिश के दौरान भी नगर निगम की टीमें तैनात रहेंगी। यह बात सही है कि यदि नाले ढके हों तो उनके कूड़ा डाले जाने और कूड़ा गिरने की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी।