जम्मू-कश्मीर धमाके में शहीद हुए जबर सिंह की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
शहीद हुए जबर सिंह की अंतिम यात्रा में जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों समेत हजारों लोगों ने श्रद्धाजंलि दी।
By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 03:31 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 03:31 PM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। सहारनपुर में भैरमऊ गांव के बीएसएफ में सहायक कमांडेट जबर सिंह की अंतिम यात्रा में जन सैलाब उमड़ पड़ा। जब तक सूरज चांद रहेगा जबर सिंह तेरा नाम रहेगा, वंदे मातरम, भारत माता की जय और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से बुधवार को जैसे भैरमऊ गांव गूंज उठा। सलामी के बाद राजकीय सम्मान के साथ जबर सिंह के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मौके पर आयुष मंत्री डॉ धर्म सिंह सैनी, विधायक कुंवर ब्रिजेश, प्रदीप चौधरी समेत कमिश्रनर सीपी त्रिपाठी, डीआईजी शरद सचान, डीएम आलोक कुमार, एसएसपी दिनेश पी के अलावा पूर्व विधायक महावीर सिंह राण, सपा जिलाध्यक्ष रूद्रसैन, अतुल प्रधान समेत अन्य जनप्रतिनिधि मुख्य रूप से मौजूद रहे।
शहीद के परिवार को दी सहायता राशी
मंत्री डॉक्टर धर्म सिंह सैनी कमिश्नर सीपी त्रिपाठी, जिलाधिकारी आलोक कुमार ने शहीद जबर सिंह की पत्नी रविता को २० लाख रुपये तथा पिता सिताब सिंह को ५ लाख रूपए की राशि के अलग-अलग चेक दिए। इस दौरान रविता अपने आंखों से बहते आँसुओं को रोक नहीं पाई। बावजूद इसके इसके खुद को हिम्मत बंधाते हुए रविता ने कहा कि उन्हें पति की शहादत पर गर्व है। शहीद जबर सिंह को यहां मौजूद जनप्रतिनिधियों और पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा यहां पहुंचे हजारों लोगों ने श्रद्धाजंलि दी।
अंतिम यात्रा में शामिल हुआ पूरा गांव
जबर सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचने की खबर फैली तो गांव के लोग दौड़ पड़े। गांव से कई किलोमीटर पहले ही युवाओं ने तिरंगे में लिपटे जबर सिंह के ताबूत में आए शरीर को कंधों पर उठा लिया। कई किलोमीटर तक युवा और गांव के अन्य लोग जबर सिंह के शरीर को अपने कंधे पर लेकर गांव पहुंचे। जबर सिंह की अंतिम यात्रा पर पुष्पवर्षा होती रही और इस अंतिम यात्रा में शामिल लोग भारत की जय और अमर शहीद जबर सिंह के नारे लगाते रहे। बता दें कि कोतवाली नुकुड़ क्षेत्र के गांव भैर मऊ निवासी जबर सिंह पुत्र सिताब सिंह बीएसएफ में तैनात थे। सोमवार रात बॉर्डर पर शहीद होने की उनकी खबर गांव पहुंची थी। इस खबर के साथ पूरे गांव में दुःख पसर गया था। जबर सिंह के भाई जगदीश ने गांव वालों को बताया था कि बार्डर पर उनके भाई जबर सिंह देश के लिए शहीद हो गए हैं। जबर सिंह सांबा सेक्टर में तैनात १७३ बटालियन की यूनिट मे थे। परिवार ने वालों ने सोचा भी नहीं था कि जबर सिंह छुट्टी से पहले ही इस तरह तिरंगे में लिपटकर घर आएंगे
शहीद की याद में गांव में बनेगा हाईस्कूल
शहीद जबर सिंह के पार्थिव शरीर को उनके बेटे हर्षित ने मुख्गनि दी है। जब मासूम हर्षित ने शहीद पिता की चिता को मुख्गनि दी तो यह देख रहे लोग अपनी आंखो में आंसुओं को रोक नहीं पाए। मंत्री धर्म सिंह सैनी ने शहीद की याद में स्मृति द्वार बनवाने तथा गांव में हाई स्कूल बनवाने की घोषणा की।
शहीद के परिवार को दी सहायता राशी
मंत्री डॉक्टर धर्म सिंह सैनी कमिश्नर सीपी त्रिपाठी, जिलाधिकारी आलोक कुमार ने शहीद जबर सिंह की पत्नी रविता को २० लाख रुपये तथा पिता सिताब सिंह को ५ लाख रूपए की राशि के अलग-अलग चेक दिए। इस दौरान रविता अपने आंखों से बहते आँसुओं को रोक नहीं पाई। बावजूद इसके इसके खुद को हिम्मत बंधाते हुए रविता ने कहा कि उन्हें पति की शहादत पर गर्व है। शहीद जबर सिंह को यहां मौजूद जनप्रतिनिधियों और पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा यहां पहुंचे हजारों लोगों ने श्रद्धाजंलि दी।
अंतिम यात्रा में शामिल हुआ पूरा गांव
जबर सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचने की खबर फैली तो गांव के लोग दौड़ पड़े। गांव से कई किलोमीटर पहले ही युवाओं ने तिरंगे में लिपटे जबर सिंह के ताबूत में आए शरीर को कंधों पर उठा लिया। कई किलोमीटर तक युवा और गांव के अन्य लोग जबर सिंह के शरीर को अपने कंधे पर लेकर गांव पहुंचे। जबर सिंह की अंतिम यात्रा पर पुष्पवर्षा होती रही और इस अंतिम यात्रा में शामिल लोग भारत की जय और अमर शहीद जबर सिंह के नारे लगाते रहे। बता दें कि कोतवाली नुकुड़ क्षेत्र के गांव भैर मऊ निवासी जबर सिंह पुत्र सिताब सिंह बीएसएफ में तैनात थे। सोमवार रात बॉर्डर पर शहीद होने की उनकी खबर गांव पहुंची थी। इस खबर के साथ पूरे गांव में दुःख पसर गया था। जबर सिंह के भाई जगदीश ने गांव वालों को बताया था कि बार्डर पर उनके भाई जबर सिंह देश के लिए शहीद हो गए हैं। जबर सिंह सांबा सेक्टर में तैनात १७३ बटालियन की यूनिट मे थे। परिवार ने वालों ने सोचा भी नहीं था कि जबर सिंह छुट्टी से पहले ही इस तरह तिरंगे में लिपटकर घर आएंगे
शहीद की याद में गांव में बनेगा हाईस्कूल
शहीद जबर सिंह के पार्थिव शरीर को उनके बेटे हर्षित ने मुख्गनि दी है। जब मासूम हर्षित ने शहीद पिता की चिता को मुख्गनि दी तो यह देख रहे लोग अपनी आंखो में आंसुओं को रोक नहीं पाए। मंत्री धर्म सिंह सैनी ने शहीद की याद में स्मृति द्वार बनवाने तथा गांव में हाई स्कूल बनवाने की घोषणा की।
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