कोरोना ने न्यूनतम संसाधनों में जीना सिखा दिया
कुछ समय पहले तक सब ठीक चल रहा था लेकिन अचानक आए कोरोना ने सभी के जीवन को उथल-पुथल कर दिया।
मेरठ, जेएनएन। कुछ समय पहले तक सब ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक आए कोरोना ने सभी के जीवन को उथल-पुथल कर दिया। लोगों की जीवनशैली पूरी तरह बदल गई। काफी समस्याएं भी बढ़ गई। संपूर्ण लाकडाउन में सभी को लंबे समय तक घरों में कैद रहना पड़ा। सभी ने न्यूनतम संसाधनों में जीना सीखा।
खाली समय में बहुत से बच्चों ने किताबें पढ़ने को अपना शौक बनाया तो कोई विचित्र एवं रचनात्मक कार्य में मशगूल हो गया। ऐसे में आनलाइन लाइव क्लास का भी दौर आया। लाकडाउन की वजह से खासकर बच्चों में चिड़चिड़ापन बढ़ा, जिसका प्रभाव अब भी उनके व्यवहार में झलकता है। वह बात-बात पर गुस्सा हो रहे हैं। मानसिक रोग विशेषज्ञों के अनुसार शहरों में बढ़ते एकल परिवार की वजह से यह समस्या और भी विकराल हो रही है। इसके अलावा मोबाइल, कंप्यूटर और टीवी को बच्चों ने अधिक समय दिया। यह मानसिक तनाव का कारण भी बना। खेलकूद आदि गतिविधियां कम होने की वजह से यह समस्या बढ़ रही है। इसके उलट कुछ बच्चों ने आपदा को अवसर के रूप में लिया। वह पढ़ाई-खेलों से जुड़ी कई तरह की गतिविधियों में मशगूल रहे। इससे उन्हें सीखने का भरपूर मौका मिला। विशेष आनलाइन सेशन भी लिए, जिससे उनका मानसिक विकास हुआ। इसके अलावा घर के बड़ों के साथ बच्चों को समय बिताने का समय मिला, जिससे उन्हें नैतिक मूल्यों का ज्ञान प्राप्त हुआ।
आपका अक्षत मान, कक्षा 12वीं, डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल