Move to Jagran APP

आइटीआइ प्रशिक्षुओं की 'युक्ति', झंझट से दी मुक्ति

कहते हैं प्रतिभावान के हुनर को निखारने के लिए बस दिशा देने की आवश्यकता होती है। साथ ही कुछ करने का जुनून है तो कामयाबी मिलकर रहती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Feb 2020 03:00 AM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 06:07 AM (IST)
आइटीआइ प्रशिक्षुओं की  'युक्ति', झंझट से दी मुक्ति
आइटीआइ प्रशिक्षुओं की 'युक्ति', झंझट से दी मुक्ति

मेरठ, जेएनएन। कहते हैं प्रतिभावान के हुनर को निखारने के लिए बस दिशा देने की आवश्यकता होती है। साथ ही कुछ करने का जुनून है तो कामयाबी मिलकर रहती है। कुछ ऐसी ही कामयाबी राजकीय आइटीआइ साकेत में अध्यनरत प्रशिक्षुओं को मिली। फिटर व्यवसाय के प्रशिक्षुओं ने शिक्षकों की मदद से दस हजार की लागत से पोर्टेबल लेथ मशीन तैयार की है, जो हल्की होने के साथ ही कुशलता से कार्य करती है।

loksabha election banner

राजकीय आइटीआइ के नोडल प्रधानाचार्य पीपी अत्रि ने बताया इस पोर्टेबल लेथ मशीन का प्रारूप फिटर व्यवसाय के चार प्रशिक्षु नितिन, राहुल, दीपक, सुमित ने तैयार किया है। प्रशिक्षुओं को इस लेथ मशीन को बनाने का विचार तब आया, जब वे वजनी मशीन से छोटा-सा कट लगा रहे थे। इस पर उन्हें एक छोटी व कार्य कुशल लेथ मशीन बनाने की सूझी। इसके प्रारूप को मूर्त रूप देने में फिटर विंग के प्रभारी सुरेश गिल समेत अन्य शिक्षक मदन मुरारी, नरेंद्र सिंह ने सहयोग किया। प्रशिक्षुओं ने करीब 15 से 20 दिन में पोर्टेबल लेथ मशीन का कार्य करने वाला प्रारूप बना डाला। संस्थान के प्रधानाचार्य बनी सिंह चौहान ने बताया प्रशिक्षुओं ने पारंपरिक मॉडल के विभिन्न हिस्से लेग, कैरिज, टेल स्टॉक आदि को हल्काकर इसका वजन व आकार घटाया है। प्रशिक्षु बिना किसी की मदद से अब स्वयं मॉडल को तैयार कर रहे हैं। इस तरह के कार्यो से व्यवसाय में प्रशिक्षण पा रहे अन्य प्रशिक्षु भी प्रेरित हो रहे हैं।

पोर्टेबल लेथ मशीन से यह सहूलियतें

पारंपरिक लेथ मशीन की अपेक्षा पोर्टेबल लेथ मशीन हल्की व उपयोग करने में आसान है। मशीन को हल्का करने के साथ ही इसकी क्षमता बढ़ाने पर विशेष गौर किया गया, जो लोहे से लेकर लकड़ी पर सफाई से काम करती है। साथ ही पोर्टेबल होने के कारण इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर दो लोग भी पहुंचा सकते हैं।

छोटे उद्यम के लिए उपयोगी

प्रधानाचार्य बनी सिंह ने बताया ऐसे छोटे उद्यम, जो कम पूंजी से अपने काम की शुरुआत कर रहे हैं, उनके लिए यह मशीन उपयोगी है। प्रशिक्षुओं ने इसकी मदद से लोहे से बने पेपर वेट, शतरंज के मोहरे आदि तैयार किए हैं। इस मशीन के उपयोग से लकड़ी पर भी आसानी से काम किया जा सकता है। साथ ही इसे बनाने में आठ से दस हजार की लागत आयी है, जबकि पारंपरिक मशीन की कीमत बाजार में डेढ़ लाख से ढाई लाख रुपये है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.