281 करोड़ की आइटीसी चोरी पकड़ी, तीन को जेल
केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग की कर अपवंचन शाखा ने 281 करोड़ रुपये के फर्जी आइटीसी क्लेम का भंडाफोड़ किया है। शनिवार को इस मामले में दिल्ली के रोहिणी इलाके से गिरफ्तार तीन लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
मेरठ, जेएनएन। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग की कर अपवंचन शाखा ने 281 करोड़ रुपये के फर्जी आइटीसी क्लेम का भंडाफोड़ किया है। शनिवार को इस मामले में दिल्ली के रोहिणी इलाके से गिरफ्तार तीन लोगों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
इसके पहले 19 मार्च को मंगलपांडे नगर स्थित सीजीएसटी की कर अपवंचन शाखा ने नई दिल्ली, मेरठ, लखनऊ और मुरादाबाद में 23 स्थानों पर सर्च किया था। इसमें नई दिल्ली के रोहिणी स्थित कार्यालय से फर्जी इनवाइस का जखीरा पकड़ा गया था। कार्यालय का संचालक प्रदीप कुमार इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड है। शहजाद और सज्जाद उसके सहायक के तौर पर कार्य करते थे। सहायक आयुक्त अंकित गहलौत ने बताया कि प्रदीप के कार्यालय से मिले रिकार्ड की जांच के बाद सामने आया कि उसने 1707 करोड़ की इनवाइस जारी की। इसके लिए 650 फर्म कागजों पर बना रखी थीं। इनके पतों पर माल भेजा जाना दिखाया गया था। 23 स्थानों पर हुई सर्च की 14 लोकेशन मेरठ की थीं। टीम जब इनवाइस पर लिखे पते पर पहुंची तो वहां पर कुछ नहीं था। आयरन, पान मसाला, ग्रेनाइट, टेक्सटाइल जैसे कुल 60 आइटमों को फर्जी फर्मो को बेचा जाना दर्शा कर 281 करोड़ का इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल किया गया। वास्तव में न ही कोई माल होता न ही कहीं भेजा जाता था। जिन फर्मो को टैक्स देना होता था वह इस फर्जी आइटीसी का समायोजन दिखाकर टैक्स नहीं जमा करती थीं। इतनी बड़ी धनराशि की आइटीसी की चोरी मेरठ कमिश्नरी में पहली बार पकड़ी गई है।
शनिवार को स्पेशल सीजेएम की अदालत में अभियुक्तों को पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। कोरोना के खौफ के बाद भी सीजीएसटी के एक दर्जन से अधिक अधिकारी इस कार्रवाई में जुटे रहे। इनमें अधीक्षक पंकज त्यागी, देवेंद्र कुमार, अजय मलिक, डीपी सिंह, डीके त्यागी, निरीक्षक बिजेंद्र, अखिल त्यागी, ब्रजेश अवस्थी, आलोक, कुलदीप सिंह, दीपक श्रीवास्तव शामिल रहे।
नामी-गिरामी कंपनियों से संपर्क
बीकॉम पास प्रदीप कुमार का कई नामी-गिरामी कंपनियों से संपर्क है। इनके लिए वह कार्य करता था। प्रदीप एक छोटे से कार्यालय, जिसमें दो कंप्यूटर और प्रिंटर थे से इतनी बड़ी रकम का खेल कर रहा था। उसके साथ कार्यालय में काम करने वाले शहजाद और सज्जाद आपस में चाचा-भतीजे हैं। सहायक आयुक्त ने बताया कि जांच अभी जारी है जिसमें फर्जी आइटीसी की रकम 300 करोड़ से अधिक हो सकती है।