सीमा पर ‘लकीर’ खिंचने में लग गए 22 साल Meerut News
1998 के घोषणा में मेरठ और अमरोहा जनपद की सीमा पर चिह्नंकन के तहत बाउंड्री पिलर स्थापित किए जाने थे। अब ठेकेदारों ने लोनिवि अफसरों से कार्य शुरू करने को कहा है।
मेरठ [विनय विश्वकर्मा] 1998 में घोषणा की गई जनपदों के बीच चिह्नंकन योजना 22 साल से अधर में है। लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत मेरठ और अमरोहा जनपद की सीमा पर चिह्नंकन के तहत बाउंड्री पिलर स्थापित किए जाने थे। लेटलतीफी व किसानों के विरोध के चलते कार्य नहीं हो पाया। ठेकेदार के अनुबंध को भी तीन वर्ष बीत गए। कंपनी के ठेकेदार ने लोनिवि अफसरों से कार्य शुरू कराने की मांग रखी है।
2.70 करोड़ में लगने है 46 बाउंड्री पिलर
लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड में अधिशासी अभियंता के पास बुलंदशहर से पहुंचे साईं कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार धर्मबीर सिंह ने बताया कि 1998 में सरकार ने जनपदों की सीमाओं के बीच चिह्नंकन योजना की घोषणा की थी। इसमें मेरठ और अमरोहा के बीच मुकीमपुर गांव में 14 किमी दायरे के भीतर 46 बाउंड्री पिलर स्थापित होने थे।
शुक्रवार से होगा कार्य शुरू: ठेकेदार धर्मबीर सिंह ने लोनिवि अधिकारियों से कहा कि जब भी वह साइट पर कार्य शुरु करने जाते हैं, तो किसान फसल खराब होने का आरोप लगाते हुए विरोध करते हैं। जिसके चलते कार्य लंबे समय से अटका हुआ है। उन्होंने इस समस्या को लोनिवि अधिकारियों से विचार विमर्श किया। लोनिवि अफसरों ने मौके पर टीम भेजकर शुक्रवार को कार्य आरंभ करने की बात कही है। ठेकेदार ने बताया कि काम में लेटलतीफी होने के कारण बीस लाख रुपये की सिक्योरिटी भी फंसी पड़ी है।
तीन साल पहले बना था बांड, दिसंबर में एनओसी
1998 में घोषणा के बाद वर्ष 2016 में लोक निर्माण विभाग के प्रांतीय खंड से बुलंदशहर की साईं कंस्ट्रकशन कंपनी के बीच बांड भरकर कार्य करने की जिम्मेदारी मिली। इस योजना में सरकार ने ही साइट उपलब्ध कराई थी। ठेकेदार धर्मबीर सिंह ने बताया कि यदि उन्हें भूमि उपलब्ध हो गई होती तो वह 6 माह में कार्य पूर्ण करा देते। बताया कि दिसंबर 2019 में 43 पिलर की एनओसी प्राप्त हो चुकी है। जिसमें फिलहाल तीन बाउंड्री पिलर बाकी है। पिलर की ऊंचाई 25 व मोटाई एक मीटर निर्धारित की गई है।