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अच्छी सेहत के लिए शिशु का सुकून से सोना बहुत जरूरी

अच्छी सेहत के लिए शिशु का सुकून से सोना बहुत जरूरी मेरठ विशेषज्ञों की मानें तो नवजात

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 09:00 AM (IST)
अच्छी सेहत के लिए शिशु का सुकून से सोना बहुत जरूरी
अच्छी सेहत के लिए शिशु का सुकून से सोना बहुत जरूरी

अच्छी सेहत के लिए शिशु का सुकून से सोना बहुत जरूरी

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मेरठ : विशेषज्ञों की मानें तो नवजात शिशु का विकास सोते समय अधिक होता है। नवजात शिशु को भरपूर नींद चाहिए। नींद खराब होना या कच्ची नींद से उठ जाना, नींद पूरी न होने से नवजात शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है। मां को यह जरूर देखना चाहिए किशिशु को गीलेपन से दूर रखें। नवजात शिशु भूखा न रहें। कितना दूध पिलाएं, इसका भी ध्यान देना है। दैनिक जागरण और पैंपर्स की ओर से आयोजित चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के नेताजी सुभाषचंद्र बोस प्रेक्षागृह में बच्चों को सेहतमंद रखने के कई सुझाव दिए गए। मौका था पैंपर्स शिशु स्वास्थ्यशाला का। जिसमें बाल रोग विशेषज्ञ ने नवजात शिशुओं की परवरिश और पालन पोषण के तौर तरीके बताए। बीमारियों से बचाव की जानकारी भी दी। बेहतर हुई शुरुआत

मुख्य अतिथि सीसीएसयू की प्रोवीसी प्रो. वाई विमला और विशिष्ट अतिथि बाल रोग विशेषज्ञ डा. उमंग अरोड़ा ने कार्यक्रम की शुरुआत की। डा. उमंग अरोड़ा ने बताया कि हम अक्सर नवजात शिशु को हर छोटी सी बात पर दवाएं दे देते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि ज्यादा दवाएं देना नुकसानदायक है। समय अनुसार व सलाह के अनुसार ही कम से कम दवा देनी चाहिएं। डिजिटल थर्मामीटर ही बुखार को मापने का बेहतर यंत्र है। उन्होंने बताया कि मां का दूध शिशु के लिए वरदान है, छह माह तक के नवजात शिशु के लिए मां का दूध जरूरी है। नवजात के लिए सभी पौष्टिक आहार रहते हैं, जो न सिर्फ सेहत को बेहतर करते हैं बल्कि बीमारियों से भी बचाते हैं। हो सकता है निमोनिया

विशेषज्ञों ने बताया कि गीलेपन से नवजात शिशु को निमोनिया हो सकता है। इसके साथ ही नींद नहीं आती है। नवजात शिशु का विकास मां पर ही निर्भर रहता है। अक्सर रात को गीलेपन से नींद पूरी नहीं होती है, इससे वह चिड़चिड़ा हो जाता है। इसलिए ध्यान ध्यान देना बहुत ही जरूरी है, डायपर के प्रयोग से बच्चों की त्वचा गीली नहीं होती वह भरपूर नींद लेता है। हर धड़कन समझती है मां

प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला ने कहा कि मां दिल से सुनकर बच्चे की हर धड़कन को खुद पहचान लेती है। मां को ही देखना होता है कि बच्चा बेचैन है क्या है? गीलेपन के कारण व भारी डायपर हो जाने के कारण बच्चा अक्सर बेचैन होने लगता है। उसको देखना होगा और अगर भारी है तो तुरंत बदलना चाहिए. इसके साथ ही अक्सर नवजात शिशु का डायपर बदलते वक्त मदर्स पाउडर डालती हैं, जो नहीं करना चाहिए उसे सॉफ्ट टिशू से पोंछकर वैसलीन लगाएं, पाउडर नहीं। पाउडर और भी खराश पैदा कर देता है। सवालों के जवाब

-बच्चे का वजन कम है तो आपको इसकी डायट पर ध्यान रखना चाहिए। हर दो घंटे में कुछ न कुछ खिलाना चाहिए, दाल, दलिया, मटर आदि पीसकर खिला दें। वजन के हिसाब से हो डायपर

शिशु स्वास्थ्यशाला में डायपर के प्रयोग। उसका तरीका व फायदा भी बताया गया। सबसे अहम जानकारी यह रही कि बच्चों की उम्र नहीं, बल्कि वजन के हिसाब से डायपर पहनाना चाहिए। इसके साथ ही पैंपर्स की खूबियां गिनवाई गई। बताया गया कि पैंपर्स पैंट अब दस रुपये के पैक में भी उपलब्ध है। बताया गया कि पैंपर्स में मौजूद मैजिक जैल कैसे गीलेपन को सोखता है और सतह को सूखा बनाए रखता है। इसमें मौजूद एलोवेरा लोशन किस तरह शिशु की त्वचा को माइश्चराइज करने में मदद करता है। लकी ड्रॉ में मिला इनाम

दैनिक जागरण के इस कार्यक्रम में सभी महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन कराए. सभी रजिस्ट्रेशन फार्म को लेकर लकी ड्रॉ निकाला गया. जिसमें पांच महिलाओं को इनाम मिला। इनमें गुलफ्शा, इशरत, कुसुम, चांदनी, शैली ने लकी ड्रॉ जीते।


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