मेरठ: आयुष्मान योजना में फर्जी तरीके से इलाज कराने वाले रैकेट का हुआ था राजफाश, जांच में किस पर गिेरेगी गाज?
मेरठ में यूरो सर्जन डा. शरत चंद्र और फिजिशियन डा. विश्वजीत बैंबी के नाम पर दूसरे डाक्टर द्वारा इलाज का भंडाफोड़ हुआ था। गोकुलपुर स्थित श्रीभूषण और मवाना के कमल अस्पताल के लाइसेंस रद हूए थे। दोनों को सील कर दिया गया था।
मेरठ, जागरण संवाददाता। आयुष्मान योजना के तहत मरीजों के फर्जी तरीके से इलाज के मामले में चल रही प्रशासनिक जांच लगभग पूरी हो गई है। चिकित्सकों और संबंधित मरीजों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। दो-तीन दिन के भीतर जांच कमेटी डीएम को रिपोर्ट सौंप देगी।
फर्जी तरीके से इलाज करने वाले रैकेट का हुआ था राजफाश
हाल ही में फर्जी तरीके से इलाज करने वाले रैकेट का राजफाश हुआ था। यूरो सर्जन डा. शरत चंद्र और फिजिशियन डा. विश्वजीत बैंबी के नाम पर दूसरे डाक्टर द्वारा इलाज का भंडाफोड़ होने पर गोकुलपुर स्थित श्रीभूषण और मवाना के कमल अस्पताल के लाइसेंस रद करने के बाद उन्हें सील कर दिया गया था। इस मामले में सीएमओ की ओर से सभी अस्पतालों के कागजात चेक करने के लिए बुलाया गया लेकिन कुछ अस्पतालों की जांच की औपचारिकता के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
डीएम ने बनाई चार सदस्यीय जांच टीम
डीएम दीपक मीणा ने एडीएम वित्त एवं राजस्व पंकज वर्मा के नेतृत्व में चार सदस्यीय प्रशासनिक जांच टीम बनाई। इसमें सीएमओ डा. अखिलेश मोहन, एसीएम सिविल लाइन सत्यप्रकाश एवं सीओ सिविल लाइन देवेश सिंह शामिल हैं। एडीएम की ओर से अपना पक्ष रखने के लिए संबंधित चिकित्सकों और स्टाफ को नोटिस जारी किए गए। जांच टीम ने पीड़ित मरीजों, डाक्टरों और आरोपितों के बयान दर्ज कर लिए हैं।
दो लोग अभी बयान देने नहीं पहुंचे
एडीएम का कहना है कि डा. शरत चंद्र, डा. शालीन और पीड़ित मरीजों के साथ ही गोकुलपुर और मवाना के हास्पिटल से जुड़े लोगों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। दो लोग अभी बयान देने नहीं पहुंच पाए हैं। उनके बयान होने के बाद जल्द ही रिपोर्ट डीएम को सौंप दी जाएगी। एडीएम ने रिपोर्ट को गोपनीय बताते हुए कहा कि आगे की कार्रवाई जिलाधिकारी के स्तर से ही होगी।
पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर जांच
पुलिस ने किए नोटिस चस्पा इस मामले में दो स्तर पर जांच हो रही है। एक टीम प्रशासनिक स्तर पर जांच कर रही है, दूसरी जांच पुलिस के स्तर से हो रही है। गोकुलपुर के श्रीभूषण और मवाना के कमल अस्पताल के प्रबंधन के खिलाफ मेडिकल थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने विवेचना के दौरान संबंधित अस्पतालों से सीसीटीवी फुटेज मांगी थी लेकिन फुटेज उपलब्ध नहीं कराई गई। मेडिकल थाने के इंस्पेक्टर संत शरण सिंह ने बताया कि आरोपित अस्पताल संचालक फरार हैं। आरोपितों के अस्पतालों में नोटिस चस्पा कराए गए हैं। 160 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज कराने के लिए थाने बुलाया गया है।