नृत्य दिवस पर विशेष : शामली में भरतनाट्यम की बारीकियां सिखा रहीं पश्चिम बंगाल की बिंदिता
बिंदिता नृत्य में सैकड़ों मेडल और मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद वह कई साल से इस साधना में जुटी हैं। उनके प्रयास से पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का रुझान अब भारतीय नृत्य की विभिन्न विधाओं की तरफ भी बढ़ा है। अब जिले की सैकड़ों बेटियां भरतनाट्यम सीख रही हैं।
आकाश शर्मा, शामली। युवक-युवतियां पश्चिमी संस्कृति और पश्चिमी नृत्य के दीवाने हैं। शास्त्रीय नृत्य और संगीत से उनका नाता न के बराबर है। ऐसे में भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने में जुटी हैं पश्चिम बंगाल की बिंदिता। नृत्य में सैकड़ों मेडल और मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद वह कई साल से इस साधना में जुटी हैं। उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का रुझान अब भारतीय नृत्य की विभिन्न विधाओं की तरफ भी बढ़ा है। उनके सानिध्य में जिले की सैकड़ों बेटियां भरतनाट्यम सीख रही हैं।
पश्चिम बंगाल निवासी बिंदिता ने कक्षा केजी से ही नृत्य को अपनी साधना बना लिया था। माता-पिता ने भी सहयोग किया। इंटरमीडिएट में कई बार प्रदेश स्तर पर मेडल हासिल किए। बिंदिता ने टीवी पर रुक्मिणी देवी का नृत्य देखकर इसकी बारीकियां सीखीं और रुक्मिणी देवी को ही अपना गुरु मान लिया। इसके बाद नृत्य शिक्षा में मास्टर डिग्री हासिल की। बिंदिता बताती हैं कि पढ़ाई पूरी होने पर उन्होंने युवाओं को भारतीय नृत्य की विभिन्न विधाओं से रूबरू कराने की मुहिम शुरू की। युवा पीढ़ी का मन पश्चिमी नृत्य से हटाकर भारतीय संस्कृति की ओर लाने में जुट गईं।
करीब पांच साल पहले उन्हें जनपद शामली के सिल्वर बेल्स स्कूल में नृत्य शिक्षिका की नौकरी मिली। माता-पिता से दूर आकर उनका मन नहीं लगा। बच्चों को भी भरतनाट्यम या शास्त्रीय नृत्य पसंद नहीं आ रहा था। शुरू में नृत्य कक्षा में बहुत कम बच्चे आए। धीरे-धीरे उनके प्रयास से बच्चे भरतनाट्यम नृत्य सीखने के लिए तैयार होने लगे। उनका कहना है कि युवा पश्चिमी नृत्य की तरफ बहुत तेजी से बढ़ते हैं। जरूरत है उन्हें भारतीय संस्कृतितत की तरफ मोडऩे की। आज बच्चों में आया यह परिवर्तन देखकर लग रहा है कि मेरी साधना पूरी हो रही है।