इंस्पेक्टर की तेज रफ्तार होंडा सिटी ने पिता-पुत्र को रौंदा, बुजुर्ग की मौत; गाड़ी में मिली शराब की बोतल Meerut News
मेरठ-करनाल हाईवे पर बाइक सवार पिता-पुत्र को इंस्पेक्टर ने अपनी तेज रफ्तार कार से टक्कर मार दी। पिता को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया।
मेरठ, जेएनएन। दबथुवा में मेरठ-करनाल हाईवे पर बाइक सवार पिता-पुत्र को इंस्पेक्टर ने कार से टक्कर मार दी। पिता को अस्पताल में मृत घोषित कर दिया गया। ग्रामीणों ने इंस्पेक्टर को कार समेत पकड़ लिया। पुलिस ने कार चालक इंस्पेक्टर अरविंद कुमार निवासी बनती खेड़ा थाना बाबरी (शामली) के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इंस्पेक्टर को थाने से ही जमानत दे दी गई। इंस्पेक्टर की तैनाती मेरठ क्राइम ब्रांच में है। आरोप है कि इंस्पेक्टर नशे में था। वहीं, मेडिकल में एल्कोहल की पुष्टि नहीं हुई है।
कार की रफ्तार तेज थी
भलसोना निवासी रवि किरण ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि शुक्रवार दोपहर 12 बजे उनका भतीजा महकार (60) अपने बेटे वंश के साथ बाइक से मेरठ जा रहा था। गंगनहर पुल से आगे बाइक खराब होने पर वे पैदल ही बाइक लेकर चलने लगे। क्रेशर के सामने पुल को पार करते समय पीछे से आ रही तेज रफ्तार होंडा सिटी कार ने बाइक में टक्कर मार दी। ग्रामीणों ने दोनों घायलों को कंकरखेड़ा के कैलाशी अस्पताल पहुंचाया, जहां पिता को मृत घोषित कर दिया।
भागने पर डिवाइडर से टकराई कार
हादसे के बाद चालक भागा तो कार डिवाइडर से टकरा गई। ग्रामीणों ने कार सवार बावर्दी इंस्पेक्टर को पकड़ लिया। कार में शराब की बोतल और गिलास देख ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए इंस्पेक्टर को निलंबित करने की मांग की। पुलिस मौके पर पहुंची। थाना प्रभारी उपेंद्र कुमार मलिक ने उन्हें समझाकर शांत किया और शव पोस्टमार्टम को भेजा। वहीं, घटना में सात साल से कम सजा होने के चलते इंस्पेक्टर को थाने से ही जमानत दे दी गई।
पूर्व आवास आयुक्त को क्लीनचिट देने पर चर्चा में आए थे अरविंद
एनआरएचएम घोटाले में आरोपित पूर्व आवास उपायुक्त वीके चौधरी को मेरठ पुलिस ने 300 करोड़ रुपये के आवास घोटाले में जनवरी में लखनऊ के गोमतीनगर स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था। आरोप था कि मेरठ में उप आवास आयुक्त-उप निबंधक पद पर रहते हुए 52 एकड़ जमीन फर्जी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट बनवाकर बेच दी गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ कोर्ट के आदेश पर 2015 में मेरठ के पल्लवपुरम थाने में मुकदमा हुआ था। 2004 में यह घोटाला सत्यपाल सिंह, राजमोहन और आरपीएस चौधरी का इंद्रप्रस्थ एस्टेट सहकारी आवास समिति लिमिटेड पर कब्जा कराने के लिए किया गया था।
मुकदमे से निकाला था नाम
आरोप था कि वीके चौधरी और तत्कालीन सहकारी अधिकारी आवास राजकुमार की मिलीभगत से समिति के फर्जी निबंधन प्रमाण-पत्र और उपविधि बनाकर 52 एकड़ जमीन पर कब्जा कर इसे बिकवा दिया गया। तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी ने इसकी विवेचना क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर अरविदं को दी थी। अरविंद ने वीके चौधरी का नाम मुकदमे से निकाल दिया। अप्रैल में वीके चौधरी जेल से रिहा हुए। मुकदमे के वादी ने उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। उस समय भी अरविंद चर्चाओं में रहे थे।