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बच्चियों से हैवानियत : महिला आयोग की सदस्य को देख थाना छोड़ भागे एसओ

महिला आयोग की सदस्य राखी त्यागी बच्चियों और उनके परिवार की पीड़ा सुनने के लिए मेडिकल थाने पहुंचीं। उन्हें आता देखकर एसओ थाना छोड़कर चले गए।

By Ashu SinghEdited By: Published: Mon, 06 May 2019 10:48 AM (IST)Updated: Mon, 06 May 2019 10:48 AM (IST)
बच्चियों से हैवानियत : महिला आयोग की सदस्य को देख थाना छोड़ भागे एसओ
बच्चियों से हैवानियत : महिला आयोग की सदस्य को देख थाना छोड़ भागे एसओ
मेरठ,जेएनएन। जागृति विहार के नीरजा आनंद भवन में यौन शोषण का शिकार हुईं बच्चियां दहशत में हैं। रविवार को महिला आयोग की सदस्य राखी त्यागी बच्चियों और उनके परिवार की पीड़ा सुनने के लिए मेडिकल थाने पहुंचीं। उन्हें आता देखकर एसओ थाना छोड़ भागे। करीब 35 मिनट तक राखी त्यागी एसओ के केबिन में रहीं। एसएसपी से मोबाइल पर बात की,जिसके बाद सीओ के साथ एसओ थाने पहुंचे। सदस्य को बच्चियों और उनके परिजनों से मिलाया गया।
इस तरह से करता था यौन शोषण
उन्नाव का रहने वाला रिटायर्ड एलआइसी अफसर विमल चंद करील जागृति विहार सेक्टर छह के नीरजा आनंद भवन में रहता है। उसकी बेटी पति के साथ अमेरिका में रहती है। पत्नी की मौत के बाद विमल चंद घर में अकेला रहता था। गत वर्ष नवंबर में उसने कोठी को सीसीटीवी कैमरों से कवर्ड कराया। कैमरे मंगलपांडेय नगर के तुषार राणा ने लगाए और खराब होने पर आशु कन्नौजिया को सही करने के लिए बुलाया। आशु ने सभी कैमरों को इंटरनेट से कनेक्ट कर लिया और विमल चंद की हरकतें देखने लगा। उसने देखा कि विमल चंद घर पर बच्चियों को बुलाकर उनका यौन शोषण करता है।
शुरू हुआ था ब्लैकमेल का खेल
तुषार और आशु ने वीडियो के आधार पर विमल चंद को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। उससे रुपये मांगे। विमल ने रकम देने से इन्कार किया तो इन्होंने अश्लील फोटो शेयर करनी शुरू कर दीं। इसकी भनक लगने पर पुलिस ने विमल, आशु और तुषार को पकड़कर जेल भेज दिया। एक बच्ची की मां, चाइल्ड लाइन और विमल चंद की ओर से तीन मुकदमे दर्ज किए गए। छह में तीन बच्चियों ने सामने आकर विमल चंद की दरिंदगी बताई। तीनों का मेडिकल कराने के बाद एक बच्ची के अदालत में बयान भी दर्ज कराए गए।
थाना छोड़कर निकले एसओ
रविवार को बच्ची और उनके परिवार की पीड़ा जानने के लिए राज्य महिला आयोग की सदस्य मेडिकल थाने पहुंचीं। उन्होंने एसओ को कॉल कर थाने में मौजूद रहने के लिए कहा था। इसके बावजूद एसओ थाना छोड़कर निकल गए। राखी त्यागी करीब 35 मिनट तक थाना प्रभारी की केबिन में बैठी रहीं। उन्होंने कॉल कर एसएसपी को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया। तब जाकर सीओ सिविल लाइन हरिमोहन और एसओ कैलाश चंद थाने पहुंचे।
घटना के बाद बच्चियां सहमी हुई
राखी त्यागी ने बताया कि घटना के बाद बच्चियां सहमी हुई हैं। कभी भी उन्हें थाने में लाकर बैठा दिया जाता है। पुलिस को हिदायत दी गई कि बच्चियों को भविष्य में थाने पर न लाया जाए। साथ ही सादी वर्दी में पुलिसकर्मी निजी गाड़ी में उनके आवास पर जाएं। महिला आयोग की सदस्य ने बच्चियों को गुमराह कर ले जाने वाली युवती को छोड़ने के मामले में भी पुलिस से जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण की रिपोर्ट लखनऊ भेज दी जाएगी। एसओ का कहना है कि पुलिस लाइन और सीओ के पास मीटिंग में होने की वजह से महिला आयोग की सदस्य को रिसीव करने में देरी हो गई।
तीन लड़कियों ने हाथ पीछे खींचे
विमल चंद की हैवानियत का शिकार छह लड़कियां हुई थीं,जिनमें तीन बालिग और तीन नाबालिग हैं। तीन लड़कियों ने बदनामी के डर से हाथ पीछे खींच लिए हैं। पुलिस की कार्रवाई के बाद भी उन्होंने सामने आने से इन्कार कर दिया है। वहीं,बच्चियों को कोठी के अंदर पहुंचाने वाली युवती को थाने से छोड़ने पर पुलिस खामोश हो गई है। कप्तान दावा कर रहे हैं कि पूरे घटनाक्रम की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी।
एसएसपी ने यह बताया
दो मई को रिजर्व पुलिस लाइन में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एसएसपी नितिन तिवारी ने बताया था कि विमल चंद की हैवानियत का शिकार छह लड़कियां हुई थीं। एसएसपी का कहना है कि विमल की हैवानियत और आशु व तुषार के ब्लैकमेल का शिकार कोई भी व्यक्ति अपनी रिपोर्ट मेडिकल थाने में दर्ज करा सकता है। इसके बावजूद तीन लड़कियों ने रिपोर्ट का हिस्सा बनने से इन्कार कर दिया है। पुलिस किसी को भी जबरन इसका हिस्सा नहीं बनाएगी। उधर,बच्चियों को ले जाने वाली युवती की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही? माना जा रहा है कि उसके लिए पुलिस पर दबाव बना हुआ है। कप्तान ने बताया कि उक्त युवती को थाने बुलवाया था,जांच में सामने आया कि उसे विमल चंद के कृत्यों की जानकारी नहीं थी। हालांकि उसके बावजूद पूरे घटनाक्रम की जांच की जाएगी।
एसओ पर कार्रवाई की मांग
सच संस्था के संदीप पहल की ओर से राज्यपाल, मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पूरे प्रकरण की जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया है कि पूरे प्रकरण में मेडिकल एसओ भी कठघरे में आ रहे हैं। फिर भी अफसर कार्रवाई से हाथ पीछे खींच रहे हैं। उन्होंने पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराकर एसओ के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है। 

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