महंगाई बढ़ी, स्टैंडर्ड डिडक्शन भी बढ़ाए सरकार
एक फरवरी को बजट पेश होने वाला है। पिछले साल आयकर में जो बदलाव हुए थे। उसमें पुरानी टैक्स प्रणाली के साथ एक नई टैक्स प्रणाली का विकल्प भी दिया गया था।
मेरठ, जेएनएन। एक फरवरी को बजट पेश होने वाला है। पिछले साल आयकर में जो बदलाव हुए थे। उसमें पुरानी टैक्स प्रणाली के साथ एक नई टैक्स प्रणाली का विकल्प भी दिया गया था। इसमें डिडक्शन क्लेम नहीं करने वाले नौकरीपेशा नई टैक्स स्लैब वाली प्रणाली को अपना सकते हैं। नौकरीपेशा के रिटर्न में आ रही परेशानी को देखते हुए सीए अनुपम शर्मा का कहना है कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए वेतनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाना चाहिए। साथ ही मेडिकल खर्च और ट्रांसपोर्टेशन को भी जारी किया जाना चाहिए। इसे पिछले साल कंपोजिट स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट में मिला दिया गया था। उन्होंने बजट में नौकरीपेशा के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं।
ये है नौकरीपेशा की मांग पांच लाख की आय हो करमुक्त
जिस से तरह से महंगाई बढ़ी है, उसमें पांच लाख रुपये वार्षिक आय वाले वेतनभोगियों के सामने कई तरह की चुनौती बढ़ी है। उनके खर्चे बढ़े हैं। ऐसे में पांच लाख की वार्षिक आय को पूरी तरह से करमुक्त किया जाना चाहिए। इसे किसी तरह से पेचीदा नहीं बनाया जाना चाहिए।
स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाया जाए
नौकरीपेशा को अभी तक 50 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलता है। यह राशि वेतन से कटने के बाद शेष राशि पर टैक्स लगता है। लेकिन जिस तरह महंगाई बढ़ रही है। उसमें यह खर्च भी बढ़ा है। इसे देखते हुए इसमें 75 हजार से एक लाख तक छूट मिलनी चाहिए।
80 डी और सी की सीमा भी बढ़े
कोरोना की वजह से इस बार मेडिकल का खर्च बढ़ा है। नौकरीपेशा लोगों का भी मेडिकल में बहुत खर्च हुआ है। इसे देखते हुए 80 डी और 80 सी की छूट की सीमा को भी बढ़ाया जाना चाहिए। कोरोना की वजह से टीडीएस 75 फीसद है, उसे आगे भी जारी रखना चाहिए।