शहर में सांस लेना मुश्किल, कागजों में मौसम ‘गुलाबी’ है
मेरठ में स्थानीय क्षेत्रीय प्रदूषण कार्यालय और सीपीसीबी द्वारा मापी गई वायु की गुणवत्ता में 70 फीसद का अंतर है।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 24 Feb 2019 11:29 AM (IST)Updated: Sun, 24 Feb 2019 11:29 AM (IST)
मेरठ, [ओम बाजपेयी]। तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं। ये दावा किताबी है..। सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली पर जनकवि अदम गोंडवी की ओर से कसा गया यह तंज स्थानीय क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय पर सटीक बैठता है।
मेरठ में काली चादर
एनसीआर के शहर मेरठ में दिसंबर-जनवरी में जहां प्रदूषण की काली चादर के कारण लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है, वहीं स्थानीय प्रदूषण कार्यालय के अधिकारियों को यहां हालात गंभीर नजर नहीं आते। एक ही दिन में कुछ किमी की दूरी के अंतर पर लिए गए पीएम -10 के आंकड़े में 70 फीसद का अंतर आया है। शहर की आबोहवा की खराब गुणवत्ता को छिपाने को लेकर स्थानीय क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय कठघरे में नजर आ रहा है। जनवरी 2018 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी द्वारा 11 दिनों तक तीन अलग-अलग स्थानों पर गंभीर रूप से प्रदूषित पाई गई, वहीं स्थानीय प्रदूषण कार्यालय द्वारा लिए गए आंकड़ों में सामान्य प्रदूषण दर्शाया गया है।
यह है मामला
सीपीसीबी ने मेरठ में 4 जनवरी से 14 जनवरी 2018 के बीच पल्लवपुरम, बाईपास स्थित संस्थान और मवाना रोड स्थित जेपी इंस्टीट्यूट में वायु प्रदूषण के तहत लिए जाने वाले पीएम-10, पीएम-2.5 और गैसों से संबधित आंकड़े जुटाए थे। इसी अवधि में अगर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तहत कार्य करने वाले क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय के जारी आंकड़ों पर गौर करें तो इसमें बड़ा अंतर है। चार जनवरी को मवाना रोड पर पीएम- 10 का स्तर 250 था, वहीं स्थानीय प्रदूषण कार्यालय द्वारा यह केवल 164.8 आंका गया। इसी तरह 12 जनवरी को सीपीसीबी द्वारा मवाना रोड में पीएम-10 307 और क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा केवल 182.3 आंका गया, जिसमें 124.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का अंतर है। अधिकारी आंकड़ों में खेल कर जनपद में वायु प्रदूषण का गिरता स्तर कम दर्शा रहे हैं, ताकि फाइलों में प्रदूषण नजर ही न आए। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से चार स्थानों पर रीयल टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगाने को मंजूरी दी गई है, लेकिन दो माह से ये धूल फांक रहे हैं।
ठंडी हवाओं का प्रवाह
ठंडी हवाओं का प्रवाह लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। वातावरण में एक बार फिर ठंड बढ़ गई है। वहीं मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 25 से बारिश और ओलावृष्टि के आसार हैं।शनिवार को उत्तर पश्चिम हवाओं ने मौसम में ठंड घोल दी। दिल्ली, गाजियाबाद में हवाओं का असर देखा गया। न्यूनतम तापमान में 24 घंटे के अंतराल में छह डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। सुबह के समय बच्चे ठिठुरते हुए स्कूलों के लिए निकले। शाम को अचानक बादल छाने से ठंड का प्रकोप और बढ़ गया। कृषि विवि के मौसम केंद्र के प्रभारी डा. यूपी शाही ने बताया कि 24 और 25 को लगातार दो पश्चिम विक्षोभ सक्रिय हो रहे हैं। इनके प्रभाव से 25 और 26 को एनसीआर में बारिश और ओलावृष्टि के प्रबल आसार हैं।
इन्होंने कहा
एक सीमा से ज्यादा प्रदूषण स्तर होते ही एनजीटी जैसी संस्थाएं ऐसे मामलों में संज्ञान लेती हैं। अधिकारी जान बूझकर आंकड़े कम दर्शाते हैं, ताकि ऐसी संवैधानिक संस्थाओं के रडार पर न आएं।
- नवीन प्रधान, अध्यक्ष रिसर्च एंड रिलीफ संस्था
प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर कार्रवाई के लिए और वायु, जल, ध्वनि प्रदूषण के आकलन के लिए अलग-अलग यूनिट हैं। रीयल टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम के लिए बिजली का कनेक्शन लिए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
- आरके त्यागी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी
मेरठ में काली चादर
एनसीआर के शहर मेरठ में दिसंबर-जनवरी में जहां प्रदूषण की काली चादर के कारण लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है, वहीं स्थानीय प्रदूषण कार्यालय के अधिकारियों को यहां हालात गंभीर नजर नहीं आते। एक ही दिन में कुछ किमी की दूरी के अंतर पर लिए गए पीएम -10 के आंकड़े में 70 फीसद का अंतर आया है। शहर की आबोहवा की खराब गुणवत्ता को छिपाने को लेकर स्थानीय क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय कठघरे में नजर आ रहा है। जनवरी 2018 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी द्वारा 11 दिनों तक तीन अलग-अलग स्थानों पर गंभीर रूप से प्रदूषित पाई गई, वहीं स्थानीय प्रदूषण कार्यालय द्वारा लिए गए आंकड़ों में सामान्य प्रदूषण दर्शाया गया है।
यह है मामला
सीपीसीबी ने मेरठ में 4 जनवरी से 14 जनवरी 2018 के बीच पल्लवपुरम, बाईपास स्थित संस्थान और मवाना रोड स्थित जेपी इंस्टीट्यूट में वायु प्रदूषण के तहत लिए जाने वाले पीएम-10, पीएम-2.5 और गैसों से संबधित आंकड़े जुटाए थे। इसी अवधि में अगर प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तहत कार्य करने वाले क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय के जारी आंकड़ों पर गौर करें तो इसमें बड़ा अंतर है। चार जनवरी को मवाना रोड पर पीएम- 10 का स्तर 250 था, वहीं स्थानीय प्रदूषण कार्यालय द्वारा यह केवल 164.8 आंका गया। इसी तरह 12 जनवरी को सीपीसीबी द्वारा मवाना रोड में पीएम-10 307 और क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा केवल 182.3 आंका गया, जिसमें 124.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का अंतर है। अधिकारी आंकड़ों में खेल कर जनपद में वायु प्रदूषण का गिरता स्तर कम दर्शा रहे हैं, ताकि फाइलों में प्रदूषण नजर ही न आए। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से चार स्थानों पर रीयल टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम लगाने को मंजूरी दी गई है, लेकिन दो माह से ये धूल फांक रहे हैं।
ठंडी हवाओं का प्रवाह
ठंडी हवाओं का प्रवाह लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा। वातावरण में एक बार फिर ठंड बढ़ गई है। वहीं मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 25 से बारिश और ओलावृष्टि के आसार हैं।शनिवार को उत्तर पश्चिम हवाओं ने मौसम में ठंड घोल दी। दिल्ली, गाजियाबाद में हवाओं का असर देखा गया। न्यूनतम तापमान में 24 घंटे के अंतराल में छह डिग्री की गिरावट दर्ज की गई। सुबह के समय बच्चे ठिठुरते हुए स्कूलों के लिए निकले। शाम को अचानक बादल छाने से ठंड का प्रकोप और बढ़ गया। कृषि विवि के मौसम केंद्र के प्रभारी डा. यूपी शाही ने बताया कि 24 और 25 को लगातार दो पश्चिम विक्षोभ सक्रिय हो रहे हैं। इनके प्रभाव से 25 और 26 को एनसीआर में बारिश और ओलावृष्टि के प्रबल आसार हैं।
इन्होंने कहा
एक सीमा से ज्यादा प्रदूषण स्तर होते ही एनजीटी जैसी संस्थाएं ऐसे मामलों में संज्ञान लेती हैं। अधिकारी जान बूझकर आंकड़े कम दर्शाते हैं, ताकि ऐसी संवैधानिक संस्थाओं के रडार पर न आएं।
- नवीन प्रधान, अध्यक्ष रिसर्च एंड रिलीफ संस्था
प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों पर कार्रवाई के लिए और वायु, जल, ध्वनि प्रदूषण के आकलन के लिए अलग-अलग यूनिट हैं। रीयल टाइम एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम के लिए बिजली का कनेक्शन लिए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
- आरके त्यागी, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी
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