Good News: गंगा में बढ़ा डाल्फिन का कुनबा, 2015 से अबतक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी, देखें आंकड़े
वर्ष 2015 के गणना के बाद से अबतक यानी वर्ष 2020 में गंगा में डाल्फिन का कुनबा सबसे अधिक बढ़ा है। इसके बाद 2016 में सबसे अधिक बढ़ोतरी पाई गई थी। 11 अक्टूबर तक डाल्फिन का सर्वे किया गया था।
बिजनौर, जेएनएन। संरक्षण की कवायद के बीच इस साल भी डाल्फिन के कुनबे में बढ़ोतरी हुई है। गंगा में बिजनौर बैराज घाट से नरौरा तक पांच से 11 अक्टूबर तक वाइल्ड लाइफ और वन विभाग की संयुक्त टीम ने डॉल्फिन की गणना की थी। बिजनौर से नरौरा तक 41 डाल्फिन मिली हैं। पिछले साल यह संख्या 35 थी। एक साल में छह डाल्फिन की बढ़ोतरी और हर साल इनकी संख्या बढऩे को सुखद पहलू माना जा रहा है।
2015 से अबतक के पूरे आंकड़े
बिजनौर बैराज से गढ़मुक्तेश्वर और गढ़मुक्तेश्वर से नरौरा बैराज तक गणना के दौरान वर्ष 2015 में 22, 2016 में 30, 2017 में 32 और वर्ष 2019 में 35 डाल्फिन मिली थीं। सूबे में बिजनौर, मेरठ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बुलंदशहर से गुजर रही गंगा नदी में डॉल्फिन का वास है। इस साल सबसे अधिक संख्या बढ़ी है।
विश्व प्रकृति निधि और सेवियर्स संस्था की ओर से 2005 में डॉल्फिन को बचाने की मुहिम शुरू की गई थी। 18 मई 2010 को पर्यावरण और वन मंत्रालय ने डाल्फिन को राष्ट्रीय जलजीव और गढ़मुक्तेश्वर से नरौरा तक 86 किलोमीटर इलाके को 'रामसर' क्षेत्र घोषित किया था। वन विभाग और वाइल्ड लाइफ की टीम हर साल अक्टूबर में गंगा में डाल्फिन की गणना करते हैं। डीएफओ डा. एम. सेम्मारन ने बताया इस साल गणना में 41 डाल्फिन मिली हैं। गंगा में इनके लिए पर्याप्त भोजन की उपपब्धता है।
टेंडम मेथड से की गई गणना
डॉल्फिन की गणना टेंडम मेथड से की गई। इसमें दो वोट करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर आगे-पीछे चलती हैं। डीएफओ ने बताया कि गणना टीमों के पास जीपीएस समेत अन्य उपकरण रहते हैं, जिनसे वह डाल्फिन की एक्टिविटी पर नजर रखते हैं। यदि एक डाल्फिन एक से अधिक बार दिखती है तो उसकी गिनती एक डाल्फिन के रूप में की जाती है।