LokSabha Election Result 2019 : मेरठ दक्षिण में इस बार दलितों ने छोड़ा भाजपा का साथ
भले ही कम संख्या में हो लेकिन हर बार भाजपा के साथ रहने वाला दलित वोटर इस बार गठबंधन के फेर में फंसकर भाजपा का साथ छोड़ गया। मेरठ दक्षिण में इसका असर देखने को मिला।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 03:04 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 03:04 PM (IST)
मेरठ, [अनुज शर्मा]। भले ही कम संख्या में हो लेकिन हर बार भाजपा के साथ रहने वाला दलित वोटर इस बार गठबंधन के फेर में फंसकर भाजपा का साथ छोड़ गया। लोकसभा चुनाव के मतगणना के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि मेरठ दक्षिण विधानसभा में इस बार दलित वोटरों ने मुस्लिम मतदाताओं के साथ मिलकर गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया।
इस बार मोहल्ले और क्षेत्र के रूप में समर्थन
इस बार दक्षिण विधानसभा के चुनाव में खास बात यह रही कि वोटरों ने बूथवार नहीं बल्कि मोहल्ले और क्षेत्र के रूप में प्रत्याशियों को बल्क में समर्थन दिया। इसी कारण मतगणना के दौरान जब किसी प्रत्याशी के पक्ष में वोट निकलने शुरू होते तो यह सिलसिला 20-30 बूथों तक चलता था। दूसरे प्रत्याशी को अपने पक्ष में वोट निकलने का इंतजार काफी देर तक करना पड़ा था।
मतदान का ट्रेंड एकदम जुदा
मेरठ-हापुड़ लोकसभा की कुल पांच विधानसभाओं में से मेरठ दक्षिण विधानसभा में सर्वाधिक बूथ संख्या 469 थी। मतदाता भी यहां सर्वाधिक 4,53,807 हैं तथा मतगणना के चरण भी सर्वाधिक 34 रहे। लेकिन इस बार मतदान का ट्रेंड बिल्कुल अलग दिखाई दिया। सपा-बसपा गठबंधन का असर साफ दिखाई दिया। गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में जहां मुस्लिमों ने जमकर मतदान किया वहीं हर बार साथ देने वाला दलित मतदाता भी भाजपा को छोड़ गया। इस बार प्रत्याशियों के पक्ष में बूथवार नहीं बल्कि मोहल्ला, कालोनी और क्षेत्रवार वोट पड़े। 20 से 30 बूथ तक के वोट बल्क में एक प्रत्याशी के पक्ष में निकले। इसके बाद दूसरे प्रत्याशी के पक्ष में वोट निकलने का सिलसिला शुरू हुआ तो वह भी लंबा चला।
दलित बस्ती तो याकूब को, हिंदू मोहल्ला भाजपा को मिला
मतगणना के आंकड़ों में कई क्षेत्रों में देखने में आया कि यदि हिंदू इलाके में कहीं दलित बस्ती है तो वह गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में रही। यही कारण रहा कि हिंदू क्षेत्रों के बीच में एक दो बूथों के आंकड़े याकूब कुरैशी के पक्ष में निकले।
मुस्लिम क्षेत्रों में भाजपा को समर्थन
मजीदनगर, रसीदनगर, प्रहलादनगर समेत दर्जनों मोहल्ले ऐसे रहे जिनके बूथों की मतगणना में भाजपा के पक्ष में अच्छी खासी संख्या में वोट मिली।
बराबरी पर भी खूब छूटे
शहर के तमाम मोहल्लों में भाजपा और गठबंधन प्रत्याशी को बराबर बराबर वोट निकले। भूडबराल, मोहिउद्दीनपुर, काशी, अच्छरोंडा, मलियाना, रिठानी आदि इलाकों में कुछ बूथों में भाजपा को समर्थन मिला तो कुछ बूथों में गठबंधन प्रत्याशी को वोट मिली। बड़ी संख्या में ऐसे बूथ भी रहे जहां वोट दोनों प्रत्याशियों के बीच में बंट गई।
जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों के क्षेत्र रहे मालामाल
हालांकि भाजपा के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों का दावा है कि उन्होंने चुनाव जिताने के लिए जमकर प्रयास किए। घर घर जाकर वोट मांगे लेकिन वे कहीं घूमते दिखाई नहीं दिये। इसके बावजूद भाजपा के पक्ष में देशभर में चली सुनामी ने इन लोगों के इलाकों की ईवीएम को भी भाजपा के पक्ष के मतों से भर दिया।
कैंट के 80 बूथों पर बसपा जीती
भाजपाइयों की मानें तो कैंट विस में भाजपा को भारी बढ़त कोई चौंकाने वाला फैक्टर नहीं है। उनका दावा है कि कैंट क्षेत्र के आधा दर्जन सभासदों ने चुनावों में कोई दिलचस्पी नहीं ली। इस क्षेत्र में जहां सासंद राजेंद्र अग्रवाल भी कम पहुंचे, वहीं विधायक के करीबियों ने अपने ढंग से कैंपेन को प्रभावित किया। हालांकि मोदी लहर की ताकत इतनी ज्यादा थी कि पार्टी के वोटों पर कोई असर नहीं पड़ा लेकिन,एक खेमा मानता है कि अगर संगठन और कार्यकर्ता मेहनत करते तो कैंट से दस हजार से ज्यादा अतिरिक्त वोट मिल सकते थे।
शोभापुर में गठबंधन के पक्ष में आक्रामक वोटिंग
सालभर पहले दलित आंदोलन में हिंसा से प्रभावित क्षेत्र शोभापुर में गठबंधन के पक्ष में आक्रामक वोटिंग हुई। पहले कैंट के दलित भाजपा के वोटर माने जाते थे, जो इस बार बसपा के पाले में जाते नजर आए। बूथ नंबर-49 से 56 नंबर व 86, 87 से लेकर 93-94 तक पल्हेड़ा, गंगोत्री कालोनी, सोफीपुर, सरधना रोड कंकरखेड़ा व शिवलोकपुरी में बसपा को काफी वोट मिले हैं।
इस बार मोहल्ले और क्षेत्र के रूप में समर्थन
इस बार दक्षिण विधानसभा के चुनाव में खास बात यह रही कि वोटरों ने बूथवार नहीं बल्कि मोहल्ले और क्षेत्र के रूप में प्रत्याशियों को बल्क में समर्थन दिया। इसी कारण मतगणना के दौरान जब किसी प्रत्याशी के पक्ष में वोट निकलने शुरू होते तो यह सिलसिला 20-30 बूथों तक चलता था। दूसरे प्रत्याशी को अपने पक्ष में वोट निकलने का इंतजार काफी देर तक करना पड़ा था।
मतदान का ट्रेंड एकदम जुदा
मेरठ-हापुड़ लोकसभा की कुल पांच विधानसभाओं में से मेरठ दक्षिण विधानसभा में सर्वाधिक बूथ संख्या 469 थी। मतदाता भी यहां सर्वाधिक 4,53,807 हैं तथा मतगणना के चरण भी सर्वाधिक 34 रहे। लेकिन इस बार मतदान का ट्रेंड बिल्कुल अलग दिखाई दिया। सपा-बसपा गठबंधन का असर साफ दिखाई दिया। गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में जहां मुस्लिमों ने जमकर मतदान किया वहीं हर बार साथ देने वाला दलित मतदाता भी भाजपा को छोड़ गया। इस बार प्रत्याशियों के पक्ष में बूथवार नहीं बल्कि मोहल्ला, कालोनी और क्षेत्रवार वोट पड़े। 20 से 30 बूथ तक के वोट बल्क में एक प्रत्याशी के पक्ष में निकले। इसके बाद दूसरे प्रत्याशी के पक्ष में वोट निकलने का सिलसिला शुरू हुआ तो वह भी लंबा चला।
दलित बस्ती तो याकूब को, हिंदू मोहल्ला भाजपा को मिला
मतगणना के आंकड़ों में कई क्षेत्रों में देखने में आया कि यदि हिंदू इलाके में कहीं दलित बस्ती है तो वह गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में रही। यही कारण रहा कि हिंदू क्षेत्रों के बीच में एक दो बूथों के आंकड़े याकूब कुरैशी के पक्ष में निकले।
मुस्लिम क्षेत्रों में भाजपा को समर्थन
मजीदनगर, रसीदनगर, प्रहलादनगर समेत दर्जनों मोहल्ले ऐसे रहे जिनके बूथों की मतगणना में भाजपा के पक्ष में अच्छी खासी संख्या में वोट मिली।
बराबरी पर भी खूब छूटे
शहर के तमाम मोहल्लों में भाजपा और गठबंधन प्रत्याशी को बराबर बराबर वोट निकले। भूडबराल, मोहिउद्दीनपुर, काशी, अच्छरोंडा, मलियाना, रिठानी आदि इलाकों में कुछ बूथों में भाजपा को समर्थन मिला तो कुछ बूथों में गठबंधन प्रत्याशी को वोट मिली। बड़ी संख्या में ऐसे बूथ भी रहे जहां वोट दोनों प्रत्याशियों के बीच में बंट गई।
जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों के क्षेत्र रहे मालामाल
हालांकि भाजपा के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधियों का दावा है कि उन्होंने चुनाव जिताने के लिए जमकर प्रयास किए। घर घर जाकर वोट मांगे लेकिन वे कहीं घूमते दिखाई नहीं दिये। इसके बावजूद भाजपा के पक्ष में देशभर में चली सुनामी ने इन लोगों के इलाकों की ईवीएम को भी भाजपा के पक्ष के मतों से भर दिया।
कैंट के 80 बूथों पर बसपा जीती
भाजपाइयों की मानें तो कैंट विस में भाजपा को भारी बढ़त कोई चौंकाने वाला फैक्टर नहीं है। उनका दावा है कि कैंट क्षेत्र के आधा दर्जन सभासदों ने चुनावों में कोई दिलचस्पी नहीं ली। इस क्षेत्र में जहां सासंद राजेंद्र अग्रवाल भी कम पहुंचे, वहीं विधायक के करीबियों ने अपने ढंग से कैंपेन को प्रभावित किया। हालांकि मोदी लहर की ताकत इतनी ज्यादा थी कि पार्टी के वोटों पर कोई असर नहीं पड़ा लेकिन,एक खेमा मानता है कि अगर संगठन और कार्यकर्ता मेहनत करते तो कैंट से दस हजार से ज्यादा अतिरिक्त वोट मिल सकते थे।
शोभापुर में गठबंधन के पक्ष में आक्रामक वोटिंग
सालभर पहले दलित आंदोलन में हिंसा से प्रभावित क्षेत्र शोभापुर में गठबंधन के पक्ष में आक्रामक वोटिंग हुई। पहले कैंट के दलित भाजपा के वोटर माने जाते थे, जो इस बार बसपा के पाले में जाते नजर आए। बूथ नंबर-49 से 56 नंबर व 86, 87 से लेकर 93-94 तक पल्हेड़ा, गंगोत्री कालोनी, सोफीपुर, सरधना रोड कंकरखेड़ा व शिवलोकपुरी में बसपा को काफी वोट मिले हैं।
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