बाजार जाएंगे तो पता चलेगा हर चीज महंगी है
पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी का असर चौतरफा दिख रहा है। बाजार में जाने पर पता चलता है कि सब्जियों से लेकर दलहन तक के दाम बढ़ गए हैं। रसोई का बजट पूरी तरह गड़बड़ा गया है।
मेरठ। ईधन के दाम में हो रही बढ़ोतरी से कारोबारी जगत में उथल पुथल मची है। साथ ही आम जरूरत की वस्तुएं महंगी होने से नौकरी पेशा वर्ग का बजट गड़बड़ा रहा है। ट्रांस्पोर्टरों ने लंबी दूरी के माल भाड़े में 15 से 20 और आसपास के जनपदों के किराए में 40 प्रतिशत बढ़ा दिया है।
बाहर से आने वाली सब्जियों के दाम बढ़े
इस समय प्याज और आलू की कीमतें नियंत्रण में हैं, लेकिन टमाटर, तोरई, शिमला मिर्च और घिया जैसे सब्जियां जिनकी आवक दूसरे प्रदेशों से उनके दाम बढ़े हुए हैं। सब्जी व्यापारी संदीप गुप्ता ने बताया कि बाहर से आने वाली सब्जियों के दाम में तेजी आई है। शिमला मिर्च और घिया थोक में 40 रुपये पहुंच गए हैं, जबकि फुटकर बाजार में इनके दाम 60 से 70 के बीच हैं।
नवीन मंडी स्थित खाद्यान्न मंडी में दलहनों के दाम मंदे चल रहे हैं। इसके बावजूद दो माह में हर प्रकार की दाल में दो सौ रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा हुआ है। दालों के थोक व्यापारी संजय बिंदल ने बताया कि सरकार ने विदेशों से आयात की सुविधा दे दी है, जिससे दालों के दाम नियंत्रण में हैं। लेकिन, माल भाड़ा बढ़ने से आंशिक रूप से दाम बढ़े हैं। उधर, सदर व्यापारी प्रिंस जैन ने बताया कि माल भाड़े में वृद्धि का असर फुटकर बाजार में पड़ना शुरू हो गया है। दलहनों के दामों में तेजी आई है।
दीपावली में बढ़ने वाला माल भाड़ा अभी से बढ़ाया
डीजल के दाम पिछले तीन माह में 66 रुपये से उछलकर 72 पर पहुंच गए हैं। ट्रांसपोर्टर अमूमन हर साल नवरात्र में दीपावली के आसपास माल भाड़ा बढ़ाते हैं, लेकिन इस बार दो माह पूर्व ही दाम बढ़ा दिए गए हैं। मेरठ ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव शर्मा ने बताया कि लंबी दूरी में दस से 15 हजार और लोकल में 3500 से 4000 रुपये प्रति ट्रिप माल बढ़ा है।
स्पोर्ट्स, हैंडलूम और इलेक्ट्रिकल गुड्स कारोबार प्रभावित
मेरठ के उद्यमियों का अधिकांशत: माल दूसरे राज्यों में जाता है। विशेष रूप से हैंडलूम और स्पोर्ट्स गुड्स से लदे ट्रक नियमित रूप से जाते हैं। आइआइए के चेयरमैन अतुल भूषण गुप्ता ने बताया कि माल भाड़े के साथ डीजल की खपत विद्युत सप्लाई बाधित होने पर जेनरेटरों में होती है। दो से तीन प्रतिशत मैन्युफैक्च¨रग कास्ट बढ़ गई है। इसका असर उद्यमी और ग्राहक दोनो पर पड़ रहा है।